तुझसे
जुदा हो
कर भी
कहाँ तुझसे जुदा हो पाई हूँ
तेरी ही सुबह बन के
तेरे ही पहलू में सिमट के
लो आज फिर से "मैं"
तेरी ज़िंदगी में नयी उमंग लाई हूँ
बसी हूँ तेरे दिल की धड़कन में राग बन के
कभी तेरे ख़्यालो के रंगो में ढली हूँ
हूँ "मैं " ही तो संवाद तेरा अनकहा सा
तेरे गीतो में प्रतिबिंब बन के छाई हूँ
हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे जीवन का आधार हूँ
बसी हूँ मैं ही तेरी निश्चल हँसी में
तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ
कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा
कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ
पहचान ले मुझे मेरे हमसफ़र अब तो
तेरी महकी सी बातो में, बहकी सी रातो में
संग तेरे बन के नशा कभी बन के महक
तेरे नाम से जुड़ी कोई "नार अलबेली"हूँ
रंजू ...
कहाँ तुझसे जुदा हो पाई हूँ
तेरी ही सुबह बन के
तेरे ही पहलू में सिमट के
लो आज फिर से "मैं"
तेरी ज़िंदगी में नयी उमंग लाई हूँ
बसी हूँ तेरे दिल की धड़कन में राग बन के
कभी तेरे ख़्यालो के रंगो में ढली हूँ
हूँ "मैं " ही तो संवाद तेरा अनकहा सा
तेरे गीतो में प्रतिबिंब बन के छाई हूँ
हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे जीवन का आधार हूँ
बसी हूँ मैं ही तेरी निश्चल हँसी में
तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ
कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा
कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ
पहचान ले मुझे मेरे हमसफ़र अब तो
तेरी महकी सी बातो में, बहकी सी रातो में
संग तेरे बन के नशा कभी बन के महक
तेरे नाम से जुड़ी कोई "नार अलबेली"हूँ
रंजू ...
16 comments:
वाह....
अलबेली नार......
बहुत सुन्दर
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर और अद्भुत भाव, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत सुन्दर भाव
संग तेरे बन के नशा कभी बन के महक
तेरे नाम से जुड़ी कोई "नार अलबेली"हूँ,,
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,
RECENT POST: जिन्दगी,
फिर ये अनबूझ सी पहेली कैसे ?????? सुंदर भावभिव्यक्ति
बसी हूँ मैं ही तेरी निश्चल हँसी में
तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ
कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा
कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ
वाह ...खूबसूरत ....
प्रकृति के भावों को समझ लें तो नारी स्वतः समझ आ जाती है, प्रकृति के समरूप..
सचमुच पहेली जैसा !
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रेम की अभिव्यक्ति.
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LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
l
समर्पण ही समर्पण का भाव ... मैं ही मैं तो हूं पर तुझसे ही हूं ... लाजवाब ...
आपकी भावपुर्ण रचना पढ़ कर अच्छा लगा..
anbujhi si pahelee :)
naar albeli :D
bhaut khubsurat...
shandar...sakhajee.blogspot.in
प्यार के कितने रंग ।
हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे जीवन का आधार हूँ
वाह क्या खूब लिखा है ।
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