Saturday, April 07, 2012

रिश्तों का सच



कौन कहता है कि..
हो जाता है एक नज़र में प्यार
दो दिल न जाने कब एक साथ
धड़कने लगते हैं...
तोड़ लायेंगे चाँद सितारे
और बिछा देंगे फलक
क़दमों के नीचे
ऐसे सिरफिरे वायदे भी
कसमों की जुबान होते हैं,

पर सब खो जाता है
कुछ ही पलों में...
वो दर्द को छूने की कोशिश..
वो इंतज़ार के बेकली के लम्हे..
आंखो में सजते सपने..
आग का दरिया तक
पार करने का जनून
न जाने कहाँ चला जाता है ?

रह जाता है तो सिर्फ़
एक भोगा हुआ वक्त
जो दो जिस्मों
मैं बंट कर
सिर्फ़ ...एक
पिघला हुआ एहसास
रह जाता है !!

13 comments:

vandana gupta said...

सच कहा।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आग का दरिया तक
पार करने का जनून
न जाने कहाँ चला जाता है ?

रिश्तों के सच को कहती सुंदर प्रस्तुति

ANULATA RAJ NAIR said...

सच्ची जाने कहाँ खो जाता है..............
बस डायरी के पुराने पन्नों में कही जिंदा रहता है.....धीमी धीमी सांस लेते हुए.....


सुंदर भाव....

सदा said...

रह जाता है तो सिर्फ़
एक भोगा हुआ वक्त
जो दो जिस्मों
मैं बंट कर
सिर्फ़ ...एक
पिघला हुआ एहसास
रह जाता है !!
बहुत ही नाज़ुक भाव ...लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

प्रवीण पाण्डेय said...

जब दौड़ना था, हम उड़ने लगते हैं, पंख थक जाते हैं उड़ते उड़ते।

रेखा श्रीवास्तव said...

han rishton ka sach yahi hai, yatharth bhi yahi hai. roomani duniyan kee baten tabhi tak rishton ko bharma sakati hain jab tak ki ve khvaabon ke bahar na aayen. bada kadva sach aapane ujagar kiya hai. aabhar !

दर्शन कौर धनोय said...

सही कहा ...अब कहा वो रश्मे वो वादे वो कसमे !
सब दिखावा हैं फुर्सत के अनगिनत लम्हों में !!

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर सशक्त रचना...

Maheshwari kaneri said...

सही कहा.. हर रिश्ते की यही नियति है...बहुत सुन्दर..

दिगम्बर नासवा said...

भोग हुवा वक्त भी तो प्यार ही था ... कुछ यथार्थ को सिमटे हुवे प्यार का एहसास कम तो नहीं हो जाता ...
गहरी रचना ...

RADIO SWARANGAN said...

आपके ब्‍लॉग पर पहली बार नजर गई है, रिश्‍तों की गाथा आपने बहुत ही सुंदर रची है, मेरी ओर से शुभकामनाएं स्‍वीकार करें।

Deepak Shukla said...

Agar rishte jo hote....
aatma ke..Aatmik rahte...
Na bhoga vakt wo bante....
Na hi wo tootkar rahte...

Ye man ki baat hain saari..
Jo bandhe dor main sabko..
Kise ye chhod dega, aur..
Girah bandhega ye kisko...

Koi toofaan ho ya ho...
Sunami bhavnaon ki...
Hon kitne kasht hi chahe
kathin Pathreeli raahon ki....

Jo man se sath hota hai...
Nahi wo chhodkar jaata...
Koi muhn mod bhi le....
Nahi muhn mod kar jaata....

Aapne.....Kavita main bhavon ki abhivyakti sundar dhang se ki hai...

Saadar...

Deepak Shukla...

Ajit Pandey said...

If You get time visit my blog http://adhureharf.blogspot.com