Saturday, January 24, 2015

बात बंसत की,..baat basant ki

 आहट हैं यह बंसत की या यह आहट है मौसम दिल के बदलने की ,खिले हैं यह फूल फ़िज़ा में या खुशबु फैली है किसी के आने की। बसंत पंचमी की आप सभी को बहुत बहुत बधाई

छोटी इन्ही क्षणिकाओं में बात बंसत की, बात दिल की ,बात मोहब्बत की।

१ आहट 

तेरी आमद
उस बसंत सी
जैसे भूला हुआ
कोई मुसाफिर
ज़िन्दगी का ख़त
पुराने पते पर दे जाए
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२) खिले लफ्ज़
महके हुए बसन्त में
कुछ लफ्ज़
अब इस तरह खिले
नमी हैं इसकी तह में कितनी
यह दुनिया को पता न चले !!.
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३)खशबू

तेरा आना
सबब है
बसंत फूलों के महकने का
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४)ज़िन्दगी
संदली सी खुशबु
घुली है हवाओं में
कुछ दर्द
ज़िन्दगी के
लगता है
अब खिल के मुस्कराएं हैं !!:
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५)एहसास

तुम्हारे कहे
 लफ़्ज़ों में
 छिपा एहसास
मुझे छू कर
 कुछ यूँ गुजरा
जैसे अभी अभी
गुजरा हो बसंत
 बहुत ही करीब से हो कर ..

3 comments:

Rajendra kumar said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना

Asha Joglekar said...

Bahut sunder, Ranjuji.