Tuesday, April 29, 2008

दिल में हो बुलंद होंसले तो हर मुश्किल आसान है

यदि दिल में होंसले बुलंद हो और जीने कि लौ दिल में जलती रहे तो हर ज़िंदगी की हर मुश्किल आसान लगने लगती है ..इसी दुनिया में रहने वाले कुछ लोग हमे वह राह दिखा देते हैं की लगता है अपना दुःख बहुत कम है और जीने के लिए जिस साहस की जरुरत है वह तो अपने दिल में ही कहीं छिपा है बस जरुरत है उसको जगाने की और उस होंसले से ज़िंदगी जीने की ..कौन भूल सकता है वह २६ सितम्बर २००६ का दिन जब सुनामी ने सब तहस नहस कर दिया था ..कितने लोग न जाने मौत की गर्त में अचानक से समां गए ..कितने गंभीर रूप से घायल हो गए ..हम तो सिर्फ़ अखबार या न्यूज़ में देखते पढ़ते रहे ..पर वही देख के दिल कांप गया जिन्होंने यह देखा और झेला है .उनका हाल क्या हुआ होगा यह अच्छे से समझा जा सकता है .एक ऐसे ही जीवट दिल की कहानी है यह ..नाम है इस का अजारी वह डॉ बनना चाहता है वह कहता है कि मैं जरुरत मंद लोगों के काम आना चाहता हूँ .पर अजारी पहले डॉ नही बनाना चाहता था उसके सारे सपने उसके प्रिय खेल फुटबाल के लिए ही थे .वह एक बहुत बड़ा फुटबॉलर बनाना चाहता था पर २६ सितम्बर को आए सुनामी ने उसके जीवन कि दिशा मोड़ दी ...उसने उस तूफ़ान में अपने माँ बाप भाई बहन सबको खो दिया और साथ ही उसका सपना भी उन तूफानी लहरों के साथ टूट गया इन लहरों ने उसका एक पैर भी उस से छीन लिया पर कुछ लोग यूं जीने में भी एक आशा का दीप जलाये रखते हैं और अजारी उन्ही में एक है ..परिवार में उसके सिर्फ़ दादा जी बचे हैं इतनी मुसीबतों के बाद भी अजारी ने हिम्मत नही हारी है ....रेड क्रॉस की सहायता से उसने एक बार फ़िर से अपने अन्दर जीने का विश्वास पैदा किया वह आज भी उसी जोश के साथ फुटबाल खेलता है .वह कहता है कि मैं जानता हूँ मैं अब फ़ुटबालर नही बन सकता ,लेकिन ज़िंदगी में इस से जायदा जरुरी और भी बहुत कुछ है मैंने अब अपनी नई मंजिल तलाश कर ली है मैं अब डॉ बनूँगा और लोगों की सेवा करूँगा उसका यह होंसला जगाने में रेडक्रॉस के साइकोलाजिकल सपोर्ट ने अजारी को ज़िंदगी जीने नया विश्वास दिया है और एक नई जीने की प्रेरणा ...

7 comments:

Abhishek Ojha said...

प्रेरक प्रसंग !

डॉ० अनिल चड्डा said...

ati sundar preranatakamak abhivayakti

नीरज गोस्वामी said...

अजारी की जीवटता को सलाम. ऐसे इंसान ही जीवन जीना सिखलाते हैं. बहुत प्रेरणास्पद पोस्ट.
नीरज

डॉ .अनुराग said...

हौसले ही इन्सान को खुदा सा बनते है......इसे बाँटने के लिए शुक्रिया.....

Udan Tashtari said...

प्रेरणादायक पोस्ट-बहुत बढ़िया.

Asha Joglekar said...

बहुत प्रेरणा दायी लेख । अजारी का हैसला बहुतों को प्रेरणा देगा ।

Mukesh Garg said...

essee hi ek insan ko main janta hu jo kafi time pehle humari shop par aata tha jiske dono pear(leg) kharab hone ke bawjud wo humari shop se glass le kar jata tha or khud logo ke ghar ja kar fiting bhi karta tha. ha jesse koi kaam wo nhi kar shakta tha to wo humari levour le jata tha. yahi wajha thi ki or custmer se jada hum bhi uski help karne ki koshish karte thee .