क्यों बना लिए हैं
हमने ....
कुछ सपनो के पुल
जिस पर उड़ रहे हैं
हम.......
कागज की चिन्दियों की तरह
कुछ भी तो नही है शेष
अब .......
मेरे -तुम्हारे बीच
क्यों हमने....
यह कल्पना के पंख लगा के
रिश्तों को दे दिया है एक नाम ..
जिस पर .....
रुकना -चलना-मिलना
फ़िर अलग होना
सिर्फ़ हवा है .....
जो बाँध ली है बंद मुट्ठियों में
जिस में सिर्फ़
"तुम" हो और तुम्हारा " मैं"
जो रचता रहता है गुलाबी सपने
और चन्द बेजुबान से गीत
और .....
जिस में सब कुछ है....
पर सिर्फ़ ...
तुम्हारा ही बुना हुआ
जैसे जमी हुई नदी सा
रुका हुआ और ठहरा हुआ ......
हमने ....
कुछ सपनो के पुल
जिस पर उड़ रहे हैं
हम.......
कागज की चिन्दियों की तरह
कुछ भी तो नही है शेष
अब .......
मेरे -तुम्हारे बीच
क्यों हमने....
यह कल्पना के पंख लगा के
रिश्तों को दे दिया है एक नाम ..
जिस पर .....
रुकना -चलना-मिलना
फ़िर अलग होना
सिर्फ़ हवा है .....
जो बाँध ली है बंद मुट्ठियों में
जिस में सिर्फ़
"तुम" हो और तुम्हारा " मैं"
जो रचता रहता है गुलाबी सपने
और चन्द बेजुबान से गीत
और .....
जिस में सब कुछ है....
पर सिर्फ़ ...
तुम्हारा ही बुना हुआ
जैसे जमी हुई नदी सा
रुका हुआ और ठहरा हुआ ......
11 comments:
bhaut hi khubsurat hai sapono ke pul..... behtreen abhivaykti...
बहुत सुंदर....
प्रेम में छिपा दर्द छलक आया.....
अनु
वर्तमान से भविष्य के बीच कोई तो माध्यम हो भला..
सिर्फ़ हवा है .....
जो बाँध ली है बंद मुट्ठियों में
जिस में सिर्फ़
"तुम" हो और तुम्हारा " मैं"
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ,सुंदर अह्साओं से भरी रचना,,,,,
RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,
गहन भाव लिए उत्कृष्ट प्रस्तुति।
क्यों बना लिए हैं
हमने ....
कुछ सपनो के पुल
जिस पर उड़ रहे हैं
हम.......
कागज की चिन्दियों की तरह
bahut sunder hai, man ki udaan ...
कहना जितना आसान लगता है करना उतना ही कठिन होता है ... क्या आसान है इस पुल कों तोड़ना ... इन कल्पना के पंख से बाहर आना ...
सुंदर रचना...
"तुम" हो और तुम्हारा " मैं"
जो रचता रहता है गुलाबी सपने
और चन्द बेजुबान से गीत
bahut sundar rachana hai
सिर्फ़ हवा है .....
जो बाँध ली है बंद मुट्ठियों में
जिस में सिर्फ़
"तुम" हो और तुम्हारा " मैं"
Kya likh diya apne... shabd nahi hai tareef ke liye...atyant sunder...
Very nice post.....
Aabhar!
Mere blog pr padhare.
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