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Wednesday, October 21, 2009
कोई तो होता .....
कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला
सुबह के आगोश से उभरा
सूरज सा दहकता
रात भर चाँद सा चमकने वाला
पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला
दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!
रंजू भाटिया
Tuesday, October 20, 2009
दुनिया अजब गजब
क्या आप जानते हैं कि कहने को तो सब जीव जंतु के खून का रंग लाल होता है पर टिड्डी एक ऐसा कीट है जिसका रक्त का रंग सफ़ेद होता है ..
तितली की स्वाद ग्रंथि उसके पिछले पैरों में होती है
हाथी के दांत दो या तीन बार नहीं पूरे जीवन काल में यह छः बार निकलते हैं
शहद आपको अच्छा लगता है पर इसको इकठ्ठा करने में सिर्फ़ एक पाउंड शहद बनाने में बीस लाख फूलों से पराग इकठ्ठा करती है मधुमखी.... कितनी मेहनत का काम है न
खटमल तीन सालों तक बिना भोजन किए जीवित रह सकता है .क्या यह किसी और के लिए संभव है किसी भी पक्षी का दसवां अंडा सभी नौ अण्डों से बड़ा होता है यह बहुत बार देखा गया है ..
सभी पक्षी पेड़ पोधों के साथ धरती पर बैठते उड़ते रहते हैं ..पर हीरल चिडिया एक ऐसी चिडिया है जो कभी भी किसी भी अवस्था में कहीं नही बैठती है और चलते चलते इंसान की बात ..
क्या आप जानते हैं कि फ्रांसीसी लोगो का प्रिय भोजन है मेंढक की टाँगे ...फ्रांस को अपनी खपत का अधिकतर भाग आयत करना पड़ता है.... बीते दशक में सम्पूर्ण यूरोप में ६२०० तन मेढक की टाँगे आयत की गयीं... इस में ४४ % फ्रांस ४२% बेल्जियम और लक्ज्म बर्ग और १४% इटली द्वारा खरीदी गयीं ..और बाकी तुर्की .चीन एनी देश से भी फ्रांस ३००० से ४००० टन मेढक की टाँगे आयत करता है अकेले भारत वर्ष ने सिर्फ़ १९८१ में साढ़े चार हजार टन मेढक की टाँगे निर्यात करी थी ..जिनसे हमें लगभग एक करोड़ डालर की विदेशी मुद्रा मिली थी ..यह निर्यातइतना बढ़ गया था कि कोलकाता के आस पास के क्षेत्रं से मेंडक के समूल नस्त हो गए थे और अंत में १९८७ में देश में मेंढक की टांगो के निर्यात पर रोक लगानी पड़ी
अब जर्मनी और अन्य देश यह सुझाव दे रहे हैं कि कुछ विशेष जाती के मेंढक को जातियीं को सरंक्षित घोषित कर दिया जाए नही तो यह जातियाँ विश्व से लुप्त हो जायेगी....तोबा कुछ भी खातें है कुछ लोग :)
तितली की स्वाद ग्रंथि उसके पिछले पैरों में होती है
हाथी के दांत दो या तीन बार नहीं पूरे जीवन काल में यह छः बार निकलते हैं
शहद आपको अच्छा लगता है पर इसको इकठ्ठा करने में सिर्फ़ एक पाउंड शहद बनाने में बीस लाख फूलों से पराग इकठ्ठा करती है मधुमखी.... कितनी मेहनत का काम है न
खटमल तीन सालों तक बिना भोजन किए जीवित रह सकता है .क्या यह किसी और के लिए संभव है किसी भी पक्षी का दसवां अंडा सभी नौ अण्डों से बड़ा होता है यह बहुत बार देखा गया है ..
सभी पक्षी पेड़ पोधों के साथ धरती पर बैठते उड़ते रहते हैं ..पर हीरल चिडिया एक ऐसी चिडिया है जो कभी भी किसी भी अवस्था में कहीं नही बैठती है और चलते चलते इंसान की बात ..
क्या आप जानते हैं कि फ्रांसीसी लोगो का प्रिय भोजन है मेंढक की टाँगे ...फ्रांस को अपनी खपत का अधिकतर भाग आयत करना पड़ता है.... बीते दशक में सम्पूर्ण यूरोप में ६२०० तन मेढक की टाँगे आयत की गयीं... इस में ४४ % फ्रांस ४२% बेल्जियम और लक्ज्म बर्ग और १४% इटली द्वारा खरीदी गयीं ..और बाकी तुर्की .चीन एनी देश से भी फ्रांस ३००० से ४००० टन मेढक की टाँगे आयत करता है अकेले भारत वर्ष ने सिर्फ़ १९८१ में साढ़े चार हजार टन मेढक की टाँगे निर्यात करी थी ..जिनसे हमें लगभग एक करोड़ डालर की विदेशी मुद्रा मिली थी ..यह निर्यातइतना बढ़ गया था कि कोलकाता के आस पास के क्षेत्रं से मेंडक के समूल नस्त हो गए थे और अंत में १९८७ में देश में मेंढक की टांगो के निर्यात पर रोक लगानी पड़ी
अब जर्मनी और अन्य देश यह सुझाव दे रहे हैं कि कुछ विशेष जाती के मेंढक को जातियीं को सरंक्षित घोषित कर दिया जाए नही तो यह जातियाँ विश्व से लुप्त हो जायेगी....तोबा कुछ भी खातें है कुछ लोग :)
Wednesday, October 07, 2009
Tuesday, October 06, 2009
चाँद रात --रूमानी चाँद (भाग _२)
रूमानी चाँद (भाग _१) आपने पढ़ा और पसंद किया ,शुक्रिया
चाँद रात ..
मेरी नजरों....
की चमक....
तेरी नजरों ...
में बंद...
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
और
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
*****************************************************
ऐ चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना
और ....
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
रंजना (रंजू ) भाटिया
चाँद रात ..
मेरी नजरों....
की चमक....
तेरी नजरों ...
में बंद...
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
और
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
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ऐ चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना
और ....
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
रंजना (रंजू ) भाटिया
Sunday, October 04, 2009
रूमानी चाँद (भाग _१)
यह हफ्ता चाँद के नाम है ...अब तक न जाने कितनी पंक्तियाँ लिखी गई है मुझसे भी चाँद पर ...क्यों हर लिखने वाले दिल के लिए चाँद हमेशा ख़ास रहा है ..दूर गगन में चमकता चाँद दिल के बहुत करीब महसूस होता है ,रूमानी चाँद .उदास चाँद .बोलता चाँद .अंधा चाँद .आधा चाँद ..न जाने कितने पल लिखे गए इस चाँद के नाम ......अब तक जो पोस्ट हुई या जो नही हुई वह इस चाँद हफ्ते के नाम पर ...शुक्रिया
दिल की जमीन से
रूह के मुहाने तक
तेरी याद
जैसे नदी के
हिलते पानी में
तैरता हुआ दिखता
चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!
********************************************
चाँद.......
मुट्ठी में भर
छिपा लूँ...
सारी चाँदनी
बैरी जग को बता दूँ
कि जिसे वो
दाग़दार समझता है
वो ही चाँद
उसकी जिंदगी में
शीतल छाँव भरता है..
***************************************
पायल की बजती
रुनझुन में
कजरे की धार में ..
यूँ ही चुपके से
आ कर तेरे कानों में
चाँद सितारों के संग
कह जाती हूँ
मैं अपनी बात !!
रंजना (रंजू) भाटिया
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