कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
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लघुकथाएँ (HINDI SHORT STORIES)
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Tuesday, May 31, 2011
सफ़र अनजाने
ज़िन्दगी तेरे
कुछ सफ़र
यूँ ही
क्यों
अनजाने होते हैं
जैसे बेनूर नजरों में
कोई चिराग नहीं जलता
बहारों का मौसम भी
पतझड़ को नहीं बदलता
और .....
तुमसे मिलने का
कोई भी वक़्त
क्यों तय नहीं होता...
Thursday, May 19, 2011
कस्तूरी गंध
अपने ही
भीतर
तलाश
करती रहती हूँ
तेरी वह
कस्तूरी गंध
जो वक़्त के
साथ साथ
तेरे आने की
आस लिए
कहीं
धूमिल सी हो कर
खोने लगी है
अपना अस्तित्व !!!
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