Monday, October 11, 2010

अटके हुए पल

अटक जाता है मन
किसी ठहरे हुए
लम्हे पर
वह लम्हा
जो तेरे संग
कभी बचपने को चूमता
और कभी तेरी बातो सा
संजीदा हो जाया करता था
न जाने कब
अटके हुए यह पल
तेरी तरह
अब न आने की
कसम खायेंगे !!!

Monday, October 04, 2010

यूँ ही

डायरी के
पुराने पीले
पन्नो में
मिली है ..
कुछ यादें पुरानी
कुछ लफ्ज़
कुछ तस्वीरें
सोच में हूँ ...
क्या तुम भी
यूँ ही
मिल जाओगे कभी ?