Sunday, July 03, 2022

नार अलबेली


 तुझसे जुदा हो कर भी

  कहाँ तुझसे जुदा हो पाई हूँ

तेरी ही "सुबह " बन के 

  तेरे ही पहलू में सिमट के

लो आज फिर से "मैं" 

 तेरी ज़िंदगी में ,नयी उमंग लाई हूँ


बसी हूँ ,तेरे दिल की धड़कन में राग बन के

कभी तेरे ख़्यालो के रंगो में ढली हूँ

हूँ "मैं " ही तो संवाद तेरा अनकहा सा

तेरे गीतो में प्रतिबिंब बन के छाई हूँ

हूँ "मैं" ही  अभिव्यक्ति  तेरी

मैं ही तो तेरा आह्लाद  हूँ

हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर

मैं ही तो तेरे "जीवन का आधार हूँ"


बसी हूँ मैं ही "तेरी निश्चल हँसी में"

तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ

कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा

कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ


पहचान ले मुझे मेरे हमसफ़र अब तो

तेरी महकी सी बातो में, बहकी सी रातो में

संग तेरे बन के नशा कभी बन  के महक

तेरे नाम से जुड़ी कोई "नार अलबेली"हूँ 

#ranjubhatia

20 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वाह 👌👌👌 ये अलबेलापन बना रहे ।
ये अहसास कि उसकी जिंदगी में खुद को सब कुछ समझना मन को तृप्त करने जैसा एहसास है ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी लिखी रचना सोमवार 4 जुलाई 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।

संगीता स्वरूप

विश्वमोहन said...

सुंदर।

Meena Bhardwaj said...

हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे "जीवन का आधार हूँ"
वाह ! जीवन की पूर्णता प्रतिबिंबित करती सुन्दर रचना ।

अनीता सैनी said...

बसी हूँ मैं ही "तेरी निश्चल हँसी में"
तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ
कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा
कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ... बहुत सुंदर कोमल भावों से सराहनीय सृजन।
सादर

जिज्ञासा सिंह said...

जीवन को संपूर्णता प्रदान करती सुंदर सार्थक रचना ।

Sweta sinha said...

क्या सुंदर लिखा है आपने... बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
सादर।

रेणु said...

अलबेली सी कंचनार सी नार के बिना नर का कोई अस्तित्व कहाँ।रोचक

रंजू भाटिया said...

धन्यवाद जी 🙏

रंजू भाटिया said...

धन्यवाद जी 🙏

रंजू भाटिया said...

धन्यवाद जी 🙏

रंजू भाटिया said...

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

रंजू भाटिया said...

धन्यवाद जी 🙏

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया आपका

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया

रंजू भाटिया said...

सही कहा शुक्रिया

Sudha Devrani said...

हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी

मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ

हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर

मैं ही तो तेरे "जीवन का आधार हूँ"
वाह!!!!
बहुत ही सुन्दर सराहनीय सृजन।

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया जी

मन की वीणा said...

ये अनकहा संवाद ही पूरी आत्मा तक लिप्त समर्पण हैं।
बहुत सुंदर सृजन।

रंजू भाटिया said...

जी सही शुक्रिया