लम्हा दर लम्हा
बीत रही है जिंदगानी
सांसो के आवागमन से
मिले इसको रवानी
यूं ही साँसों की हलचल में
न जाने ...
कैसे तुम ज़िंदगी में आए
हवा के झोंको में बसे
मेरी हर धड़कन में
और नस -नस में समाये ..
बने वजह यूँ मेरे जीने की
जैसे भटके मुसाफिर को...
मिले कोई मंजिल का निशाँ
वक्त से कटे लम्हे को ...
फ़िर से मिले पनाह
और किसी भटकती रूह को
ख्यालो का तस्वुर दिख जाए ..
पर ....
जीने के लिए जरुरी है
साँसों का बाहर जाना
अब ...
सोच में है मेरा दिल
कैसे रूह में बसी साँसों से
तुम्हे मैं निकालूं
कैसे जीना है तुम बिन
इस सवाल का उत्तर कहाँ से पा लूँ ??
रंजू [रंजना] भाटिया
चित्र गूगल से
27 comments:
एक बेचैन कोशिश।
आपके इन ख़्वाबों के तस्सवुर में अमृता जी की आत्मा
जीवंत है..........बहुत सुन्दर
phir se miley panaah aur kisi bhatakti...
bahut hi sundar khyal hain!
बहुत खूब!
jine k liye sason ka bahar jana ruh mai basi sason se kaise nikaluin......
kya baat khe di aapne........
is sawal ka uttar to mere paas bhi nahi..........
ye aisa sawal hai ki koi bhi nishabd ho jaye.......
" iss saval ka utter khan se paa lun.....?
a great thought full words..
Regards
सुंदर भाव लिए सुंदर रचना।
लम्हा दर लम्हा बीत रही है जिंदगानी
भटके हुए ख्वाब कहते हैं यूं कहानी
साँसों बसी हलचल जहां से पा लूँ
रूह में बसी साँसे कहाँ से पा लूँ
एक सुन्दर रूमानी कविता।
मन के मानी ये
नहीं इनका सानी रे।
बहुत सुंदर लिखा है।
बड़ा सवाल है !
KHARI BAAT KAHUN,TO PICHHALE TEEN GHANTE SE NET PAR BAITHAKAR MATHA THAK CHUKA THA,TO BAHUT ANMANE SE AAPKO PADHNE AAYA,PAR in panktiyon
बने वजह यूँ मेरे जीने की
जैसे भटके मुसाफिर को...
मिले कोई मंजिल का निशाँ
वक्त से कटे लम्हे को ...
फ़िर से मिले पनाह
और किसी भटकती रूह को
ख्यालो का तस्वुर दिख जाए ..
ne mujhe jhakjhor diya,i cant say how i m feeling right now,bt smthing pinched/refreshed.
ALOK SINGH "SAHIL"
बने वजह यूँ मेरे जीने की
जैसे भटके मुसाफिर को...
मिले कोई मंजिल का निशाँ
वक्त से कटे लम्हे को ...
फ़िर से मिले पनाह
और किसी भटकती रूह को
ख्यालो का तस्वुर दिख जाए
waah bahut gehre bhav sundar
रंजना जी ...आप अपनी लेखनी का लोहा बार बार मनवा देती हैं....कमाल की रचना...
नीरज
बहुत बढ़िया है.
अति सुंदर
सुन्दर है सांसनामा!
सुंदर कविता ,रूमानियत से भीगी हुई
-स्वाति
Khud me khona hai..
khud me paana hai..
Awwal allah noor uapaya....
kudrat ke sab bande...
ek noor te sab jag upajaya..
kaun bhale kaun mande..
बने वजह यूँ मेरे जीने की
जैसे भटके मुसाफिर को...
मिले कोई मंजिल का निशाँ
वक्त से कटे लम्हे को ...
फ़िर से मिले पनाह
और किसी भटकती रूह को
ख्यालो का तस्वुर दिख जाए ..
मनमोहक.
बहुत खूब !
Ranju....
umda sawal par jawab bhi to he uska.....
jo apni zindgi ki jeene ki vajah bane usko khona mumkin nahi hota....
saans agar pyar he to uske saath aati kuchh malin ta ko bahar to jana hi he
tabhi sudh pyar rahega bhitar jo zindgi chalata he......ham saans lete he to
pranvayu hi bhitar rehta he aur uske saath mili malin hawa bahar nikal jati he..
yahi he vo baat pyar ki sudhta ko bhitar rakho malinta nikal do..fir ye sawal hi nahi rahega
kaise jeena he tum bin ? ha nahi jeena he tum bin bas jeena he saath jaise saans se bandhi zindgi...
vaise pyar se panapti ye zindgi......
bada mushkil prasna hai ye..
कैसे रूह में हैमेरा दिल
तुम्हें मैं निकालूं
कैसे जीना है तुम बिन
इस सवाल के उत्तर कहां से पा लूं??
बहुत सुंदर।
एक सुंदर ओर बेहद कोमल भावः....
antim panktiyan bechain ,andolit kar gayin.
bas yahi kahungi ki sanson par apna bas nahi ki unhe marji se liya choda jaye aur yun bhi liya to axijun hi jata hai choda dushit vayu hi hai.
bahut mehnat lagta hai par ,abhyas se ise aisa hi bana lena chahiye jaise swachh vayu ko le liya jata hai aur dooshit ko chhod diya jata hai.
ran(kartabya bhoomi)chod kar bhagna kayarta hai.Dat jana chahiye.isme jo ek aatm santosh milta hai wahi hamara puruskaar hai.
Nice to relate
Love is oxygen
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