Wednesday, November 21, 2012

आज नन्हा मोशा फिर से याद आया

नन्हे मोशे के साथ आज २६ /११ के मासूम लोगों को भी न्याय मिला होगा इसी उम्मीद के साथ ..........आज कसाब को मिली फांसी के बाद  ,मुझे अपनी यह २६ /११ ..पर   लिखी कविता याद आई

हम गुनाहगार है तुम्हारे
नन्हे मोशे ...
तुम कितने विश्वास के साथ
मेहमान बन कर आए थे
भारत की जमीं पर ...
नन्ही किलकारी ने
अभी देश ,भाषा के भेद को नही समझा था
अभी तो नन्हे मोशे
तुम जानते थे सिर्फ़
माँ के आँचल में छिपना
पिता का असीमित दुलार

नही जाना था अभी तो तुमने
ठीक से बोलना और चलना
डगमग क़दमों से
अभी दुनिया की झलक को
सिर्फ़ माँ पिता के रूप में देखा था
अभी तो तुम समझ भी न पाए होगे
बन्दूक से निकलती गोलियों का मतलब
न ही तुम्हे याद रहेगा
अपनी माँ के चेहरे का वह सहमा पन
पिता की हर हालत में तुम्हे बचा लेने की कोशिश
और न ही याद रहेगा तुम्हे उनका तुम्हे बचाते हुए
चुपचाप कभी न उठने के लिए सो जाना

शायद तुमने रो रो कर अपनी माँ को उठाया होगा
दी होगी पिता को आवाज़ भी कुछ खाने के लिए
पर सिर्फ़ शून्य हाथ आया होगा
कैसे तुमने
उन बदूंक के साए में गुजारे होंगे
वह पल अकेले
कैसे ख़ुद को उस
नफरत  की आग से बचाया होगा

तुम्हारा मासूम चेहरा
तुम्हारे बहते आंसू
तुम्हारी वो तोतली बोली
माँ बाबा को पुकारने की आवाज़
उन वहशी दरिंदो को ना ही  सुनाई दी
और न ही सहमा पायी

पर .....
हम कभी  नही भूलेंगे कि
" अतिथि देवो  भव "
कहे जानी वाली  धरती पर
   तुमने अपने जीवन के सबसे
अनमोल तोहफे और
भविष्य  के आने वाले
 सब अनमोल पल खो दिए

हम गुनाहगार है तुम्हारे
नन्हे मोशे ............पर आज जहाँ कहीं भी तुम हो ..तुम्हारे साथ हम सब के लिए भी आज का दिन बहुत ख़ास है .........

16 comments:

sonal said...

:-( sihar gai us nanhe aur us jaise kitne nanhe masoomon kaa soch kar

ashish said...

ओह्ह सोच कर रोयें खड़े हो जाते है .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ओह .... मार्मिक ।

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुन्दर भाव हैं रंजू.....चलो आखिर धरती का बोझ कुछ कम तो हुआ...और मन का भी...
सस्नेह
अनु

Madan Mohan Saxena said...


बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/

सदा said...

हम कभी नही भूलेंगे कि
" अतिथि देवो भव "
कहे जानी वाली धरती पर
तुमने अपने जीवन के सबसे
अनमोल तोहफे और
भविष्य के आने वाले
सब अनमोल पल खो दिए
बिल्‍कुल सच कहा आपने इन पंक्तियों में .... मन को छूती पोस्‍ट

प्रवीण पाण्डेय said...

नन्हे मोशे को बचाना न सीखा तो जीने का बहाना न सीखा..

रेखा श्रीवास्तव said...

मन को झकझोर देने वाली पंक्तियों ने फिर से उन क्षणों को याद दिला दिया . कभी न भूलने वाले क्षणों में जिसने अपनों को खोया था सब कुछ शांति का अनुभव कर रहे होंगे।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...


आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 22 - 11 -2012 को यहाँ भी है

.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
अधूरे सपने- अधूरी चाहतें!!.........कभी कभी यूँ भी .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप

. .

प्रतिभा सक्सेना said...

जिस घटना ने उसका जीवन ही बदल दिया .कैसे भुलाई जा सकती है-बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति !

PAWAN VIJAY said...

आतम्कवाद पता नही कितने नन्हे मोशो को लीलेगा. जी भर आया

rashmi ravija said...

bahut hi maarmik :(

केतन said...

behad bhavpurn rachna... ye sochkar aaj bhi dil bhar ata hai ki kitne masoom aur beqasoor log us din mare gaye the..

Asha Joglekar said...

आतंकवाद कितने मासूम मोशों की जिंदगी दरदीली बना रहा है । बहुत ही ह्रदय विदारक ।

स्वाति said...

अंतर्मन को पंक्तियाँ ....सादर

Nilchand Mahamalla said...

बहुत सुन्दर लेख है ......लेखक को बधाई