Tuesday, May 31, 2011

सफ़र अनजाने


ज़िन्दगी तेरे
कुछ सफ़र
यूँ ही
 क्यों
अनजाने होते  हैं
जैसे बेनूर नजरों में
कोई चिराग नहीं जलता
बहारों का मौसम भी
पतझड़ को नहीं बदलता
और .....
तुमसे मिलने का
कोई भी वक़्त
क्यों तय नहीं होता...

29 comments:

सदा said...

वाह ... बहुत खूब यह सफर अंजाने ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Udan Tashtari said...

क्या बात है....


बहुत बढ़िया..

pallavi trivedi said...

beautiful...

Arvind Mishra said...

बहारें आयेगीं ऐसी भी क्या बेकरारी :)

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

waaahj...kam shabdon me sundar prastuti.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya khoobsurat baat kahee!!

Kailash Sharma said...

बहुत खूब !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जैसे बेनूर नजरों में
कोई चिराग नहीं जलता
बहारों का मौसम भी
पतझड़ को नहीं बदलता

बहुत मार्मिक पंक्तियाँ

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत बढ़िया
अनजाने सफ़र का कोई राहगीर नहीं होता (अंजु...अनु )

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी...

Maheshwari kaneri said...

. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति्

डॉ. मोनिका शर्मा said...

ज़िन्दगी तेरे
कुछ सफ़र
यूँ ही
क्यों
अनजाने होते हैं

बेहतरीन रचना....

दिगम्बर नासवा said...

जिंदगी शायद इसी को कहते हैं .... कब क्या हो कुछ पता नही ... .

Pawan Kumar said...

रंजना जी

"तुमसे मिलने का
कोई भी वक़्त
क्यों तय नहीं होता... !"
शानदार रचना, जितनी बार पढ़ो उतनी बार नयी और दिलकश लगे.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह बहुत सुंदर.

सु-मन (Suman Kapoor) said...

bahut khoob

Alpana Verma said...

कम शब्दों में बहुत कुछ कहती कविता .
-जब कुछ समझ न आये तो चलते रहें ..शायद मंजिल तक पहुँचने का एक रास्ता यह भी है.

Asha Joglekar said...

Jindagi ke safar aise hee anjane hote hain par jab kiseese milane kee ummeed sabse kum hotee hia to mulakat achanak ho jatee hai. Badhiya Ranju ji

रंजना said...

पीड़ा की प्रभावशाली अभिव्यक्ति....वाह..

Laxman Bishnoi Lakshya said...

shaandar rachna
please come to my blog
http://bahut-kuch.blogspot.com/

Anju (Anu) Chaudhary said...

bahut umda prastuti....bahut khub

निवेदिता श्रीवास्तव said...

प्रभावी अन्दाज़े बयाँ .........

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

yahi zindgi yahi hai jeena..
sundar prastuti.

निर्मला कपिला said...

जीवन भी और इसका सफर भी अद्भुत है वक्त से साँठ गाँठ कर चलता है। सिन्दर भाव। शुभ .का.

Rachana said...

और .....
तुमसे मिलने का
कोई भी वक़्त
क्यों तय नहीं होता...
sunder abhivyakti
rachana

श्यामल सुमन said...

सवाल से रचना की पूर्णाहूति - बेहतर अंदाज़ - वाह रंजू जी.

सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Maheshwari kaneri said...

जैसे बेनूर नजरों में
कोई चिराग नहीं जलता
बहारों का मौसम भी
पतझड़ को नहीं बदलता ..बहुत बढ़िया....बहुत मार्मिक पंक्तियाँ

TOC NEWS said...

बहुत बढ़िया..likhte rahr u hi.

VINAY G. DAVID,
EDITOR- TIMES OF CRIME
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M.P. OFF :- 23/T-7, GOYAL NIKET, PRESS COMPLEX, ZONE-1, M.P. NAGAR, BHOPAL [ M.P.] 4620111
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CA Amit Shah said...

very nice...! :-)