Thursday, February 21, 2008

रंजना, कौन हो तुम?

रंजना, कौन हो तुम?

अजीब सवाल है, ऐसा लगता है जैसे खुद से ही सवाल कर रही हूँ... "रंजना, कौन हो तुम?"

हमेशा की तरह आदतन टहलते टहलते आज जैसे ही ब्लॉगवाणी पहुँचें नजरे टीकी सीधी घघुती जी की पोस्ट पर और उसका लिंक पकड़कर हम पहूँच गये उनके ब्लॉग पर...http://ghughutibasuti.blogspot.com/2008/02/blog-post_06.html यहाँ तक सब ठीक था.. मगर जैसे ही उनका "रंजना" के नाम ख़त पढ़ना शुरू किया तो चौंक गई ..सवाल उठा कि आखिर "माजरा क्या है?"

हमारे नाम ख़त और हमे ही पता नही..पढ़ते गए तो हैरान परेशान? कोई हमारा नाम ही ले उड़ा न केवल नाम पोस्ट भी मार दी ..प्रोफाइल चेक करने कि कोशिश कि तो बड़ा बड़ा आ रहा है नाट अवेलेबल...

अब ब्लॉगर वाले अपने सगे वाले तो हैं नहीं.. वरना उनसे ही पूछ लेती... फिर सोचा की रंजना से ही क्यों न पूछा जाये कि तुम कौन हो? कम से कम हमनाम का वास्ता देकर इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती है? ;-)

कौन हो तुम रंजना?, नही पायी तुझको पहचान

तेरे कारण देखो गये पकड़े मेरे कान

अपने भी पूछ-पूछकर लेने लगे हैं शान

बतला दे तू मैं नहीं, है कोई अनज़ान

है कोई अनज़ान, नहीं मुझसे लेना-देना

मैं कोई और, तू किसी और डाल की मैना

समझ रही हो बहना? ;-)

7 comments:

Anonymous said...

बहुत खूब रंजना जी,ख़ुद से ही गुट्ठाम्गुट्ठी,अच्छा लगा.
आलोक सिंह "साहिल"

Sanjeet Tripathi said...

ह्म्म, चलिए जी आपको अगर वह रंजना जी बता दें तो हम भी जान लेंगे!!

राकेश खंडेलवाल said...

रंजनाजी
सहसा ही अपने गीत की कुछ पंक्तियां याद आ गईं

नाम तुमने कभी मुझसे पूछा नहीं
कौन हूँ मैं ?ये मैं भी नहीं जानता
आईने का कोई अक्स बतलायेगा
असलियत क्या मेरी, मैं नहीं मानता

सादर

रंजू भाटिया said...

साहिल जी यह हम ख़ुद से सवाल नही कर रहे हैं .जो हमारे नाम को ले उड़ा /या ले उडी उसकी खोज में लगे हैं :)

रंजू भाटिया said...

जरुर संजीत जी आपको ख़बर लगे तो अप भी बताये :)

और राकेश जी आपका तो जवाब नही .यह पंक्तियाँ दिल को छू गई बहुत खूब जी !!

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav said...

तो नाम भी हाइजेक होने लगे.. व्हाट ए प्रोग्रेस..

रंजना जी रंज ना करो
ऐसे लोग ओंधे मुहूँ गिरते हैं
और फिर खुद, खुद को नही पहचान पाते..
जमाना तो क्या पहिचानेगा

Admin said...

आपकी कलम की धार ही इतनी पैनी है की कोई ऐसा कर सकता है

बधाई