Friday, December 29, 2006

प्रीत का गीत

राधा कृष्णा को पल पल पुकारे
यादो के पल वो लगते हैं प्यारे
झुकी झुकी यह पलके. अब क्यूँ है छलके.
जब कृष्णा भी राधा- राधा पुकारे...


मन से मन का मेल यही है ,प्रीत ऐसे ही दिल में पले
राधा ने जब कृष्ण को देखा ,आँखो में सौ दीप जले...

पंक्तियाँ बहुत पहले मथुरा में कहीं दिवार पर लिखी पढ़ी थी और तभी एक कविता लिखी थी इन्ही पंक्तियों को सोच कर ।राधा कृष्ण का प्रेम आज भी हर दिल में एक उजाला भर देता है ॥


मन से मन का मेल यही है ,प्रीत ऐसे ही दिल में पले
राधा ने जब कृष्ण को देखा ,आँखो में सौ दीप जले
होंठो पर ठहरी बातो को, नयनो की भाषा मिले

यूँ ही आँखो आँखो में प्यार की दास्तान बढे
राधा ने जब कृष्ण को देखा दिल में प्रीत के कमल खिले

सुन बंसी की लय कृष्णा की, राधा के दिल का फूल खिले
तेरे मेरे प्यार का गीत बस वैसे प्रीत की डगर चले
राधा ने जब कृष्ण को देखा संगीत प्यार का दिल में पाले

जिस एक राग को जल उठाते दोनो दिलो के दीपक
आज अपने मधुर मिलन में उसी राग का दौर चले

प्यास जो देखी थी उस दिन तेरे मीठे लबो पर
वही मीठी मीठी प्यास अब मेरे दिल में भी पाले
राधा ने जब कृष्णा को देखा मन में सौ दीप जले!!

२६ अगस्त २००६

4 comments:

Anonymous said...

प्यास जो देखी थी उस दिन तेरे मीठे लबो पर
वही मीठी मीठी प्यास अब मेरे दिल में भी पाले
राधा ने जब कृष्णा को देखा मन में सौ दीप जले....


--सुंदर भाव हैं.

Anonymous said...

राधा ने कृष्ण को देखा तो..
बहुत खूब...मन के सितार अनायास बजने लगते है।
कृष्ण के नाम का जादू युगयुगान्तर तक चलते रहेगा ।
बात जब कृष्ण की निकलती है तो मन में लड्डू फूटने लगते
है। वाह कृष्ण का जादू । यह सिलसिला लगातार चलते रहेगा
जब तक यह संसार है......
...कृष्णशंकर सोनाने
http://krishnashanker.blogspot.com

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया समीर जी ......
आपने हर बार की तरह इस बार भी मेरा होसला बाड़या !!



शुक्रिया सोनाने जी....

सच में कृष्ण के जादू से बच पाना मुश्किल है


ranju

Anonymous said...

hindi mai kaise likhte hai....mai bhi kuch kavitaye likhana chahta hu..