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Thursday, March 12, 2009
झूठा सच ....
चाहता है ..
कौन किसको कितना ..
कौन ,दिन -रात
बेकरार रहता है
बसती हैं आंखों में
छवि किसकी ..
और किसकी ...
एक हाँ सुनने को
यह दिल ...
हर लम्हा तडपता है
मन ही तो है..
जो है बावरा..
पा लेना चाहता है
सब कुछ ...
जैसे ही बंद करता है
एक "हाँ "मुट्ठी में..
वह बात ...
पलक झपकते ही
बन के हवा..
कहीं उड़ जाती है....
और दिल के आईने में
बनी एक आकृति
एक साया सा
बन के रह जाती है
तब ....
दिल नही चाहता मेरा
कि .....
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !!
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47 comments:
bahut badhia likha hai aapane
उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे
फिलहाल, हमने तो पढ़ लिया। पसंद भी आया।
बहुत पसंद आयी ये रचना । कितनी बढ़िया अभिव्यक्ति है प्यार की । धन्यवाद
बेहतरीन रंजना जी बहुत खूब...आप तो शब्दों की जादूगर हैं...
नीरज
सपनों से बाहर निकलने की प्रक्रिया ऐसी ही है। सुंदर और गंभीर कविता।
गहरा प्रश्न है ... जब मन बांबरा होता है तो अच्छे बुरे, खरे खोटे और अपने पराये का भेद मुश्किल से कर पाता है..
आपकी कविता भी तो यही कहती है
जैसे ही बंद करता है
एक "हाँ "मुट्ठी में..
वह बात ...
पलक झपकते ही
बन के हवा..
कहीं उड़ जाती है....
और दिल के आईने में
बनी एक आकृति
एक साया सा
बन के रह जाती है
फ़िर भी सभी इसी तलाश में हैं... देखें कौन खोज पाता है
सुन्दर अभिव्यक्ति.. बधाई
गूढ कविता।
होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।
मखमली भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति .
मखमली भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति .
उस हाँ की तलाश कहाँ कहाँ ले आती है...खूबसूरत लिखा है आपने.
रंजना जी,
उपमाओं और भावनाओं से भरी सुन्दर अभिव्यक्ती. दिल खुश कर दिया विशेषतयः इन पंक्तियों ने :-
तब ....
दिल नही चाहता मेरा
कि .....
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे
मुकेश कुमार तिवारी
हाँ का उत्तर मिल गया तो, प्रश्न हल हो जायेगा।
जब समय अनुकूल होगा,मन मुरादें हो पायेगा।।
बहुत बढ़िया रंजना जी बधाई
Ek baat kahun? Itani achchi kavita koi un hi nahin likhata.. Kahin to kuch hai ...koi baat..koi yaad. koi lamha.. koi tanha.. koi u hi nahin likhta
Ek baat kahun? Itani achchi kavita koi un hi nahin likhata.. Kahin to kuch hai ...koi baat..koi yaad. koi lamha.. koi tanha.. koi u hi nahin likhta
बहुत सही है. बहुत गहरी.
बहुत सही है. बहुत गहरी.
निःशब्द हूँ मैं
बहुत पसंद आया
सुंदर अभिव्यक्ति .
आप सभी को होली के पावन पर्व की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।
goodh abhivyakti
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !!
दिल के भावों की सुन्दर प्रस्तुति।
'मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...'
Wah! Wah!!!!! Waaah!!!!!!!
behad sundar kavita...
bahut hi nazuk se bhavon ko khubsurati se shbdon mein bandha hai...
pasand aayi aap ki yah kavita bhi..
बहुत सुन्दर रचना है। हाँ ना को ही पकड़े पकड़े जीवन कब हाथों से निकल जाता है पता ही नहीं चलता।
घुघूती बासूती
दिल नही चाहता मेरा
कि .....
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !!
सुंदर अभिव्यक्ति .बधाई.
क्या कहें जी आपकी लेखनी तो जादू बिखेरती है। बहुत सुदंर रचना।
रंजना जी,
अच्छी लगी आपकी यह रचना
तब ....
दिल नही चाहता मेरा
कि .....
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !!
kabhi kabhi lafz bhi possesive bana dete hai,jaise ki wo "haa".dil de nilki aawaz sunder jazbaaton mein ghuli hai,sunder rachana.
*"चाहता है ..
कौन किसको कितना .."
नहीं जानता कोई..... न तुम न मैं... और जिसे चाहते है.. वो भी जानने की कोसिस नहीं करता...
*"मन ही तो है..
जो है बावरा..
पा लेना चाहता है
सब कुछ ..."
सच है... मन ही तो है बावरा.
mann ki komal anubhutiyon se purn rachna...bahut achhi
अहसासों की कविता
मन ही तो है. बहुत ही प्यारी रचना. आभार.
अति सुंदर लगी आप की यह रचना
धन्यवाद
निसंदेह, एक बहुत ही अच्छी रचना। उस हां कोई मेरे अतिरिक्त पढ़े। बहुत खूब।
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !!
सच कहा आपने,
पर ब्लॉग पर तो टिप्पणी सभी पढ़ रहे हैं!!!!!!!!!!!!!!!!!
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर कविता.
बहुत खूब.. बावरे मन के लिए "हां" को छिपाकर रखना ही सबसे बड़ी दुविधा होती है..
hi,,,beautiful poem....keep writing.
by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
recently i was searching for the user friendly an Indian language typing tool and found.... "quillpad". do u use the same...?
heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration...?
Expressing our views and opinion in our own mother tongue is a great feeling...
try this, www.quillpad.in
Jai ..Ho....
pyaar ki talaash ek sundar abhiwyakti.jab 'haan' ek hawa ban ke uad jaati hai to sach much fir dil nahin chaahata ki likhe huye lafjon men koi us tum ko talaash kare.
साधुवाद.
ये तो कोन्फेसन सा लगता है मोहतरमा ! वैसे अच्छा लगा
बहुत ही प्यारा लिखा है आपने
रंजना जी
दिल नही चाहता मेरा
कि .....
मेरे लिखे लफ्जों में
कोई तुम्हे तलाश करे
साकार करे ...
उस झूठे सपने को
और उस "हाँ "को
कोई मेरे अतिरिक्त पढे !
कितने gahre से vyakt किया है आपने.....
बार बार पढने को मन chaahta है
एक ऐसी ही ’हाँ" से अपने भी कई किस्से कई कवितायें जुड़ी हुई हैं। आज आपके इस खूबसूरत रचना को पढ़ कर ढ़ेरों कहानियां उभर आयीं स्मृति-पटल पर
अंतिम पंक्तियों को पढ़कर दिल बहुत कुछ कहने को मचलने लगा लेकिन .... मेरा भी दिल नही चाहता कि कोई मेरे अतिरिक्त उस 'झूठे' कहे जाने वाले सच्चे सपने को सुन या पढ़ पाए :)
( बहुत दिनो बाद मौका मिले तो आपकी कविता के मय को पीने का मोह कौन रोक पाएगा )
Ranjana ji
reshm se katro si, khumar si cha jane vali kavita ke liye badhai.
Rajasthan Patrika me jis din se aapke blog ke bare aaya tab se hi apko padhti hoon par likha aaj hi hai.
bahut sundr
Kiran Rajpurohit Nitila
wah mam, kya baat hain! na - na kahte -kahte sab kuch kah diya .....ye to kuch-kuch apne jaisa laga hamko :-)
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