Monday, January 12, 2009

एक गर्म चाय की प्याली हो ..

एक गर्म चाय की प्याली हो ..जब पड़ रही हो ठण्ड कडाके की तो चाय से बढ़िया कोई चीज नही लगती है ,और यही मुहं से निकलता है पर यह चाय क्या आप जानते हैं आई कहाँ से ? आईये आपकी बताते हैं कि इस कलयुग के अमृत को आख़िर कैसे खोजा गया .इसको खोजा चीन के सम्राट शेनतुंग ने | आज से २७३७ इसवी पूर्व इसको यूँ ही अचानक खोज लिया गया .जिस तरह से से इस कथा को पढने से पता चलता है ...

चीन का सम्राट था शेनतुंग ..वह अक्सर बीमार रहता एक दिन उसके डाक्टर ने कहा पानी उबाली ठंडा करके पीते रहो, बादशाह ने वैसा ही किया ॥बहुत दिनों तक यही चलता रहा| एक दिन राजमहल के रसोईघर में पानी उबाला जा रहा था ,हवा चली कुछ पत्तियां उड़ती हुई आई उबलते पानी में गिर पड़ी | इसी पानी को सम्राट ने पी लिया उसको पानी का स्वाद कुछ बदला बदला सा लगा और पसन्द भी आया |
बस फ़िर क्या था राजा ने वैसी ही पत्तियां मंगवाई और उबलवाया | और फ़िर से पिया | यही कर्म जारी रहा इसको देख कर और भी लोगों ने भी इसको इस तरह से पीना शुरू कर दिया | चीनी लोगी ने इसको चाह नाम दिया ,वही चाह बाद में चाय कहलाई |
जैसे जैसे यह और देशों में गई वहां अलग अलग नाम दे दिए गए ,जैसे भारत में इसको चाय कहा जर्मन में ती फ्रेंच में दी और अंग्रजी में यह टी कहलाई |सबने इसको अपने स्वाद में ढाला और खूब इसका स्वागत किया |
इस समय विश्व में प्रति चाय की खपत के हिसाब से आयरलैंड प्रथम ,ब्रिटेन दूसरे तथा कुवेत तीसरे स्थान पर आते हैं इस तरह सम्राट के इस उबले पानी ने हमें चाय से परिचित करवा दिया | और मेरे जैसे चाय अधिक पीने वाले तो इन सम्राट के ख़ास शुक्र गुजार रहेंगे |

34 comments:

डॉ .अनुराग said...

एक शुक्रिया सम्राट को.....दूजा आपको.....हुड़क उठ आई है चाय पीने की .

Mohinder56 said...

बढिया जानकारी दी आपने "चाह" यानि चाय के बारे में.. अपुन जैसे जो बोतल से दूर भागते हैं इसी के प्यालों को टकरा कर चियर्स कर लेते हैं :)

Anonymous said...

आपके इस वर्चुअल चाय के प्याले ने वाकई तरोताज़ा कर दिया है..

अनुराग अन्वेषी said...

चाय पर जानकारी बेहद अच्छी लगी, पर बताने का तरीका बेहद बेकार। तरीका यह होना चाहिए था कि बुलाती अपने घऱ। पिलातीं चाय और बतातीं कि चाय रानी आईं यहां... :-)

संगीता पुरी said...

जानकर अच्‍छा लगा चाय के शुरूआती दौर के बारे में....मुझे भी चाय बहुत पसंद है....इस कारण चाय पीने में मै आपका पूरा साथ दे सकती हूं।

Amit Kumar Yadav said...

''स्वामी विवेकानंद जयंती'' और ''युवा दिवस'' पर ''युवा'' की तरफ से आप सभी शुभचिंतकों को बधाई. बस यूँ ही लेखनी को धार देकर अपनी रचनाशीलता में अभिवृद्धि करते रहें.

Unknown said...

acchi jaankaari.......sukriya..

seema gupta said...

arre wah to aise huaa chaay kaa avishkaar, bhlaa ho चीन के सम्राट शेनतुंग ji kaa..."

regards

Alpana Verma said...

chay ke baare mein jaankari bahut achchee hai...chay ki chah sab ko hi rahti hai.....Sardiyon mein to bas...ek garam chay ki pyali ho wo bhi masale wali!!

manvinder bhimber said...

very testy .....thanx

रंजना said...

बिहार के ग्रामीण इलाकों में भी इसे 'चाह' ही कहा जाता है.
रोचक जानकारी हेतु धन्यवाद.

Abhishek Ojha said...

इस चाय की चाह में रहने वाले तो बहुत लोग हैं :-)

mehek said...

bahut garama garam jankari rahi :):)chai ki.sundar.

सुशील छौक्कर said...

दोपहर में कमेंट लिखा था पर नेट ही चला गया। खैर अब चाय पीते पीते ही अब कमेंट लिख रहा हूँ। कहीं पढा था कि एक आदमी(लेखक शायद) ने लिखा कि भगवान ने अच्छा किया जो मुझे चाय के आविष्कार के बाद पैदा किया नही तो इतना अच्छे पेय को नही पी पाता।

Himanshu Pandey said...

जानकारी के लिये धन्यवाद.

chopal said...

चाय ke bare main aachi jaankari di aapne.

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर जानकारी शुक्रिया।

नीरज गोस्वामी said...

बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने...ठण्ड हो या गर्मी...चाय का आनंद पीने वाला ही जान सकता है...
नीरज

Arvind Mishra said...

ताजमहल ताज की ही तरह बेहतरीन फ्लेवर लिए है आपका यह ज्ञान विज्ञान लेखन !

गौतम राजऋषि said...

अद्‍भुत जानकारी...और पढ़कर इस रात गये चाय पीने की तलब लग गयी

Anonymous said...

सुंदर जानकारी. उस बादशाह का भला हो (स्वर्ग में ही सही). आभार.

राज भाटिय़ा said...

धन्यवाद इस सुंदर जानकारी के लिये,

जितेन्द़ भगत said...

अच्‍छी जानकारी दी आपने। चला चाय पीने:)

आलोक साहिल said...

सही है जी.........कहाँ से धुंध कर लाती हैं इतनी पोशीदा जानकारियाँ...........
अब तो चाय का मजा ख़ुद बखुद दोगुना हो जाएगा......
आलोक सिंह "साहिल"

प्रवीण त्रिवेदी said...

बढिया जानकारी दी आपने चाय के बारे में.....
ग्रामीण इलाकों में भी इसे चाह ही कहा जाता है!!

Ashutosh said...

aap bahut accha likhti hai ,aap kabhi mere blog par aayiye,aap ka swagat hai,

http://meridrishtise.blogspot.com

admin said...

चाय के बारे में पढकर चाय की तलब लग गयी। चलें कैन्‍टीन का रूख करते हैं। वहां जरूर मिलेगी एक कप चाय।

Amit Kumar Yadav said...

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

दिगम्बर नासवा said...

चाय के रोचक इतिहार की जानकारी की लिए शुक्रिया
अब तो चाय का इतना प्रचलन हो गया है जैसे पाने की प्यास लगती है वैसे ही चाय की च्यास भी लगने लगी है

Smart Indian said...

रंजना जी,
चाय पीते-पीते चाय-चर्चा का आनंद ही कुछ और है. भारत में चाय अनादि काल से होती रही है. अब हम तहरे काढे-आसव के आयुर्वैदिक समुद्र में नाक तक डूबे हुए लोग, छाई जैसी चीज़ कभी इतिहास नहीं बना सकी - मगर चीन में चाय सबसे महत्वपूर्ण बन गयी.

जब अँगरेज़ भारत में चाय के बागान लगाने की योजना बना रहे थे तब उन्होंने पाया कि दुनिया की बेहतरीन चाय भारत में प्राकृतिक रूप से ही उगती है और स्थानीय आदिवासी उसका काढा पीते भी हैं.

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में काली चाय का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है.
(सन्दर्भ: teaindia.com)

!!अक्षय-मन!! said...

वैसे मैं चाय तो नही पिता लेकिन जानकर अच्छा लगा....
बहुत ही अच्छी जानकारी है....
ये मुझे आज तक नही पता था......
शुक्रिया.....


अक्षय-मन

रंजू भाटिया said...

चाय की चाह को पसंद करने वालों का शुक्रिया :) सबने इस पोस्ट को पढ़ते ही चाय पीने की चाह को खुले दिल से स्वीकार किया अच्छा लगा :) स्मार्ट इंडियन [अनुराग जी } का विशेष धन्यवाद उन्होंने इस विषय में और जानकारी बढ़ा दी ...

hem pandey said...

चाय के बारे में रोचक जानकारी देने के लिए साधुवाद.

Anonymous said...

प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !!

Kya khoob sher likha hai aapne, dil ko chu gaya, pehli baar aapka blog padha aur padhta hi rah gaya, krupya aise likhate hi rahe aur apne blog dosto ke saath kuch pal baantate rahe !
Dhanyavaad!
Dilip Gour
Gandhidham