Monday, December 03, 2012

बेसूझ साया

किसी के प्यार की बाते
मुझे सोने नही देती
दिल के धड़कनो में गूँजती
उसकी आहटे सोने नही देती

बहक रहा है यह
किस बात से यह रात का आलम
फूलो सी महकती
उस बेसूझ साये की ख़ुश्बू
मुझे सपनो में खोने नही देती

सितारे भी चल दिए हैं
अब तो रात का आँचल छोड़ कर
सुबह की ओस में डूबी
दिल के धड़कनो में गूँजती
उसकी आहटे सोने नही देती
सुबह होने नही देती

छाया हुआ है वही
मेरे वजूद पर एक बेसुझ साए की तरह
उसकी यही परछाईयाँ
मुझे किसी और का होने नही देती !!

9 comments:

सदा said...

उसकी यही परछाईयाँ
मुझे किसी और का होने नही देती !!
वाह .... बहुत ही बेहतरीन
आभार इस अभिव्‍यक्ति को साझा करने के लिये

Arvind Mishra said...

सुहानी चांदनी बातें हमें सोने नहीं देती
तुम्हारे प्यार की बातें हमें सोने नहीं देतीं
:-)

ANULATA RAJ NAIR said...

बड़ी उलझन है ये तो....
वो खुद ही तेरा हो जाए तो क्या हो....

:-)
सस्नेह
अनु

विभूति" said...

बेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

छाया हुआ है वही
मेरे वजूद पर एक बेसुझ साए की तरह
उसकी यही परछाईयाँ
मुझे किसी और का होने नही देती,,,,

बहुत खूबशूरत सुंदर प्रस्तुति,,,,,रंजना जी,,,

recent post: बात न करो,

प्रेम सरोवर said...

बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

प्रवीण पाण्डेय said...

कुछ है मन में जगता रहता।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेम में डूबी अभिव्यक्ति .... बेहतरीन

jaswant singh said...

" छाया हुआ है वही
मेरे वजूद पर एक बेसुझ साए की तरह
उसकी यही परछाईयाँ
मुझे किसी और का होने नही देती " these are really nice lines...