Sunday, April 01, 2012

एहसास

कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला
सुबह के आगोश से उभरा
सूरज सा दहकता
रात भर चाँद सा चमकने वाला

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!

रंजू भाटिया

26 comments:

vandana gupta said...

ओह ………दर्द की तहरीर्।

Anonymous said...

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!



kya bat hain bahut khoob

Maheshwari kaneri said...

बहुत मार्मिक अहसास..

ANULATA RAJ NAIR said...

काश...............
कोई तो होता...................

बहुत सुन्दर भाव,,,,

Shanti Garg said...

बहुत ही बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग

विचार बोध
पर आपका हार्दिक स्वागत है।

दिगम्बर नासवा said...

दर्द भरी नज़्म ... सच है जाने वाले नहीं आते बस उनकी यादें आती हैं ... मार्मिक प्रस्तुति ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

काश कोई तो होता .... खूबसूरती से लिखे एहसास

Arvind Mishra said...

ओह कोई तो होता ..गहरे अहसासात !

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

beautiful creation!

sonal said...

bahut khoob

Maheshwari kaneri said...

मार्मिक प्रस्तुति ...बहुत सुन्दर भाव,,,

Pawan Kumar said...

रंजू जी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति......
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!
बहुत सुनदर

भावनाओं को किस तारतम्यता के साथ इतनी खूबसूरती से है आपने .... क्या बेहतरीन कविता है.

Pallavi saxena said...

आपकी इस प्रस्तुति को पढ़कर एक पूरान हिन्दी फिल्मी गीत याद आया "कोई होता जिसको अपना हम अपना कह लेते यारों पास नहीं तो दूर ही होता लेकिन कोई मेरा अपना"

सदा said...

गहन भाव लिए ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Nirantar said...

kismat waalon ko aisaa saath miltaa

badhiyaa rachna

Udan Tashtari said...

वाह!! दर्द अहसासा!!

प्रवीण पाण्डेय said...

दर्द का गाढ़ापन है यहाँ..

Shikha Kaushik said...

gahan bhavon ki sundar abhivyakti .aabhar
YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC-LIKE THIS PAGE AND SHOW YOUR PASSION OF INDIAN HOCKEY -NO CRICKET ..NO FOOTBALL ..NOW ONLY GOAL !

हरकीरत ' हीर' said...

कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला

बहुत सुंदर .....

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

7
रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

7
रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.

pandit lalit mohan kagdiyal said...

7
रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

7
रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

7
रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

7
रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.

pandit lalit mohan kagdiyal said...

रंजू जी ,सचिदानंद जी की एक कविता की पंक्तियाँ आपकी कविता के सन्दर्भ में याद आ रही हैं.
"वो रोगी होंगे प्रेम जिन्हें अनुभव रस का कटु प्याला है,
वो मुर्दे होंगे प्रेम जिन्हें सम्मोहन काली हाला है,
मैंने विदग्ध हो जान लिया ,अंतिम रहष्य पहचान लिया
मैंने आहुति बन कर देखा ,प्रेम यज्ञ की ज्वाला है.