कुछ लम्हे उदास से
कुछ खुशनुमा से
मिले यादो के कोने से
उन्हें बटोरा दिल ने फिर से
एक "इस "कोने से
एक "उस "कोने से
कुछ लिपटे थे शाम के धुंधले साए में
और कुछ थे सुबह सूरज के आगोश में "सुबकते "
फिर जब भर के मुट्ठी में देखा तो
कुछ साँसे अभी भी मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में !!...........#
कुछ खुशनुमा से
मिले यादो के कोने से
उन्हें बटोरा दिल ने फिर से
एक "इस "कोने से
एक "उस "कोने से
कुछ लिपटे थे शाम के धुंधले साए में
और कुछ थे सुबह सूरज के आगोश में "सुबकते "
फिर जब भर के मुट्ठी में देखा तो
कुछ साँसे अभी भी मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में !!...........#
9 comments:
कुछ साँसे अभी भी मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में !
......बहुत खूब कहा है दी बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ !!!
फिर जब भर के मुट्ठी में देखा तो
कुछ साँसे अभी भी मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में !!........
वाह ... बहुत खूब ...
बस ये मुस्कान कायम रहे ...
बसन्त पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ!बेहतरीन अभिव्यक्ति.
हमेशा मुस्कराहट बनी रहे उन लम्हों में,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
कुछ साँसे अभी भी मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में !!...........#
यही लम्हे तो देते हैं जीने का उत्साह ।
कोमल भावो की अभिवयक्ति......
फिर जब भर के मुट्ठी में देखा तो
कुछ साँसे अभी भी मुस्करा रहीं थी उन लम्हों में !!...........#
bahut sundar :)
खूबसूरत ! आख़िरी लाइनें तो बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत हैं. आखिर में मुस्कराहट ही बाकी रहनी चाहिए.
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