बाबुल तेरी मीठी यादे ...(पिता दिवस )
"ऐसी कोई ऊंचाई नहीं .जहाँ तुम नहीं पहुँच सकती ..ऐसी कोई कठिनाई नहीं है .जो तुम काम नहीं कर सकती ,बस तुम्हारी कोशिश और मेहनत सौ प्रतिशत होनी चाहिए "...जब एक पिता अपनी पुत्री को यह शिक्षा देता है ..तो कोई शक की गुंजाईश ही नहीं रहती कि उसके बच्चे ज़िन्दगी में कामयाबी हासिल न करें ...यह पंक्तियाँ स्वर्गीय राजकपूर ने अपनी बेटी रितु नंदा से कहीं .और उन्होंने भी अपने पिता के कहे को अपनी ज़िन्दगी में हुबहू उतार लिया ..
पिता की प्रेरणा
,आज पिता दिवस पर इनको दुहारने का और इनसे सीखने का अच्छा मौका और क्या हो सकता था ....हर पिता चाहता है कि उसकी संतान उस से अधिक सफलता हासिल करे ..और राजकपूर के सब बच्चों ने उनके इस सपने को सच कर दिखाया ...राज कपूर एक जाने माने स्टार थे ,उनकी व्यवस्ता बच्चो को उनके आस पास रहने का मौका काम ही देती थी ..पर रितु नंदा ने उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा ..कमिटमेंट .जीवंन की प्राथमिकता क्या है ..और उनकी प्रेरणा जो उनके साथ रही ,जिस ने उनका नाम देश विदेश में खूब हुआ ...
गुडिया की शादी
रितु बचपन की एक घटना को याद करते हुए कहती है कि मुझे याद है मेरे पास एक गुडिया थी और मैं उसकी शादी करना चाहती थी ...जब रितु ने अपने पापा से उस गुडिया की शादी की बात की तो पापा बोले वह खुद मेरी गुडिया कि शादी के सारे अरेंजमेंट्स देखेंगे ..उन्होंने रितु की गुडिया की शादी की तैयारी ठीक वैसे की जैसे असल में शादी की जाती है ..बाजा बजा .बारात आई .घर में कई तरह के पकवान बने ...रितु ने अपनी गुडिया को बहुत ही शानदार कपडे पहनाएं और खूब गहनों से उसको सजाया ......पापा और शम्मी अंकल ने मिल कर गुडिया की शादी को यादगार बना दिया और इस मौके को कैमरे में कैद कर लिया .लेकिन इस दौरान रितु को सबसे बड़ा शाक तब लगा जब विदाई के समय गुड्डे वाले उनकी गुडिया को ले कर चले गए ..रितु बहुत रोई ..तब पापा ने उनको समझाया कि शादी के बाद लड़का लड़की को अपने घर ले जाता है यही हमारी परम्परा है
..रितु की खुद की शादी महज बीस साल की उम्र में हो गयी .उनकी शादी के लिए राजकपूर जी के डोली का गीत खुद लिखा और शादी वाले दिन खुद गाया ..इतने सालों बाद भी रितु उस गीत को सुनते ही रो पड़ती है |
बच्चो की एम्बुलेंस
लाख वह व्यस्त रहे पर जब जब उनके बच्चों को उनकी जरुरत हुई वह अपने बच्चो के पास होते ..इस लिए रितु और बाकी बच्चे उनको एम्बुलेंस भी कह कर बुलाते थे ...रितु एक और घटना को याद करती हुई लिखती है कि शादी के बाद एक बड़ी सर्जरी हुई ,और उन्हें बेबी हुई जिसकी पैदा होते हो मौत हो गयी ...जब वह होश में आई तो उन्होंने देखा कि पापा उनके सामने खड़े हैं ,उनको होंसला देने के लिए ..और रितु वह पल आज तक नहीं भुला पायी है ....
दिल के कनेक्शन
शादी के बाद भी जब भी रितु पापा के घर जाती तो वह उनके साथ समय बताने का अवसर निकाल ही लेते थे .या उनसे मिलने उनके घर आ जाते थे ..जब भी पापा को ऐसा लगता था कि उनके बच्चे उनसे बात करना चाहते हैं तो वह हमेशा उन्हें अपने पास पाते ..जैसे दिल के कनेक्शन जुड़े हो आपस में ...
वह याद करती है कि पापा बहुत भावुक और केयरिंग इंसान थे और हर छोटी छोटी बात का ध्यान रखते थे ..जब भी किसी बच्चे को किसी चीज की जरुरत होती थी ,वह एक चिट्ठी लिख कर उनके तकिये के नीचे रख देते और वह चीज उन्हें मिल जाती थी ...
यह यादगार लम्हे रितु की किताब राजकपूर से लिए गए हैं ..जो पिता दिवस पर एक प्रेरणा देते हैं ...ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की ,और ज़िन्दगी को होंसले से जीतने की ..रितु भी अपने पिता की तरह बहुत रचनात्मक हैं और ज़िन्दगी को इसी सोच के साथ देखती है ,जिस सोच के साथ उनके पापा ने उन्हें जीना सिखाया कि कोशिश और मेहनत से ज़िन्दगी कि हर ज़ंग जीती जा सकती है
"ऐसी कोई ऊंचाई नहीं .जहाँ तुम नहीं पहुँच सकती ..ऐसी कोई कठिनाई नहीं है .जो तुम काम नहीं कर सकती ,बस तुम्हारी कोशिश और मेहनत सौ प्रतिशत होनी चाहिए "...जब एक पिता अपनी पुत्री को यह शिक्षा देता है ..तो कोई शक की गुंजाईश ही नहीं रहती कि उसके बच्चे ज़िन्दगी में कामयाबी हासिल न करें ...यह पंक्तियाँ स्वर्गीय राजकपूर ने अपनी बेटी रितु नंदा से कहीं .और उन्होंने भी अपने पिता के कहे को अपनी ज़िन्दगी में हुबहू उतार लिया ..
पिता की प्रेरणा
,आज पिता दिवस पर इनको दुहारने का और इनसे सीखने का अच्छा मौका और क्या हो सकता था ....हर पिता चाहता है कि उसकी संतान उस से अधिक सफलता हासिल करे ..और राजकपूर के सब बच्चों ने उनके इस सपने को सच कर दिखाया ...राज कपूर एक जाने माने स्टार थे ,उनकी व्यवस्ता बच्चो को उनके आस पास रहने का मौका काम ही देती थी ..पर रितु नंदा ने उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा ..कमिटमेंट .जीवंन की प्राथमिकता क्या है ..और उनकी प्रेरणा जो उनके साथ रही ,जिस ने उनका नाम देश विदेश में खूब हुआ ...
गुडिया की शादी
रितु बचपन की एक घटना को याद करते हुए कहती है कि मुझे याद है मेरे पास एक गुडिया थी और मैं उसकी शादी करना चाहती थी ...जब रितु ने अपने पापा से उस गुडिया की शादी की बात की तो पापा बोले वह खुद मेरी गुडिया कि शादी के सारे अरेंजमेंट्स देखेंगे ..उन्होंने रितु की गुडिया की शादी की तैयारी ठीक वैसे की जैसे असल में शादी की जाती है ..बाजा बजा .बारात आई .घर में कई तरह के पकवान बने ...रितु ने अपनी गुडिया को बहुत ही शानदार कपडे पहनाएं और खूब गहनों से उसको सजाया ......पापा और शम्मी अंकल ने मिल कर गुडिया की शादी को यादगार बना दिया और इस मौके को कैमरे में कैद कर लिया .लेकिन इस दौरान रितु को सबसे बड़ा शाक तब लगा जब विदाई के समय गुड्डे वाले उनकी गुडिया को ले कर चले गए ..रितु बहुत रोई ..तब पापा ने उनको समझाया कि शादी के बाद लड़का लड़की को अपने घर ले जाता है यही हमारी परम्परा है
..रितु की खुद की शादी महज बीस साल की उम्र में हो गयी .उनकी शादी के लिए राजकपूर जी के डोली का गीत खुद लिखा और शादी वाले दिन खुद गाया ..इतने सालों बाद भी रितु उस गीत को सुनते ही रो पड़ती है |
बच्चो की एम्बुलेंस
लाख वह व्यस्त रहे पर जब जब उनके बच्चों को उनकी जरुरत हुई वह अपने बच्चो के पास होते ..इस लिए रितु और बाकी बच्चे उनको एम्बुलेंस भी कह कर बुलाते थे ...रितु एक और घटना को याद करती हुई लिखती है कि शादी के बाद एक बड़ी सर्जरी हुई ,और उन्हें बेबी हुई जिसकी पैदा होते हो मौत हो गयी ...जब वह होश में आई तो उन्होंने देखा कि पापा उनके सामने खड़े हैं ,उनको होंसला देने के लिए ..और रितु वह पल आज तक नहीं भुला पायी है ....
दिल के कनेक्शन
शादी के बाद भी जब भी रितु पापा के घर जाती तो वह उनके साथ समय बताने का अवसर निकाल ही लेते थे .या उनसे मिलने उनके घर आ जाते थे ..जब भी पापा को ऐसा लगता था कि उनके बच्चे उनसे बात करना चाहते हैं तो वह हमेशा उन्हें अपने पास पाते ..जैसे दिल के कनेक्शन जुड़े हो आपस में ...
वह याद करती है कि पापा बहुत भावुक और केयरिंग इंसान थे और हर छोटी छोटी बात का ध्यान रखते थे ..जब भी किसी बच्चे को किसी चीज की जरुरत होती थी ,वह एक चिट्ठी लिख कर उनके तकिये के नीचे रख देते और वह चीज उन्हें मिल जाती थी ...
यह यादगार लम्हे रितु की किताब राजकपूर से लिए गए हैं ..जो पिता दिवस पर एक प्रेरणा देते हैं ...ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की ,और ज़िन्दगी को होंसले से जीतने की ..रितु भी अपने पिता की तरह बहुत रचनात्मक हैं और ज़िन्दगी को इसी सोच के साथ देखती है ,जिस सोच के साथ उनके पापा ने उन्हें जीना सिखाया कि कोशिश और मेहनत से ज़िन्दगी कि हर ज़ंग जीती जा सकती है
18 comments:
पितृ दिवस पर सुन्दर संस्मरण ............
bhavpooran..... parents ki barabari koi nahi kar sakta....
बाबुल तेरी मीठे यादे ... शीर्षक ने ही लेख को यादों मे झोक दिया .... बहुत खूब रंजू जी ... यादे ही तो रह जाती है हमारे पास
अच्छे लगे रितु की पुस्तक ’राज कपूर’ के यह अंआ...आभार प्रस्तुत करने का.
मुद्दा कोई भी हो आपकी लेखनी प्रभावित कर जाती है ....
khoobsoorat aalekh ranju jee!
अच्छा लगा राजकपूर और ऋतु नंदा के बारे में जानना
यादों की यह प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी ..आपका बहुत-बहुत आभार ।
ऋतु नंदा की किताब से लिए गए इन संस्मरणों को हम तक पहुंचाने के लिए आभार .
इन्हें पढ़ना अच्छा लगा .
बाबुल तेरी मीठे यादे ... पितृ दिवस पर सुन्दर संस्मरण ...... आभार ।
पिता की संवेदनाओं के तार उसकी संतान के साथ हर- पल जुड़े रहते हैं ,चाहे संतान कैसी भी हो / अच्छा लगा पढ़ कर....../
शुक्रिया /
raaj ji ki ye raj ki baate jaan kar bahut acchha laga.
बाबुल तेरा अंगना ,बस भाये तेरा अंगना ....बस यही बोले मेरी पायल बस यही बोले मेरा कंगना ......बहुत सुन्दर ,,,,राज जी .....
बाबुल तेरा अंगना ,बस भाये तेरा अंगना ....बस यही बोले मेरी पायल बस यही बोले मेरा कंगना ......बहुत सुन्दर ,,,,राज जी .....
बाबुल तेरा अंगना ,बस भाये तेरा अंगना ....बस यही बोले मेरी पायल बस यही बोले मेरा कंगना ......बहुत सुन्दर ,,,,राज जी .....
यादें कुछ ऐसे ही होती हैं जो रुला जाती हैं ... पितृ दिवस की उपलक्ष में ये संस्मरण पढ़ कर बहुत अचा लगा ...
बाबुल की याद करके आँखें भीग गयी । सुन्दर संस्मरण।
ऋतु नंदा की किताब से लिए गए इन संस्मरणों को हम तक पहुंचाने के लिए आभार.. .पितृ दिवस की उपलक्ष में ये संस्मरण पढ़ कर बहुत अचा लगा ...
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