मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधों मत आज अपने अधर, प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो
दिल में बढ़ता प्रेम ज्वर अब कहीं थमने ना पाए
लोग कहे मुझे प्रेम दीवानी ,मीरा मुझ को होने दो
मेरे उर में भर के प्रीत नयी , तुम मेरा हर मौन हरो
बहे ब्यार सिर्फ़ प्रेम की ,आज ऐसी ध्वनि को बहने दो
दिल के दर्पण पर आया है प्रियतम तुम्हारा रूप उतर
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो
मैं ..मैं ना रहूँ आज बस तू ही तू नजर जाऊँ
हौले -धीमे से ऐसी प्यार की बरसात होने दो
प्रेम सुरो में डूबे हो जीवन के राग रंग सारे
आज राधा को फ़िर से श्याम मय होने दो
मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधो मत आज अपने अधर , प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो!!
बांधों मत आज अपने अधर, प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो
दिल में बढ़ता प्रेम ज्वर अब कहीं थमने ना पाए
लोग कहे मुझे प्रेम दीवानी ,मीरा मुझ को होने दो
मेरे उर में भर के प्रीत नयी , तुम मेरा हर मौन हरो
बहे ब्यार सिर्फ़ प्रेम की ,आज ऐसी ध्वनि को बहने दो
दिल के दर्पण पर आया है प्रियतम तुम्हारा रूप उतर
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो
मैं ..मैं ना रहूँ आज बस तू ही तू नजर जाऊँ
हौले -धीमे से ऐसी प्यार की बरसात होने दो
प्रेम सुरो में डूबे हो जीवन के राग रंग सारे
आज राधा को फ़िर से श्याम मय होने दो
मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधो मत आज अपने अधर , प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो!!
26 comments:
बहुत ही प्यारी अभिव्यक्ति..
प्रेम सुरो में डूबे हो जीवन के राग रंग सारे
आज राधा को फ़िर से श्याम मय होने दो
प्यार के इजहार को इतने खूबसूरत लफ्जों में पिरोकर आपने मीरा और राधा के जज्बात को जुबान दी है...
maun na raho ..... apne aap mein hi ye kaafi kuch kah jaati hai .. phir shesh hi kya hai ...
bahut sundar ..
appko bahut badhai...
vijay
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sach hai..ye man bhi chand ki tarah alag alag roop dikhata rahata hai..kabhi maun ho jana chahat hai kabhi mukhar...!
bahut sundar...!
प्यार के कोमल भावों को मुखरित कर दिया है.......
बहुत ही अच्छी है
मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधो मत आज अपने अधर , प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो!!
बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना मुझे।
बहुत ही प्यारे कोमल भाव लिख दिए आज आपने।
प्रेम सुरो में डूबे हो जीवन के राग रंग सारे
आज राधा को फ़िर से श्याम मय होने दो
अद्भुत।
मुखर रचना प्रेम की
अभिव्यक्ति करती.
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बधाई
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
वाह.. आपका ये रंग भी देखने को मिला... बहुत खूब!
ऊपर वाली फोटो के लिए दस में से दस नंबर
मैं ..मैं ना रहूँ आज बस तू ही तू नजर जाऊँ
हौले -धीमे से ऐसी प्यार की बरसात होने दो
सुन्दरतम अभिव्यक्ति !
रामराम !
मेरे उर में भर के प्रीत नयी , तुम मेरा हर मौन हरो
बहे ब्यार सिर्फ़ प्रेम की ,आज ऐसी ध्वनि को बहने दो
-वाह! वाह! वाह!
-बहुत ही सुंदर कविता श्रिंगार रस में डूबी हुई ,मन को भिगो गयी.
चित्र भी खूबसूरत है कविता को पूरा साथ दे रहा है.
वाह ! ....लाजवाब....प्रेम की रसभरी अतिसुन्दर अभिव्यक्ति.
radha to har bar hi shyam may hona chahati hai. bahut sundar abhiwyakti.
radha to hamesha hi shyam may hona chahati hai. bahut hi sundar abhiwyakti.
मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधो मत आज अपने अधर , प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो!!
बहुत ही सुंदर!
प्यार में डूबे हुये अहसास की सुन्दर अभिव्यक्ति
दिल के दर्पण पर आया है प्रियतम तुम्हारा रूप उतर
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो
प्रेम सुरो में डूबे हो जीवन के राग रंग सारे
आज राधा को फ़िर से श्याम मय होने दो
मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधो मत आज अपने अधर , प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो!!
वाह
प्रेम चिन्ह स्वयम मुखरित हो गए हों जैसे .
अच्छा लिखा है .बधाई
श्रृंगार और समर्पण की श्रेष्ठ अभिवयक्ति !
"बेबाक दलीले गर लाती है कई मुश्किले
तेरी ख़ामोशी भी किसी रोज़ जुर्म कहलायेगी"
दिल के दर्पण पर आया है प्रियतम तुम्हारा रूप उतर
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो
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मृदुलता बहुत सुँदर भावोँ से सजी अनुभूति,
कविता मेँ ढली है
यूँ ही लिखते रहीयेगा
स स्नेह,
-- लावण्या
दिल के दर्पण पर आया है प्रियतम तुम्हारा रूप उतर
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो
रंजना जी बहुत ही सुंदर हे आप की यह कविता.ओर बहुत ही सुंदर भाव
धन्यवाद
सुन्दर !
घुघूती बासूती
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो.....बहुत खूब मैम....बहुत खूब
कविता प्रभावशाली है । बहुत अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-समय हो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
wahhh, shringaarmay ho gaya main to. :)
Ab main aapke liye kya boloona.Superb...
kabhi mera blog bhi visit kijiye
http://pupadhyay.blogspot.com/
mujhe achha lagega..
क्लिक 'पोस्ट अ कोमेंट' पर देने कम्प्लीमेंट
रचना सारी पढ़ गये, कहीं मिली ना डेंट
बहुत ही स्मूथ रचना है ..
बह गया जी..
शुक्र है हिलोर नहीं आयी..
डूबते डूबते रह गया जी...
बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति और प्रेम की सशक्त पैरवी है आपकी ये कविता मोहतरमा ।
मेरे उर में भर के प्रीत नयी , तुम मेरा हर मौन हरो
बहे ब्यार सिर्फ़ प्रेम की ,आज ऐसी ध्वनि को बहने दो
वाह वाह क्या कहना !
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