Friday, January 04, 2008

टीस


दिखे जब रंग इन्द्रधनुष के
कुछ स्वप्न भूले बिसरे याद आए
दे के दर्द गए वह पवन के झोंके भी
जब हौले से वह यूं छु जाए

चुभी दिल में कोई फाँस सी
जब कोयल कुहू कुहू गाए
हर बीता मौसम दे याद तुम्हारी
पर गुजरा वक्त कब हाथ है आए

टीस दे इस दिल को हर वो लम्हा
जो गुजरा तुम संग साथ बीताये
भेजे कई मिलन के संदेशे हमने
दिल की बात तुम समझ न पाये

न न मत अब सहलाना
कोई दिल का दाग तुम अब मेरा
जब तक दिल में .......
यह विरह की टीस घनेरी
तब तक हैं यादों में तेरा बसेरा
हर चुभती बात में याद आए तुम
हर दर्द में दिखे चेहरा तेरा
रहने दो अब टीस यह दिल में
यूं तो रहेगा साथ तेरा मेरा !!

8 comments:

Keerti Vaidya said...

very touching poem

asi he kuch tees mere dil mein bhi hai....

Sanjeet Tripathi said...

ह्म्म, रंजना जी पुराने अंदाज़ में!
गुड है जी!

किधर है आजकल आप, कम दिखती है आपकी पोस्ट!!

नीरज गोस्वामी said...

रंजना जी
बहुत दिलकश अंदाज़ में आप ने टीस को व्यक्त किया है....शब्द और भाव बहुत सुन्दरता से पिरोये हैं आपने. बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए. लिखती रहें.
नीरज

Asha Joglekar said...

रंजनाजी वाकई दिल में टीस उठाने वाली कविता।

सुनीता शानू said...

रंजू दी नया साल बहुत-बहुत मुबारक हो आपको...

डाॅ रामजी गिरि said...

"रहने दो अब टीस यह दिल में
यूं तो रहेगा साथ तेरा मेरा !!"

बहुत ही मार्मिक और अफसुर्दगी-ज़दा तरीका है याद बनाए रखने का...

Anonymous said...

you have a rapid server

Anonymous said...

I can not solve.