कल रात हुई
इक हौली सी आहट
झांकी खिड़की से
चाँद की मुस्कराहट
अपनी फैली बाँहों से
जैसे किया उसने
कुछ अनकहा सा इशारा
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए
और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
अब जीने की बन जाए !!
22 comments:
वाह्……………ज़ज़्बातों को शब्द दे दिये…………………सुन्दर प्रस्तुति।
खूबसूरत!!
सुन्दर रचना
और मेरी टिप्पणी के रूप में ये चन्द पंक्तियां जो आपकी कविता पढ कर ही उपजी हैं
ये ताका झांकी चांद की
और चांदनी का कैद होना
फ़िर पिघलती रात के पलों पर
लावे से जज्बातों की नाव खेना
खो गया हो चाहे बहुत कुछ
दिल को धडकना आ गया
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
बहुत भावपूर्ण दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ.
बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए
बहुत खूबसूरत रचना ...
short and sweet, strong expression as always
वाह बड़ी प्यारी प्यारी सी रूमानी कवितायेँ लिखी जा रही हैं आजकल :)
वाह! बहुत खूब...... आपने तो जज्बातोँ को ही अल्फाज दे दिये। शुभकामनायेँ! -: VISIT MY BLOG :- जिसको तुम अपना कहते हो ............कविता को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप उपरोक्त लिक पर क्लिक कर सकती हैँ।
सुन्दर !
bahut khoob
सुंदर बहुत सुंदर ।
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
बहुत भावपूर्ण रचना है शुभकामनायें।
भावों के बहाव को बड़े सुन्दर शब्दों में बाँधा है आपने...
वाह ... शब्दों की जादूगरी ... खूबसूरत एहसास पिरोए हैं ....
आप की रचना 17 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com
आभार
अनामिका
बहुत ही सुंदर रचना !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..............
और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
अब जीने की बन जाए
-गज़ब!! बहुत बढ़िया.
aap to hameshA HI ACHHA LIKHTI h.
hats off......
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
खूबसूरत प्रस्तुति.....सुन्दर रचना
बड़ी प्यारी सी रचना.
जीने की यह वज़ह तो होनी चाहिये ।
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