खट्टे मीठे किस्से घुमक्कड़ी के भाग1
खट्टे मीठे किस्से घुमक्कड़ी के भाग2
यह है गुजरात की न भूलने वाली यात्रा जो सिर्फ हम गर्ल्स गैंग ने पहली बार की और बहुत सफल रही, इस यात्रा के मजेदार अनुभव के बाद हमारे इस तरह से घूमने के हौंसले बुलंद हुए😊
बहन के पैरों की छम छम और वो दीव (diu) की उस साल की आखिरी रात...
छोटी बेटी की अहमदाबाद में इंटर्नशिप थी ,और फिर कुछ टाइम वहां जॉब भी। जब बिटिया गुजरात में है तो घूमना तो बनता ही था। पूरा हमारा सिस्टर्स ग्रुप with सब बच्चों के साथ रेडी हो गया ,सब हम लड़कियां और एक बहन का बेटा कुल नौ का ग्रुप । अहमदाबाद से आगे की सब बुकिंग बेटी ने करवा रखी थी। हमारे घूमने के स्थान थे अहमदाबाद, फिर पोरबंदर, सोमनाथ ,द्वारका धीश और अंत में दियु द्वीप।
इसमें सोमनाथ को छोड़ कर बाकी सब जगह रहने की पहले ही बुकिंग करवा दी थी। सोमनाथ में भी कोई अधिक मुश्किल नहीं हुई वहां भी रहने की जगह मिल गई। जो गाड़ी हमने अहमदाबाद से आगे के लिए की थी उसका ड्राइवर बहुत ही सरल और ध्यान रखने वाला इंसान था। वो हर जगह हमारा पूरा ध्यान रखता रहा।
सोमनाथ ट्रिप में जो बात याद रही वो बहुत ही मजेदार किस्सा है ,वहां पर सोमनाथ मंदिर में रात को लाइट एंड साउंड का शो होता है, जब हम उस जगह पहुंचे तो शो शुरू हो चुका था, अंधेरा था ,पीछे साउंड और लाइट चल रही कि कुछ इस तरह के संवाद के साथ कि "रानी यूं छम छम करती हुई आती थी, "सुन कर मेरे से छोटी बहन उसी तरह मटकते हुए छम छम बोलती और चलती आ रही थी कि सामने देखा तो पूरी सीट्स भरी हुई है लोगों से और लाइम लाइट में वो दिख रही है। हम सब भी उसके पीछे पीछे वैसे ही हंसते हुए चले आ रहे।और सब हमें और हमारी हरकतों को देख रहे कि यह कौन सा लाइट एंड शो का हिस्सा है।
सामने लोगों को देख कर हम सबने भाग कर अपनी सीट ली और आगे का शो चुपचाप देख कर सबके निकलने के बाद ही वहां से निकले। आज भी हम उस किस्से को याद करके जोरों से हंस देते हैं।
ट्रिप के आखिरी के दिन हमारे दीव (diu)के नाम थे। होटल प्रॉपर दीव से एक घंटे के दूर था। गाड़ी पास होने से यह दूरी बहुत अधिक नहीं लग रही थी।
31 दिसंबर की रात थी सब नए साल को मानने की जोश में थे। हम लोगों ने भी diu boat क्रूज का प्रोग्राम बनाया । सब रेडी हो कर गाड़ी में बैठे तो ड्राइवर ने कहा कि "आप सब लड़कियां है तो जाइए जरूर पर टाइम से वापिस आ जाएं क्योंकि शाम होते ही वहां का माहौल खराब हो जायेगा। " असल में गुजरात में ड्रिंकिंग एलाऊ नहीं है पर दीव द्वीप में कोई मनाही नहीं है , सो पीने वाले वो भी नए साल की पार्टी वहां कर रहे थे ,तो वहां का माहौल बिगड़ना लाज़मी था। उसी की चेतवानी दबे शब्दों में हमारे ड्राइवर ने हमसे कही। पर जी हम तो कुछ अपने ही नए साल को मानने के मूड में थे, तो "अच्छा अच्छा" कह कर उसकी बात टाल सी दी । जब गाड़ी से उतरे हम सब तब भी उसने कहा आप लोग जल्दी से घूम कर वापस आ जाए । जल्दी वापस जाना आज ठीक रहेगा।
हमने आराम से डिनर किया बोट क्रूज की टिकट ली और खूब गाने डांस करके क्रूज में भी एंजॉय किया। टाइम बीत रहा था और हम आने वाले किसी भी बात से बेफिक्र थे।
क्रूज जब वापिस किनारे लगी तो सामने का नजारा देख कर हम तीनों बहनों और बच्चों की तो एक बार फूक ही सरक गई। उतरने वाली जगह पर तो बहुत से यंग लड़के ,बड़े आदमी कुछ पीए हुए , कुछ हाथ में लिए हुए खड़े हैं , वहां औरते बहुत कम नाम मात्र ही थी उस वक्त किनारे पर। हमारे साथ जवान बेटियां थी ,खुद हम थे ,पता नहीं उस वक्त हमने कैसे आंखों ही आंखों में एक दूसरे को इशारा किया एक दूसरे का हाथ पकड़ा और तेज़ी से भीड़ को चीरते हुए अपनी गाड़ी की तरफ भागे , "हटो , हटिए ,दूर हटो "सिर्फ यह शब्द और भागती हम तीनों बहनों के हाथ में बच्चों के हाथ ,बस यही होश बाकी था उस वक्त ।
ड्राइवर जो शुरू से सावधान कर रहा था पर उस बेचारे की बात कौन समझता न्यू ईयर के मौके पर। हमें यूं भागते आते देख कर उसने गाड़ी एक दम स्टार्ट करी और हम एक दूसरे को अंदर धकलते हुए गाड़ी में जैसे तैसे बैठ गए। आगे का वो एक घंटे का रास्ता ड्राइवर समेत हम सब ने बिल्कुल चुपचाप तय किया। गाड़ी से उतरे और अपने होटल में चले आए। ड्राइवर से कुछ कहने पूछने की भी हिम्मत नहीं हुई कि कल कितने बजे की वापसी है ।वो भी हम सबको डरा हुआ देख कर बिल्कुल चुप रहा।
होटल रूम में आ कर हम सबने एक दूसरे को देखा ,डरे हुए चेहरे अब सामान्य होने की कोशिश कर रहे थे और फिर जो सबकी जो हंसी निकली वो याद रहेगी। पर यह हंसी तभी थी जो हम सुरक्षित वापिस आ गए। नहीं तो जो भीड़ और उसका हवस भरा चेहरा हमने देखा था वह बहुत ही डराने वाला था। कुछ न होता तो सही था पर यूं पिए हुए लोगों का और इस तरह की भीड़ की कोई शक्ल और कोई तमीज नहीं होती, कुछ गलत हो जाता तो क्या होता किसी भी बच्ची या हमारे साथ ही कोई छेड़छाड़ हो जाती तो हम कैसे उस से निपटते ,यह तो वहां सुरक्षित पहुंच कर ही सोचा। यह शिक्षा ली कि ऐसी जगह जाना avoid ही किया जाए और लोकल रहने वाली की बात जरूर सुन लेनी चाहिए , मान लेनी चाहिए।
और इसी बात को कि लोकल घुमाने वाले की बात मान लेनी चाहिए को ले कर ही अगली घुमक्कड़ी यात्रा जो "#वाईजेग "से जुड़ी है यादों के साथ। जुड़े रहिए किस्से खट्टे मीठे घुमक्कड़ी के किस्सों के साथ।
पहले के दो किस्से यदि आपने नहीं पढ़े हैं तो इसी ब्लॉग पर इन लिंक्स पर पढ़े...
9 comments:
लाइट एंड साउंड का किस्सा मज़ेदार😁😁
लाइट एंड साउंड में आप सबका अभिनय ज़ोरदार रहा । बाकी घूमने से काफी सीख मिल जाती है । सार्थक पोस्ट ।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-06-2022) को चर्चा मंच "गुटबन्दी के मन्त्र" (चर्चा अंक-4471) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मज़ेदार
रोचक यात्रा … लाइट और साउंड शो ज़ोरदार
जी हां हम भी मुस्करा देते है इसको याद करके धन्यवाद
जी हां सही कहा यात्राएं हमे जीवन से परिचित करवाती हैं। शुक्रिया
धन्यवाद 😀
😀धन्यवाद
Post a Comment