Monday, September 27, 2010

एक सच

सुना है
लेह जैसे मरुस्थल में भी
बादल फट कर
खूब तबाही मचा गए हैं
जहाँ कहते थे
कभी वह बरसते भी नहीं
ठीक उसी तरह
जैसे मेरे मन में छाए
घने बादल
जब फटेंगे
तो सब तरफ
तबाही का मंजर नजर आएगा
और फिर तिनको की तरह
तुम्हारा वजूद
जो अहम् बन कर
खड़ा है बीच में हमारे
कहीं इस रिश्ते के
ठंडे रेगिस्तान में
दफ़न हो जाएगा !!

रंजना (रंजू )

Wednesday, September 15, 2010

आहट

कल रात हुई
इक हौली सी  आहट
झांकी खिड़की से
चाँद की मुस्कराहट
अपनी फैली बाँहों से 
जैसे किया उसने
कुछ अनकहा सा इशारा
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
 ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए
और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
 अब जीने की बन जाए !!

Thursday, September 09, 2010

चाँद रात


मेरी नजरों की चमक
तेरी ...
नज़रों में बंद
कोई चाँद  रात है

उलझी हुई सी धागे में
यह कोई जीने की सौगात है

और जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं
मेरे चेहरे पर ठिठक के
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!

Wednesday, September 01, 2010

राधा -मीरा


  • जिस को देखूं साथ तुम्हारेमुझ को राधा दिखती हैदूर कहीं इक मीरा बैठीगीत तुम्हारे लिखती है
    तुम को सोचा करती हैआँखों में  पानी भरती है उन्ही अश्रु की स्याही से लिख के खुद ही पढ़ती है
    यूँ ही पूजा करते करतेकितने ही युग बीत गये बंद पलकों में ही न जाने कितने जीवन रीत गये खोलो नयन अब अपने कान्हा पलकों में तुम को भरना हैपूजा जिस भाव  से तुम्हे उसी से प्रेम अब तुमसे करना है
    आडा तिरछा भाग्य है युगों सेतुम इसको सीधा साधा कर दोअब तो सुधि लो  मेरे कान्हामीरा को राधा कर दोहाथ थाम लो अब तो कृष्णा इस भव सागर से पार तुम कर दो ...