पूर्वा भाटिया |
पूरा हो जाता
यदि तेरे मेरे
दिल की धडकनों
का हिसाब किताब भी
इमामबाड़े में बनी उस
भूलभुलैया की तरह
बाइनरी गणितीय पद्धति
के सिद्धात पर बना होता !!
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पूर्वा भाटिया |
भूलभुलैया
वह रास्ते जो
अक्सर भटका देते हैं
इधर उधर
और फिर उनसे
बाहर निकलने की छटपटाहट
उबलने लगती है अन्दर
ठीक किसी कोख में पड़े हुए
मासूम बच्चे सी ........
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पूर्वा भाटिया |
ज़िन्दगी की उन
नादानियों और गलतियों
की तरह ...
जो अनजाने में हो कर
नतीजा बहुत ही दिलकश
और रूमानी
दे जाती हैं
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शहंशाहों ने हिंदुस्तान में कई मकबरे और किले बनवाएं ,लेकिन उनके साथ कई किस्से भी छोड़ गए | आसफउदौला जब बड़ा इमामबाडा बनबा रहा था,उसी वक्त पूरा अवध भयंकर अकाल से त्रस्त था इसमें विश्व-प्रसिद्ध भूलभुलैया बनी है, जो अनचाहे प्रवेश करने वाले को रास्ता भुला कर आने से रोकती थी। इसका निर्माण नवाब ने राज्य में पड़े अकाल से निबटने हेतु किया था। इसमें एक गहरी बावली भी है। एक कहावत है के जिसे न दे मोला उसे दे आसफूउद्दौला |गरीब जनता के राजा उन्हें इमारत के इमामबाड़ा के काम पर रखा को दान देने के बजाय अकाल के समय में. मजदूरों के एक समूह के लिए यह दिन के समय में निर्माण मजदूरों के अन्य समूह रात में ध्वस्त करने के लिए इस्तेमाल किया. सभी काम के लिए भुगतान किया गया. इस अकाल की अवधि तक जारी रहा. सन १७८४ में असफ-उद-दौला द्वारा बनी भूलभुलैया में १०२४ सीढियां हैं , जो बाइनरी गणितीय पद्धति पर आधारित हैं। इन्हें '२' को आधार मानकर २ की घात १० गुना अर्थात [ २ x २ x २ )= १०२४ सीढियां बनायीं गयीं ।भूलभुलैया का विशाल भवन बिना किसी खम्बे के २० फीट मोटी दीवारों से रुका हुआ है। यह दुनिया की एकमात्र सबसे बड़ी धनुषाकार संरचना है। इसमें बार-बार चढ़ने वाले तथा उतरने वाली सीढियां हैं। जो डेड-एंड पर समाप्त होती हैं। इसमें जो एक बार घुस जाता है वो आसानी से बाहर नहीं आ सकता ।बाइनरी पद्धति के इस्तेमाल से इसमें भूलभुलैया वाला इफेक्ट बेहतर तरीके से लाना संभव हो पाया|और गाइड ने बताया कि छत की दीवारों को बनाये रखने के लिए यह भूलभुलैया अनजाने में बनी थी .
(यह जानकारी वहां बताये गए गाइड के अनुसार और लखनऊ पर लिखे एक लेख पर आधारित है ..और लगी फोटोज पूर्वा भाटिया और यह आवारा ख्याल (एक और दो के साथ यह भी )जो उन्हें देख कर उड़े दिमाग की सतह पर वह पूर्णता मेरे हैं :)
11 comments:
:)) wah jee wah...
ye pyari si bhulbhulaiya
aur aapke shabd..
karamati lage..
कहना कुछ भी नहीं बस सुनना मात्र था ... पढना भी सुनना होता है ... और पढ़कर उन्न अच्छा तरीका लगा ...
ये गाइड कौन था ... जिस तरह से आपने बताया ... लगा दो दिन में आप ने यह हुनर भी सीख लिया है ...
गाइड बनी रहिये ... कविता , लेख , आलोचना और रिपोर्ताज के साथ गाइड करें ... स्नेह ...
भूल भुलैया में भटकता आपका आवारा ख़याल...और हम भी...
बढ़िया!!!
अनु
बहुत बढ़िया तरीके से तुमने भूल-भुलैया को समझाया है रंजू...और कवितायें...कमाल ही हैं. पूर्वा की खींची तस्वीरें ज़ाहिर करतीं हैं की उसे फोटोग्राफी का शौक है :) बहुत सुन्दर तस्वीरें हैं पूर्वा.
लोगों के पास पैसा था जी. यहां तो एक छत बनाने की जुगत में ही ज़िंदगी निकल जाती है
शुक्रिया मुकेश ...वह जगह ही ऐसी लगी भुला देने वाली खुद को ...:)
अशोक जी आपको यहाँ अपने ब्लॉग पर देख कर बहुत ख़ुशी हुई ..हाँ मैं कई बार सोचती हूँ की गाइड हो जाऊं .कम से कम ऐसी जगह पर रहने का मौका तो अधिक मिलेगा क्यों यह वीराने शहर से अधिक भाते हैं इस दिल को :) शुक्रिया आपका तहे दिल से
शुक्रिया अनु ...भूल जाओ खुद को तभी मजा है जीने का :)
शुक्रिया वंदना ..पूर्वा तुम्हे थैंक्स कह रही है ..वह भी ट्रेवल जनर्लिस्ट है और फोटोग्राफी भी बहुत अच्छी करती है :)
जी काजल जी ..जो वह बना गए ..वह आज बना पाना मुश्किल है .वैसा मजबूत तो कतई नहीं :)
वाह ... भूलभुलैया के साथ ये ख्याल याद रहेंगे ...
bhul-bhuliya men bhatka hua khayal kafi ataka hua hai, pr kafi jarkhej khayal hai.
bhul buliya men bhatka hua ye khayal kafi jarkhej hai.badhiya rachna.
भूल भुलैया
इमामबाड़े में स्थापत्य और इतिहास के गहरे राज छिपे हैं।
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