Tuesday, October 06, 2009

चाँद रात --रूमानी चाँद (भाग _२)

रूमानी चाँद (भाग _१) आपने पढ़ा और पसंद किया ,शुक्रिया


चाँद रात ..

मेरी नजरों....
की
चमक....
तेरी
नजरों ...
में
बंद...
कोई
चाँद सी रात है ..
उलझे
हुए से धागे में
कोई
जीने की सौगात है..
और
जब
यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं
हैं.....
मेरे
चेहरे पर ठिठक कर....
तब
यह एहसास
और
भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस
यही लम्हा अच्छा है !!


*****************************************************
चाँद ...
यूँ बहलाओ
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना
और ....
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....

रंजना (रंजू ) भाटिया

37 comments:

seema gupta said...

उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
खुबसूरत ख्यालात सुन्दर
regards

Mishra Pankaj said...

मेरी नजरों....
की चमक....
तेरी नजरों ...
में बंद...
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..

खुबसूरत रचना

Tapashwani Kumar Anand said...

bahut hi sundar aur bebaki se likhi hui rachna.

bahut bahut dhnyawad!!1
kafi dino ke baad aapka ashirwad pakar achcha laga..
ummid hai ki aage bhi aapke comment milte rahenge

ओम आर्य said...

बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
जब इंसान प्यार मे हो तो ऐसी एहसासे हर एक पल सताती है हर एक क्षण छलती है दूर कही लेकर चली जाती है मानो मृग कस्तुरी को देखकर भागे जा रहा हो उसे पाने की चाहत मे .........ऐसी ही एहसास से सराबोर कर गयी आपकी रचना........बधाई!

Arvind Mishra said...

बेहतरीन यह भी !

सदा said...

उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..

बहुत ही सुन्‍दर ख्‍यालों से चांद की हकीकत को प्रस्‍तुत किया आपने ।

समयचक्र said...

चाँद पे रूमानी ख्यालो पर ये कविता बहुत बढ़िया लगी. आभार

मुकेश कुमार तिवारी said...

रंजना जी,

इन पंक्तियों में तो जैसे मुहब्बत करने वालों के लिये कोई फलसफा लिख दिया हो आपने, दूरियाँ मुहब्बत को कम नही करती बल्कि कुछ और बढ़ा देती हैं :-

बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....

बहुत प्यार भरी रचना, सुन्दर भाव मन मोह लेते हैं।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

अनिल कान्त said...

कितने खूबसूरत ख़्याल हैं
मज़ा आ गया पढ़कर

प्रिया said...

Wow good one

कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..

और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!

aapka chaand bha gaya hamko

vandana gupta said...

sundar ahsason se bhari rachna

Udan Tashtari said...

जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!

-वाह!!

दोनों ही रचनाएँ उतर गई कहीं दिल में बहुत गहरे.

रश्मि प्रभा... said...

उलझे हुए से धागे में, जीने की सौगात ... bahut hi suljhe shabdon me

M VERMA said...

कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
बहुत खूबसूरत
दिल को छूने वाली रचनाए.

सुशील छौक्कर said...

सुन्दर ख्यालों को चमकते हुए शब्दों से कह दिया। बहुत खूब।

mehek said...

बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
gehre jazbaat bahut sunder

सुशीला पुरी said...

बिलकुल यूँ लगा जैसे कोई खुबसूरत फिल्म देखकर लौटी हूँ .........

दिनेशराय द्विवेदी said...

ये कविताएं मुझे तो अतीत में ले जा रही हैं।

केतन said...

जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....

ye panktiyan chhoo gayi

शरद कोकास said...

मुझे तो चान्द का यही रूमानी रूप पसन्द है ।

Alpana Verma said...

जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!

-वाह! कितनी खूबसूरती से इस गहरे भाव को शब्द दे दिए आप ने!
-यही तो खूबी है आप की कविताओं में रंजना जी मन के भाव बड़ी सुन्दरता से पिरोये हुए होते हैं!

अशरफुल निशा said...

चांद के बारे में आपने चांद जैसी ही सुंदर कविता रची है।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
----------
बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?

रंजना said...

मन के गहरे भाव शब्दों में सज ऐसे निखर उठे हैं कि इनमे मन खो जाता है....वाह ! वाह ! वाह !

दोनों ही रचनाएँ अद्वितीय...

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

मेरी पसद :
"बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ...."

सारी की सारी बेहतरीन..आप एक और कविता सन्ग्रह क्यू नही निकालती :)

btw आपने हमारे ब्लाग की तरफ़ आना ही छोड दिया है, कोइ खता हमसे?? :P

निर्मला कपिला said...

जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
is sइए खूबbसूरत एहसास प्यार के लिये क्या हो सकता है बहुत सुन्दर रचना है बधाई

Vipin Behari Goyal said...

कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!

बेहद सुंदर पंक्तियाँ हैं
किसीको शिद्दत से चाहो तो ऐसा ही होता होगा

पूनम श्रीवास्तव said...

Chand ko lekar likhi gayee khoobasurat kavita----
Poonam

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

ऐ चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना

bahut sunder lines .............

umadti bhaavnaon ko darshaati ek behtareen kavita........

Murari Pareek said...

bahut sundar rachnaa !!

दिगम्बर नासवा said...

चाँद को और khoobsooat banaati chaandni में rangee आपकी दोनों rachnaayen लाजवाब हैं ..........

समय said...

शायद ये पंक्तिया अच्छी हैं?

‘जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!’

क्या नहीं?
अधिकतर पसंद इन्होंने ही प्राप्त की है।

अच्छा है इन लम्हों को संभालना,...रोज़ जीना।

अपूर्व said...

वाह चाँद से इतनी खूबसूरत वार्ता की कल्पना तो इसरो वालों ने भी न की होगी..
और इन पक्तियों मे तो कमाल हो गया
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..

कितनी जिंदगी हमारी उन धागों को सुलझाने मे निक्ल जाती है..और कभी अगर बेसब्री ने उन धागों को तोड़ दिया तो फिर पछतावा ही रह जाता है हाँथ मे..खूबसूरत..आपकी कलम का कमाल.

rashmi ravija said...

बेहद ख़ूबसूरत पंक्तियाँ हैं....मन को छू लेने वाली..
''कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!''
कहाँ मयस्सर है सबको एक ऐसा लम्हा....

Ashish Khandelwal said...

सुंदर

हैपी ब्लॉगिंग

शोभना चौरे said...

bahut sundar bhavabhivykti.
shubhkamnaye

Asha Joglekar said...

चांदनी फैलाती हुई कविताएँ । बहुत सुंदर ।

ज्योति सिंह said...

चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना.
bahut khoobsurat .