नन्हे मोशे के साथ आज २६ /११ के मासूम लोगों को भी न्याय मिला होगा इसी
उम्मीद के साथ ..........आज कसाब को मिली फांसी के बाद ,मुझे अपनी यह २६ /११ ..पर
लिखी कविता याद आई
हम गुनाहगार है तुम्हारे
नन्हे मोशे ...
तुम कितने विश्वास के साथ
मेहमान बन कर आए थे
भारत की जमीं पर ...
नन्ही किलकारी ने
अभी देश ,भाषा के भेद को नही समझा था
अभी तो नन्हे मोशे
तुम जानते थे सिर्फ़
माँ के आँचल में छिपना
पिता का असीमित दुलार
नही जाना था अभी तो तुमने
ठीक से बोलना और चलना
डगमग क़दमों से
अभी दुनिया की झलक को
सिर्फ़ माँ पिता के रूप में देखा था
अभी तो तुम समझ भी न पाए होगे
बन्दूक से निकलती गोलियों का मतलब
न ही तुम्हे याद रहेगा
अपनी माँ के चेहरे का वह सहमा पन
पिता की हर हालत में तुम्हे बचा लेने की कोशिश
और न ही याद रहेगा तुम्हे उनका तुम्हे बचाते हुए
चुपचाप कभी न उठने के लिए सो जाना
शायद तुमने रो रो कर अपनी माँ को उठाया होगा
दी होगी पिता को आवाज़ भी कुछ खाने के लिए
पर सिर्फ़ शून्य हाथ आया होगा
कैसे तुमने
उन बदूंक के साए में गुजारे होंगे
वह पल अकेले
कैसे ख़ुद को उस
नफरत की आग से बचाया होगा
तुम्हारा मासूम चेहरा
तुम्हारे बहते आंसू
तुम्हारी वो तोतली बोली
माँ बाबा को पुकारने की आवाज़
उन वहशी दरिंदो को ना ही सुनाई दी
और न ही सहमा पायी
पर .....
हम कभी नही भूलेंगे कि
" अतिथि देवो भव "
कहे जानी वाली धरती पर
तुमने अपने जीवन के सबसे
अनमोल तोहफे और
भविष्य के आने वाले
सब अनमोल पल खो दिए
हम गुनाहगार है तुम्हारे
नन्हे मोशे ............पर आज जहाँ कहीं भी तुम हो ..तुम्हारे साथ हम सब के लिए भी आज का दिन बहुत ख़ास है .........
हम गुनाहगार है तुम्हारे
नन्हे मोशे ...
तुम कितने विश्वास के साथ
मेहमान बन कर आए थे
भारत की जमीं पर ...
नन्ही किलकारी ने
अभी देश ,भाषा के भेद को नही समझा था
अभी तो नन्हे मोशे
तुम जानते थे सिर्फ़
माँ के आँचल में छिपना
पिता का असीमित दुलार
नही जाना था अभी तो तुमने
ठीक से बोलना और चलना
डगमग क़दमों से
अभी दुनिया की झलक को
सिर्फ़ माँ पिता के रूप में देखा था
अभी तो तुम समझ भी न पाए होगे
बन्दूक से निकलती गोलियों का मतलब
न ही तुम्हे याद रहेगा
अपनी माँ के चेहरे का वह सहमा पन
पिता की हर हालत में तुम्हे बचा लेने की कोशिश
और न ही याद रहेगा तुम्हे उनका तुम्हे बचाते हुए
चुपचाप कभी न उठने के लिए सो जाना
शायद तुमने रो रो कर अपनी माँ को उठाया होगा
दी होगी पिता को आवाज़ भी कुछ खाने के लिए
पर सिर्फ़ शून्य हाथ आया होगा
कैसे तुमने
उन बदूंक के साए में गुजारे होंगे
वह पल अकेले
कैसे ख़ुद को उस
नफरत की आग से बचाया होगा
तुम्हारा मासूम चेहरा
तुम्हारे बहते आंसू
तुम्हारी वो तोतली बोली
माँ बाबा को पुकारने की आवाज़
उन वहशी दरिंदो को ना ही सुनाई दी
और न ही सहमा पायी
पर .....
हम कभी नही भूलेंगे कि
" अतिथि देवो भव "
कहे जानी वाली धरती पर
तुमने अपने जीवन के सबसे
अनमोल तोहफे और
भविष्य के आने वाले
सब अनमोल पल खो दिए
हम गुनाहगार है तुम्हारे
नन्हे मोशे ............पर आज जहाँ कहीं भी तुम हो ..तुम्हारे साथ हम सब के लिए भी आज का दिन बहुत ख़ास है .........
16 comments:
:-( sihar gai us nanhe aur us jaise kitne nanhe masoomon kaa soch kar
ओह्ह सोच कर रोयें खड़े हो जाते है .
ओह .... मार्मिक ।
बहुत सुन्दर भाव हैं रंजू.....चलो आखिर धरती का बोझ कुछ कम तो हुआ...और मन का भी...
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
हम कभी नही भूलेंगे कि
" अतिथि देवो भव "
कहे जानी वाली धरती पर
तुमने अपने जीवन के सबसे
अनमोल तोहफे और
भविष्य के आने वाले
सब अनमोल पल खो दिए
बिल्कुल सच कहा आपने इन पंक्तियों में .... मन को छूती पोस्ट
नन्हे मोशे को बचाना न सीखा तो जीने का बहाना न सीखा..
मन को झकझोर देने वाली पंक्तियों ने फिर से उन क्षणों को याद दिला दिया . कभी न भूलने वाले क्षणों में जिसने अपनों को खोया था सब कुछ शांति का अनुभव कर रहे होंगे।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 22 - 11 -2012 को यहाँ भी है
.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
अधूरे सपने- अधूरी चाहतें!!.........कभी कभी यूँ भी .... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप
. .
जिस घटना ने उसका जीवन ही बदल दिया .कैसे भुलाई जा सकती है-बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति !
आतम्कवाद पता नही कितने नन्हे मोशो को लीलेगा. जी भर आया
bahut hi maarmik :(
behad bhavpurn rachna... ye sochkar aaj bhi dil bhar ata hai ki kitne masoom aur beqasoor log us din mare gaye the..
आतंकवाद कितने मासूम मोशों की जिंदगी दरदीली बना रहा है । बहुत ही ह्रदय विदारक ।
अंतर्मन को पंक्तियाँ ....सादर
बहुत सुन्दर लेख है ......लेखक को बधाई
Post a Comment