अटक जाता है मन
किसी ठहरे हुए
लम्हे पर
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!
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Monday, October 11, 2010
Monday, October 04, 2010
यूँ ही
डायरी के
पुराने पीले
पन्नो में
मिली है ..
कुछ यादें पुरानी
कुछ लफ्ज़
कुछ तस्वीरें
सोच में हूँ ...
क्या तुम भी
यूँ ही
मिल जाओगे कभी ?
पुराने पीले
पन्नो में
मिली है ..
कुछ यादें पुरानी
कुछ लफ्ज़
कुछ तस्वीरें
सोच में हूँ ...
क्या तुम भी
यूँ ही
मिल जाओगे कभी ?
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