Monday, November 16, 2009

क्या फ़िर से ??


जाने अन्जाने,
कब न जाने
प्रीत -प्यार के बहाने..
मेरे दिल पर तुम ने लिख दी
प्यार की एक अमिट दास्तान..
उस नज़्म के लिखे शब्द
अक्सर तन्हाई में मेरी..
मुझे तेरे प्रेम का राग सुनाते हैं
देखती हूँ जब भी मैं आईना
तेरे नयनो के..
वो प्यार भरे अक़्स
अक्सर मेरी नज़रो में
उतर जाते हैं...
एक मीठी सी..
छुअन का एहसास
भर जाता है मेरे तन मन में
और मुझे वही..
तेरे साथ बीते लम्हे
गुदगुदा के छेड़ जाते हैं

तभी मेरा दिल..
अचानक यूँ ही..
किसी गहरी सोच में डूब जाता है
कि क्या तुम फिर आओगे
फिर से
वही नज़्म लिखने, गुनगुनाने
और फिर से दोगे क्या कुछ लम्हे
अपनी व्यस्त ज़िंदगी के?
क्या फिर से .............
अपनी बाहों के घेरे में छुपाओगे मुझे??
डुबो दोगे क्या फिर से
अपनी सांसो की सरगम में??
और समेटोगे अपनी मीठी छुअन से
मेरे बिखरे हुए वजूद को ??

रंजना (रंजू ) भाटिया

39 comments:

अजय कुमार said...

meethe meethe yaad sajaye
ek sundar kavita ,

Unknown said...

"एक मीठी सी..
छुअन का एहसास
भर जाता है मेरे तन मन में
और मुझे वही..
तेरे साथ बीते लम्हे
गुदगुदा के छेड़ जाते हैं"



मेरे खयालों के आँगन में कोई चुपके से दीप जलाये

दिगम्बर नासवा said...

डुबो दोगे क्या फिर से
अपनी सांसो की सरगम में??
और समेटोगे अपनी मीठी छुअन से
मेरे बिखरे हुए वजूद को ??

प्रेम के कुछ सजीव लम्हों को जीवन की माला में गूँथ कर बुना है इस रचना को आपने ..... ऐसे जीवंत लम्हों को जीने की चाह में उपजे कुछ प्रश्नों को चाहत की चासनी में डुबो कर पूछा है आपने ........ बहुत ही लाजवाब रचना है ....

Rajeysha said...

सारी उम्र मैं
वो सरसराहटें सुनता रहा
जो पता नहीं मेरे ख्‍यालों ने बुनीं थीं

या तुम्‍हें छुए अहसासों ने

शोभना चौरे said...

MEETHE MEETHE AHSAS LIYE SUNDAR RACHNA

आभा said...

फिर से- एक मीठी छुअन का एहसास . सुन्दर

के सी said...

लाजवाब कविता है
इसे कई बार और पढूंगा, कम ही कविताएं होती हैं जो एक पूरे खयाल को, मौसम को और अनुभूति को पकड़ कर रख सके. बधाई !

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi pyaar bharee bhawnayen .....

M VERMA said...

क्या फिर से .............
अपनी बाहों के घेरे में छुपाओगे मुझे??
डुबो दोगे क्या फिर से
अपनी सांसो की सरगम में??
और समेटोगे अपनी मीठी छुअन से
मेरे बिखरे हुए वजूद को ??
बेहतरीन एहसास -- भाव बहते हुए से और डुबो देने में सक्षम

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपका नवगीत बहुत सुन्दर है।

सुशील छौक्कर said...

मीठी प्यारी सी रचना। रचना पढते ही ये ही शब्द मुँह से निकले। भागती दोड़ती इस जिंदगी में ये अहसास कहीं खो से जाते है।

Udan Tashtari said...

और समेटोगे अपनी मीठी छुअन से
मेरे बिखरे हुए वजूद को ??


=कोमल और मासूम अहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति!! वाह!!

Alpana Verma said...

एक आस लिये मन हमेशा सपने बुनता रहता है..
यह रचना मन के इन्ही व्याकुल भावों की खूबसुरत अभिव्यक्ति है .

नीरज गोस्वामी said...

वाह...रंजना जी वाह...ऐसे गीत लिखने में आप का सानी नहीं...आप की रचनाओं में दिल धड़कता है...वाह
नीरज

Reetika said...

kahin gehre tak choo gayee yeh rachna..umda bahut umda!!

Himanshu Pandey said...

बहुत ही सलोने एहसास बिखेरती हैं आपकी कवितायें । यह भी शानदार है । आभार ।

Dr. Shreesh K. Pathak said...

कुछ रचनाएँ सिहरन सी ला देती हैं यादों की..

Abhishek Ojha said...

ओह ! मधुर अहसास.

Asha Joglekar said...

छुअन का एहसास
भर जाता है मेरे तन मन में
और मुझे वही..
तेरे साथ बीते लम्हे
गुदगुदा के छेड़ जाते हैं ।
बहुत सुंदर कोमल भाव ुतारे हैं आपने इस कविता में ।

Sudhir (सुधीर) said...

उस नज़्म के लिखे शब्द
अक्सर तन्हाई में मेरी..
मुझे तेरे प्रेम का राग सुनाते हैं
देखती हूँ जब भी मैं आईना
तेरे नयनो के..
वो प्यार भरे अक़्स
अक्सर मेरी नज़रो में
उतर जाते हैं...


वाह सुन्दर अभिव्यक्ति....बड़ी प्यारी लगीं एन पंक्तियाँ

Razi Shahab said...

behtareen

vandana gupta said...

komal ahsason ki bhavmayi prastuti.........dil ko gahre tak chhoo gayi.

Science Bloggers Association said...

प्रेम की खूबसूरत अभिव्यंजना।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रचना दीक्षित said...

एक मीठी सी..
छुअन का एहसास
भर जाता है मेरे तन मन में
और मुझे वही..
तेरे साथ बीते लम्हे
गुदगुदा के छेड़ जाते हैं
बहुत सुंदर प्यार के अहसासों से सराबोर प्रस्तुती

रंजना said...

Bhaavbhari bahut hi sundar pranaygeet...Waah !!!!

Komal bhavon ka pravaah utni hi komalta se pathak ke hriday tak bhi pahunch jati hai aapki rachnaon me....Lajawaab abhivyakti....

स्वप्न मञ्जूषा said...

इस प्यार से ऐसे मत न लिखोSSSSSSSS
सबको प्यार हो जाएगा.....
टिडिंग टिडिंग टिडिंग ....

katya said...

bahut khubsurat rachna, sundar, behatareen. aapne likha hai ki "ek meethi si chhuvan ka ehsaas" lekin aapki iss nayaab kavita ko padhna bhi apne aap me ek khaas ehsaas hai. dil ko chhune wali iss kavita ko padhaane ke liye main aapka shukriya adaa karta hun.
KATYA

निर्मला कपिला said...

देखती हूँ जब भी मैं आईना
तेरे नयनो के..
वो प्यार भरे अक़्स
अक्सर मेरी नज़रो में
उतर जाते हैं...
एक मीठी सी..
छुअन का एहसास
भर जाता है मेरे तन मन में
और मुझे वही..
तेरे साथ बीते लम्हे
गुदगुदा के छेड़ जाते हैं्
रंजना जी बहुत सुन्दर । कुछ मीठी यादों को बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है लाजवाब रचना बधाई। बहुत दिन हुये आपसे बात नहीं कर पाई। कल मिलती हूँ शुभकामनायेँ

संजय भास्‍कर said...

फिर से- एक मीठी छुअन का एहसास . सुन्दर

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है
आपने काबिलेतारीफ बेहतरीन


SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

और समेटोगे अपनी मीठी छुअन से
मेरे बिखरे हुए वजूद को ??

बहुत ही बढिया लगी आपकी ये रचना!!
आभार्!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

तभी मेरा दिल..
अचानक यूँ ही..
किसी गहरी सोच में डूब जाता है
कि क्या तुम फिर आओगे
फिर से
वही नज़्म लिखने, गुनगुनाने
और फिर से दोगे क्या कुछ लम्हे
अपनी व्यस्त ज़िंदगी के?

kavita bahut achchi lagi..... in panktiyon ne dil ko chhoo liya....

behtareen shabdon ke saath ...bahut hi khoobsoorat kavita....

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Deri se aane ke liye maafi chahta hoon....
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Arvind Mishra said...

एक सुकुमार सी चाहत !

shikha varshney said...

khubsurat ahsason se bhari kavita.

ज्योति सिंह said...

bahut khoobsurat ahsaas .ek geet ke kuchh bol likhna ka man hua ise padhkar so likh rahi hoon----
kahi khwabo me hum gum na hote
mere humraahi jo tum na hote .
rahe wo hi waadi wo hi
badla kuchh nahi ,
phir bhi tere milne se
yahan duniya kyo hai haseen .
aesa shama na hota
kuchh bhi na yahan na hota ,mere hamrahi jo tum........

योगेन्द्र मौदगिल said...

सुंदर कविता..... साधुवाद..

Science Bloggers Association said...

रूमानी जज्बों की सोंधी सोंधी महक आ रही है इस कविता से।
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सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।

प्रकाश पाखी said...

मेरे दिल पर तुम ने लिख दी
प्यार की एक अमिट दास्तान..
उस नज़्म के लिखे शब्द
अक्सर तन्हाई में मेरी..
मुझे तेरे प्रेम का राग सुनाते हैं
देखती हूँ जब भी मैं आईना
तेरे नयनो के..
वो प्यार भरे अक़्स
अक्सर मेरी नज़रो में
उतर जाते हैं...
एक मीठी सी..
छुअन का एहसास
मन को छूने वाली कविता लगी...भावो को करीने से सजाकर खूबसूरती दी है....

rashmi ravija said...

प्यार का मीठा अहसास...दिल की तड़प....मिलने की आरजू...सबको कितनी खूबसूरती से बयाँ किया है...मीठी छुवन लिए बहुत प्यारी लगी ये कविता