एक दिन तुमने बातों बातों में बताया था कि तुम्हे .. बचपन से शौक था तुम्हारा खुद के बनाये मिटटी के खिलौनों से खेलना और फिर उनको खेल के तोड़ देना आज भी तुम्हारा
वही खेल जारी है बस खेलने और खिलौनों के वजूद बदल गए हैं |........
शौक एक दिन तुमने बातों बातों में बताया था कि तुम्हे .. बचपन से शौक था तुम्हारा खुद के बनाये मिटटी(मिट्टी) के....मिट्टी खिलौनों से खेलना और फिर उनको खेल के तोड़ देना आज भी तुम्हारा
वही खेल जारी है बस खेलने और खिलौनों के वजूद बदल गए हैं |........
19 comments:
वही खेल जारी है
बस खेलने
और खिलौनों के
वजूद बदल गए हैं |........
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
वही खेल जारी है
बस खेलने
और खिलौनों के
वजूद बदल गए हैं |........
बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति की सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST : गीत,
खिलौने के वजूद बदल गए हैं ... मार्मिक अभिव्यक्ति
वही खेल जारी है
बस खेलने
और खिलौनों के
वजूद बदल गए है......
वजूद बदल जाते हैं... पर शौक नहीं....
बहुत सुन्दर रचना रंजू जी
बहुत सुन्दर वाह क्या बात है
excellent lines ranju ji....
anu
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति...
:-)
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
शौक
एक दिन
तुमने बातों बातों
में बताया था कि
तुम्हे ..
बचपन से शौक था
तुम्हारा
खुद के बनाये
मिटटी(मिट्टी) के....मिट्टी
खिलौनों से खेलना
और फिर उनको
खेल के तोड़ देना
आज भी तुम्हारा
वही खेल जारी है
बस खेलने
और खिलौनों के
वजूद बदल गए हैं |........
बहुत सूक्ष्म व्यंजना है इस रचना में .बधाई .
अभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर........रंजना दी
नाट डन-अजीब खब्ती आदमी है :-( तुरत छुटकारा पाईये ऐसे लोगों से :-)
बस खेलने
और खिलौनों के
वजूद बदल गए हैं |
उम्दा प्रस्तुति |
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काव्य का संसार
समय के साथ सोच भी बदल जाती है ... बहुत प्यारा लिखा है !
बहुत ही भाव परक रचना बधाई!
बहुत सुदंर रचना रंजु जी।
प्रतीक संचेती
सुन्दर कविता
गहरी अभिव्यक्ति..
बहुत सु्न्दर भाव
वक्त के साथ खिलौने बदल गए...मगर अंदाज वही है...वाह
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