सुना है
लेह जैसे मरुस्थल में भी
बादल फट कर
खूब तबाही मचा गए हैं
जहाँ कहते थे
कभी वह बरसते भी नहीं
ठीक उसी तरह
जैसे मेरे मन में छाए
घने बादल
जब फटेंगे
तो सब तरफ
तबाही का मंजर नजर आएगा
और फिर तिनको की तरह
तुम्हारा वजूद
जो अहम् बन कर
खड़ा है बीच में हमारे
कहीं इस रिश्ते के
ठंडे रेगिस्तान में
दफ़न हो जाएगा !!
रंजना (रंजू )
Pages
Monday, September 27, 2010
Wednesday, September 15, 2010
आहट
कल रात हुई
इक हौली सी आहट
झांकी खिड़की से
चाँद की मुस्कराहट
अपनी फैली बाँहों से
जैसे किया उसने
कुछ अनकहा सा इशारा
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए
और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
अब जीने की बन जाए !!
इक हौली सी आहट
झांकी खिड़की से
चाँद की मुस्कराहट
अपनी फैली बाँहों से
जैसे किया उसने
कुछ अनकहा सा इशारा
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए
और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
अब जीने की बन जाए !!
Thursday, September 09, 2010
चाँद रात
मेरी नजरों की चमक
तेरी ...
नज़रों में बंद
कोई चाँद रात है
उलझी हुई सी धागे में
यह कोई जीने की सौगात है
और जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
Wednesday, September 01, 2010
राधा -मीरा
- जिस को देखूं साथ तुम्हारेमुझ को राधा दिखती हैदूर कहीं इक मीरा बैठीगीत तुम्हारे लिखती है
तुम को सोचा करती हैआँखों में पानी भरती है उन्ही अश्रु की स्याही से लिख के खुद ही पढ़ती है
यूँ ही पूजा करते करतेकितने ही युग बीत गये बंद पलकों में ही न जाने कितने जीवन रीत गये खोलो नयन अब अपने कान्हा पलकों में तुम को भरना हैपूजा जिस भाव से तुम्हे उसी से प्रेम अब तुमसे करना है
आडा तिरछा भाग्य है युगों सेतुम इसको सीधा साधा कर दोअब तो सुधि लो मेरे कान्हामीरा को राधा कर दोहाथ थाम लो अब तो कृष्णा इस भव सागर से पार तुम कर दो ...
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