एक छत मय्सर है
चाँद तारों की
और न जाने उस
ताने हुए शामियाने तले
कितनी और
ईंटगारों का
शमियाना तानते हुए
उन्हें नाम
कई छतों का दे डाला
उस इंसान ने जो खुद
एक छत की तलाश में
भटकता रहा
जीवन के अंतिम पलों तक ...........(छोटा इमामबाडा में लगे रोशन चिन्ह )छोटा इमामबाडा: इसका निर्माण नवाब मो. अली शाह ने किया था। इस इमारत की नक्काशी और झाड फानूस देखने लायक हैं।
आवारा ख्याल (१)
22 comments:
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार
वाह
दावा तो बहुत करता है इंसान पर जानता है अपनी हकीकत ... कुछ दे नहीं सकता ...
बहुत बढ़िया...
अनु
वाह,,,बहुत खूब,,,
लखनऊ की याद ताजा कराती,,,
बहुत बढ़िया बेहतरीन प्रस्तुति,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
बहुत खूब
वाह बहुत गहरी अभिव्यक्ति क्या बात है
अच्छी प्रस्तुति ..
बहुत बढ़िया...
बिना खम्भों का बड़ा भवन..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
sundar..
बहुत ही सुंदर..........
sundar khayal ....
अरे छोटा इमामबाड़ा तो लखनऊ में है आप वहीं की हैं क्या रंजू जी ?
@ नहीं आनंद जी ..मैं तो दिल्ली की हूँ ..वहां गयी तो बस दिल खो गया वहां की भूलभुलिया में :)
@ आनंद जी अभी तो सफ़र शुरू हुआ है ..बहुत बेहद पसंद आया यह शहर मुझे ..आगे आगे इस सफर में चलते रहिये ..लखनऊ कुछ तो करीब आजायेगा यादो में :)
सुन्दर अभिव्यक्ति...
:-)
सुन्दर अभिव्यक्ति...
:-)
chamakte roshandaan bata rahe ki jisne iske liye shabd diye wo bhi chamakte rahen....:)
बेहतरीन प्रस्तुति
Post a Comment