Thursday, September 09, 2010

चाँद रात


मेरी नजरों की चमक
तेरी ...
नज़रों में बंद
कोई चाँद  रात है

उलझी हुई सी धागे में
यह कोई जीने की सौगात है

और जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!

28 comments:

के सी said...

जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!


वाह वाह बहुत खूब

Anonymous said...

मैंने कहा 'सुन'
चौंक कर आँखे खोल दी उसने.
झपट ली मैंने मेरी चाँद रात
और अब मिल के बतियाते हैं हम
मैं और मेरी चाँद रात
तू नही कह सका पर कहती है मुझसे
ये रात 'तुझसे' ही जिन्दा हूं ए चाँद मैं !

वाह आप! वाह आपकी नजर की चमक और वाह चाँद रा.....????
अरे! अब आपकी कहाँ ????
वो तो मेरे पास है रंजनाजी !
पक्की चोरनी हूं,
ऐसिच हूं मैं सच्ची

seema gupta said...

और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
"काश ये लम्हा ता उम्र यूँही तारी रहे...बेहद कशिश भरी अभिव्यक्ति...."

regards

Manoj K said...

उलझी हुई सी धागे में
यह कोई जीने की सौगात है

आँखें एक दूसरे से उलझी हुई ...!!!
क्या खूब कह दिया .. वाह

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी

विजय तिवारी " किसलय " said...

वाह,
शब्द सामर्थ्य इसे कहते हैं.
सुंदर अभिव्यक्ति.

और जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के

- विजय तिवारी

कुश said...

ऐसे लम्हे यादो की किसी गुल्लक में अक्सर जमा कर लिए जाते है..

नीरज मुसाफ़िर said...

बहुत खूब।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत एहसास ...सुन्दर रचना ...

दिगम्बर नासवा said...

और जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है ...

बहुत खूब .. काश ये लम्हा ख़त्म ही न हो ....

Abhishek Ojha said...

ओह !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है!

DR.ASHOK KUMAR said...

वाह! लाजबाव अभिव्यक्ति। चाँद रात आपके शब्दोँ से सजकर और भी रौशन हो गई। आभार। -: VISIT MY BLOG :- जब तन्हा होँ किसी सफर मेँ................ गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।

Arvind Mishra said...

मुक़द्दस प्यास ! :)

वन्दना अवस्थी दुबे said...

मेरी नजरों की चमक
तेरी ...
नज़रों में बंद
कोई चाँद रात है
वाह! कमाल है!

रचना दीक्षित said...

वाह वाह बहुत खूब, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति भाषा, लय मर्म सब कुछ एक साथ!!!!!!!!!!!!!!

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

"और जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!"

जी लिया इस मंजर को..

Asha Joglekar said...

कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
Bahut sunder. ye lamha hee to such hai.

निर्मला कपिला said...

और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
"काश ये लम्हा ता उम्र यूँही तारी रहे
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति। बधाई।

Anonymous said...

bahut khoob
shandar

ZEAL said...

मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
..

Lovely lines !

badhaii.
.

अनामिका की सदायें ...... said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.

अंजना said...

बहुत बढ़िया!

गणेश चतुर्थी एवं ईद की बधाई

हरकीरत ' हीर' said...

बड़े करीने से सजाई है मुकद्दस मोहब्बत ....!!

रंजना said...

वाह...मोहक भावपूर्ण बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति..

Mohinder56 said...

सही है.
जब आमना सामना हो उससे बढिया घडी कौन सी हो सकती है.

"इस इक नजर की चाहत में मर मिटे कितने
खुशकिस्मत हो तुम्हें उनका दीदार हुआ तो"

लिखते रहिये

neelima garg said...

It's a pleasure to be on ur blog anytime......

अपूर्व said...

एक लम्हे की चाहत..एक चमकती नज़र के शरर मे जल कर खो जाने की ख्वाहिश सी खूबसूरत..प्यार का हर लम्हा ऐसाअ मुकद्दस और संजीदा होता है..बेहतरीन!!