Saturday, November 19, 2022

प्रीत की रीत

 प्रीत की रीत 



जब तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार उमड़ आये,

और वो तुम्हारी आँखो से छलक सा जाए.......

मुझसे अपनी दिल के बातें सुनने को

यह दिल तुम्हारा मचल सा जाए..........

तब एक आवाज़ दे कर मुझको बुलाना

दिया है जो प्यार का वचन सजन,

तुम अपनी इस प्रीत की रीत को निभाना ............


तन्हा रातों में जब सनम

नींद तुम्हारी उड़ सी जाये.......

सुबह की लाली में भी मेरे सजन,

तुमको बस अक़्स मेरा ही नज़र आये......

चलती ठंडी हवा के झोंके ....

जब मेरी ख़ुश्बू तुम तक पहुंचाए .

तब तुम अपना यह रूप सलोना ....

आ के मुझे एक बार दिखा जाना

दिया है जो प्यार का वचन साजन

तुम अपनी इस प्रीत की रीत को निभा जाना


बागों में जब कोयल कुके.....

और सावन की घटा छा जाये.......

उलझे से मेरे बालों की गिरहा में.....

दिल तुम्हारा उलझ सा जाये .....

आ के अपनी उंगलियो से....

उस गिरह को सुलझा जाना

जो हो तुम्हारे दिल में भी कुछ ऐसा.....

तब तुम मेरे पास आ जाना


पहले मिलन की वो मुलाक़ात सुहानी.....

याद है अभी भी मुझको

तुम्हारी वो भोली नादानी.

मेरे हाथो में अपने हाथो को लेकर ........

गया था तुमने जब प्यार का गीत सुहाना

हो जब तुम्हारे दिल में भी ऐसी  यादो का बसेरा....

तब तुम अपनी प्रीत का वचन निभाना


जो हो तुम्हारे दिल में कुछ ऐसा

तब तुम मुझ तक साजन आ जाना ..# रंजू .....

9 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार 20 नवम्बर, 2022 को     "चलता रहता चक्र"    (चर्चा अंक-4616)  पर भी होगी।--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर स्रजन

Onkar said...

सुंदर प्रस्तुति

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२१-११-२०२२ ) को 'जीवन के हैं मर्म'(चर्चा अंक-४६१७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

दीपक कुमार भानरे said...

वाह, उम्दा सृजन , आदरणीय ।

Sweta sinha said...

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ दिसंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

yashoda Agrawal said...

पहले मिलन की वो मुलाक़ात सुहानी.....
याद है अभी भी मुझको
तुम्हारी वो भोली नादानी.
व्वाहहहहहहह

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कुछ ख़ास दिन है ? न भी हो तब भी क्या फर्क पड़ता है । बधाई और बहुत सी शुभकामनाएँ । कभी भी दी जा सकती हैं न ? प्रेम भाव से लबालब भारी सुंदर रचना ।

गया / गाया कर लें ।

रेणु said...

मधुर यादों के आँगन में झाँकती भावपूर्ण रचना प्रिय रन्जू जी।शुभकामनाएं🙏❤❤