Tuesday, August 18, 2009

एक छोटा सा ख्वाब ..

42 comments:

Razi Shahab said...

bahut khoobsurat kavita ...

सदा said...

रात भर मेह टप-टप टपकता रहा


बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति, आभार्

Alpana Verma said...

'saath rah kar bhi dil tumhen talaash karta raha..'

khubsurat abhivyakti aur kavita ki chitrmay
prastuti bhi bahut sundar hai.

अमिताभ मीत said...

Bahut khoob.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

shaayad isi meeh ne shastri ji ke khateema mein baadh laa di...
sundar rachna ranjana ji...

अनिल कान्त said...

बेहद खूबसूरत भाव लिए हुए

Mishra Pankaj said...

सुन्दर रचना रंजना जी .
क्या मै जान सकता हु मेह क्या होता है ?
आभार
pankaj

surya goyal said...

आपके पुरे ब्लॉग का चक्कर लगा कर आ रहा हूँ. वाकई प्रत्येक पंक्तियों में बड़े ही सुन्दर भावः पेश किये है आपने. बधाई. आपकी और मेरी लेखनी में मात्र इतना ही फर्क है की आप अपने दिल के भावः को शब्दों में पिरो कर कविता बनाते हो और मै उन्ही शब्दों से गुफ्तगू करता हूँ. मेरी गुफ्तगू पर आपका भी स्वागत है. www.gooftgu.blogspot.com

vandana gupta said...

bahut hi khoobsoorat prastuti.........bahut hi pyara khwab.

रंजन said...

बहुत सुन्दर..

Himanshu Pandey said...

यह पंक्तियां तो गहरे उतर गयीं -
"एक गीला सा ख्वाब मेरी आँखों में चलता रहा
काँपती रही मैं एक सूखे पत्ते की तरह ।

दिगम्बर नासवा said...

कविता और chitr दोनों एक ही kahaani कहते huve ......... kamaal है ............ लगता है chitron सी nikle शब्द हैं................. lajawaab

नीरज गोस्वामी said...

प्रशंशा के लिए शब्द नहीं हैं रंजना जी ...वाह...भावपूर्ण रचना रचने में आप सिद्ध हस्त हैं...
नीरज

Arvind Mishra said...

शाश्वत प्रतीक्षा -बहुत सुन्दर कविता !

mehek said...

sunder manobhav,aur hubsurat prastuti,badhai.

जीवन सफ़र said...

बूंदो मे लिपटी पंक्तियां वाह अति सुंदर|

सुशील छौक्कर said...

सुन्दर भाव से लिखी गई एक बेहतरीन रचना। सच पूछिए तो एक शब्द "मेह" ने तो मेरा मन मोह लिया। और हाँ ये फोटो पर रचना कैसी लिखी जाती है। हमें भी बता दीजिए बेटी पर लिखी एक आध तुकंबदी को लिख सके।

अर्चना तिवारी said...

सुन्दर भाव..बहुत सुन्दर बेहतरीन कविता

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हम तो बाढ़ से परेशान हैं,
मगर आपकी इस सुन्दर रचना के लिए
बधाई तो दे ही देते हैं।

ताऊ रामपुरिया said...

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. चित्र पर इसे छपा देखकर और भी नयनाभिराम लगा.

रामराम.

रश्मि प्रभा... said...

लरजती भावनाओं को खूबसूरत शक्ल दे दी

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर कविता का सुंदर प्रस्तुतिकरण!

हेमन्त कुमार said...

बहुत सुन्दर एहसास वाली कविता.आभार।

वाणी गीत said...

बहुत खूबसूरत ...!!

Mumukshh Ki Rachanain said...

भावपूर्ण सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई.

Arshia Ali said...

बहुत खूबसूरत है यह ख्वाब।
( Treasurer-S. T. )

अर्चना said...

मेरे दिल मे तुझे पाने का सपना पलता रहा--सपनो की दुनिया की रचती हुई एक कविता. बधाई.

jamos jhalla said...

paani ki boondo ki thandak aur milan ki chaahatki garmi ka khoobsoorat chitran.badhaai.
jhalli-kalam-se
angrezi-vichar.blogspot.com
jhalli gallan

गौतम राजऋषि said...

कितना डूब कर लिखती हैं आप...और ये कविता के संपूर्ण बैक-ग्राउंड में कैसे लगाया तस्वीर?

Kavi Kulwant said...

sundar anubhuti

सतपाल ख़याल said...

raat bhar meh tap-tap barasta raha aur tum booNd-booNd yaad aate rahe..kya baat hai...aisa laga ki koee phool ki pankhuRee par aakar thahar gaya ho...ati-sundar

Ashish Khandelwal said...

bahut achche bhav piroye hain aapne.. happy blogging

Ashish Khandelwal said...

bahut achche bhav piroye hain aapne.. happy blogging

vikram7 said...

कि तुम मेरे साथ थे मेरे हर पल
फिए भी न जाने क्यूं तुम्हे यह दिल तलाश करता रहा
अति सुन्दर भाव लिये बेहतरीन रचना

Asha Joglekar said...

Ratbhar meh tapakta raha
tum boond boond yad aate rahe
Bahut sunder.

रंजना said...

संयोग और वियोग दोनों एकसाथ.....वाह !!! प्रेम इसी को तो कहते हैं....
अद्भुत अभिव्यक्ति....

शोभना चौरे said...

sundar kvita man mohti .

Abhishek Ojha said...

कविता तो अच्छी है ही श्रृंगार भी अच्छा बन पड़ा है.

मस्तानों का महक़मा said...

आपकी कई लाइने मुझे लुभावक लगती है इसलिये पढ़ते रहने का मन करता है...
बहुत ही सुन्दर शब्दों से किसी बहाव में तेरती रहती हो आप...

रचना त्रिपाठी said...

बेहतरीन!!लाजवाव!! बहुत खूब!! रंजनाजी
तुम साथ थे मेरे हर पल
फिर भी ना जाने क्युं तुम्हें यह दिल तलाश करता रहा

Bhuvan Gupta said...

Nice one.. I loved it

Science Bloggers Association said...

Khwaab hamesha pyare lagte hain, kyonki ve khwaab hote hain.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }