Wednesday, June 08, 2022

बिखरते रिश्ते


 यूँ ही जाने -अनजाने

महसूस होता है

रिश्तो की गर्मी

शीत की तरह

जम गई है ...

न जाने कहाँ गई

वह मिल बैठ कर

खाने की बातें

वह सोंधी सी

तेरी -मेरे ....

घर की सब्जी

रोटी की महक सी

मीठी मुस्कान ....


अब तो रिश्ते भी

शादी में सजे

बुफे सिस्टम से

सजे सजाये दिखते हैं

प्यार के दो मीठे बोल भी

जमी आइस क्रीम की तरह

धीरे से असर करते हैं

कहने वाले कहते हैं

कि घट रही धीरे धीरे

अब हर जगह की दूरी

पर क्या आपको नही लगता

कि दिलो के फासले अब

और महंगे .....

और बढ़ते जा रहे हैं?? 

रंजू ..........

2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

दिलों के फैसले तो इस कदर बढ़ रहे हैं कि साथ बैठे हैं और किसी को किसी की खबर नहीं ।
सब अपने अपने मोबाइल में घुसे हुए हैं ।
आइसक्रीम का बिम्ब बढ़िया और सटीक है

जिज्ञासा सिंह said...

क्या आपको नही लगता

कि दिलो के फासले अब

और महंगे .....

और बढ़ते जा रहे हैं?..सटीक सराहनीय अभिव्यक्ति। सच रिश्ते ऐसे ही होते जा रहे हैं।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।