Wednesday, August 12, 2009

उलझने ....


कई उलझने हैं ..........
कई रोने के बहाने हैं ...
कई उदास बातें हैं ..
कई तन्हा रातें हैं ..
पर ........पर ....
जब भी तेरी नजरें मेरी नजरो से
तेरी धड़कने मेरी धडकनों से
और तेरी उँगलियाँ मेरी ऊँगलियों से
उलझ जाती है ..........
तो सारी उलझने
सारी उदास बातें ,तन्हा रातें
ना जाने कैसे खुद बा खुद सुलझ जाती है ..........

46 comments:

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

mehek said...

ye sparsh ka jaaadu hai,jo uljhano ko suljha jaaye,sunder bhavbhini rachana badhai

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...शुभकामनाएं.

रामराम.

Mishra Pankaj said...

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ती रंजू जी

डॉ .अनुराग said...

देखिये कितनी हसीन उलझने है

M VERMA said...

क्या भाव है !!
अत्यंत सुन्दर रचना

Akanksha Yadav said...

Khubsurat bhav....behatrin abhivyakti !!
"वन्देमातरम और मुस्लिम समाज" को देखें "शब्द-शिखर" की निगाह से...

दिगम्बर नासवा said...

वाह...........क्या बात कही है..... सच कही है........... सब उलझाने खुद बा खुद सुलझ जाती हैं........... किसी के साथ का, होने न होने का कितना फर्क होता है.......... लाजवाब.........

विनोद कुमार पांडेय said...

उलझन और उसका निजात बस इसी दो पहलू मे ही तो जिंदगी बसी है..

बेहतरीन अभिव्यक्ति,
सुंदर भाव..
बढ़िया कविता!!!

ओम आर्य said...

kya bat hai ..........bilkul sahi hai .....likha hai aapane ...........khubsoorat

Arshia Ali said...

Ye jeevnee shakti ka chamatkaar hai.
{ Treasurer-S, T }

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

kya uljhane bhi itni rochak ho sakti hai...
perfect example...
excellent...

रश्मि प्रभा... said...

बहुत सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति .........

vandana gupta said...

sundar abhivyakti

मोहन वशिष्‍ठ said...

बहुत सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति

नीरज गोस्वामी said...

वाह रंजना जी वाह...लाजवाब रचना...भाव विभोर कर दिया आपने...वाह...
नीरज

सुशील छौक्कर said...

बेहतरीन शब्दों में एक सच्ची बात कह दी आपने।

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

उलझन और सुलझन.. बहुत खूब अभिव्यक्ति.. हैपी ब्लॉगिंग

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

उलझन और सुलझन.. बहुत खूब अभिव्यक्ति.. हैपी ब्लॉगिंग

Arvind Mishra said...

वाह ,कविता वही जो मन भा जाये !

संगीता पुरी said...

उलझनें ही उलझनों को सुलझा देती हैं .. क्‍या गजब की अभिव्‍यक्ति है .. बहुत सुंदर !!

रंजन said...

जब भी तेरी नजरें मेरी नजरो से
तेरी धड़कने मेरी धडकनों से
और तेरी उँगलियाँ मेरी ऊँगलियों से
उलझ जाती है ..........
तो सारी उलझने
सारी उदास बातें ,तन्हा रातें
ना जाने कैसे खुद बा खुद सुलझ जाती है .....

बहुत सुन्दर..

अमिताभ मीत said...

वाह ! बेहद खूबसूरत. लाजवाब अंदाज़.

प्रिया said...

seedhi, sapaat choti par gahri, marmik aur pyari baatein.... Liked it.

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर और गंभीर अहसास!

शेफाली पाण्डे said...

बहुत सुंदर ....

Asha Joglekar said...

Ulzan sulaz jatee hain jab priy mil jate hain..... wah .

आदित्य आफ़ताब "इश्क़" aditya aaftab 'ishq' said...

आपकी अभिव्यक्ती को प्रणाम ! इश्क में खलल हो तो वह और सबल हो जाता हैं .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति.
बधाई!

Anita said...

बहुत ही खूब लिखा है आप ने... कितने सरल शब्दो मे सब कह दिया आपने.
*
महबूब की अदओ मे राज़ कई गहेरे है!
उनकी मोहब्बत के बिना हम तन्हा अकेले है!!

अनिल कान्त said...

बहुत प्यारी रचना है जी

vijay kumar sappatti said...

ranjana ji , kam shabdo me bahut behatreen warnan .... bhavnaaye jaise ek ek shabd me apni baat kah rahi hai ...

badhai ho ji ..

namaskar.

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

मस्तानों का महक़मा said...

padkar bahut hi achcha laga ... kisi bhaw ko shabdo me utrta hua to dekha tha par itni sahejta nahi dekha ... bahut ahche ... kuch dav-pej hume bhi sikha dijiye hum ..... ha ha ha aha

Reetika said...

tum mein kuch, mujh mein kuch, baaton hi baaton mein simat gaya sabhi kuch !!

Himanshu Pandey said...

भावना के हर फलक मौजूद रहते हैं आपकी कविताओं में । आभार ।

art said...

bahut hi sundar likha hai ranju di...........

Alpana Verma said...

उलझने भी कितनी खूबसूरत हो जाती हैं!
थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह गयी कविता!

hem pandey said...

किसी हमदम, हमराह का साथ ऐसा ही सुकून देता है.

रंजना said...

Waah !! Waah !!Waah !!

Kya baat kahi hai aapne Waah !!!

Dil me seedhe utarti lajawaab rachna ke liye aapko badhai...

Vipin Behari Goyal said...

ह्रदयस्पर्शी

jamos jhalla said...

krishan gopal ke janm ki lakh lakh vadhaaiyaan.
ranjanaa ji aapki uljhne to is kadar badi
ki sab aasaan ho gai.
jindgi gulistaan ho gai.
humko maaloom he lekin sparsh
aapki rachnaa ki jaan ho gai.
jhalli-kalam-se
angrezi-vichar.blogspot.com

गौतम राजऋषि said...

अहा!..सहज कोमल शब्दों में लाजवाब अभिव्यक्ति मैम!

हेमन्त कुमार said...

बहुत ही सुन्दर,आभार।

Anonymous said...

beauty with words.. really touched, keep it up.

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

तेरी धड़कने मेरी धडकनों से
और तेरी उँगलियाँ मेरी ऊँगलियों से
उलझ जाती है ..........
तो सारी उलझने
सारी उदास बातें ,तन्हा रातें
ना जाने कैसे खुद बा खुद सुलझ जाती है ....

Tariff se se badhkar...

केतन said...

रंजना मैम.. बड़ी सरल सी.. प्यारी सी नज़्म है.. लेकिन बड़ा गहरे मानी लिए हुए है.. पढ़कर मज़ा आ गया..