Wednesday, April 23, 2008

ज़िंदगी जीने का नाम है ...

जीने की जिजीविषा ..मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत हो तो कोई काम मुश्किल नही होता है और मेरा मनाना है कि यदि ज़िंदगी आसान हो तो जीने का मज़ा ही क्या ? कुछ मुश्किल आएगी तो ही हमे जीने की प्रेरणा मिलेगी ..यही मुश्किलें हमे रास्ता दिखाती है आगे बढ़ने का .अब कोई इसको हंस के निभा लेता है कोई रो के ..और वक्त अपनी चाल चलता रहता है ...सबका अपना अपना तरीका है इस से निपटने का :) ....मेरे सामने जब कोई मुश्किल आती है तो मैं पहले एक बार तो परेशान जरुर हो जाती हूँ ..इंसान हूँ आखिर कोई एलियन तो नही.....फ़िर सोचती हूँ कि बेटा रंजू इसको सोच समझ के हंस के ही हल करना पड़ेगा नही तो सामने वाला आपको और कमजोर करेगा ...अपने आस पास देखे तो अपने से ज्यादा दुःख नज़र आते हैं ..मैं अपनी इसी श्रृंखला में आपको एक घटना बताती हूँ जो मैंने अभी हाल में ही एक न्यूज़ में पढी ...घटना आकलैंड की है लोग एक ताल के सामने हैरान से खड़े थे , बात ही कुछ ऐसी थी क्यूंकि सामने जो तैर रही थी वह जलपरी थी ..सब लोग हैरान परेशान से आँखे फाड़े उसको देख रहे थे ..दरअसल वह कोई जलपरी नही थी वहाँ की रहने वाली एक लड़की थी नाम था उसका नादिया .....अपने जीवन के पचास वर्ष पूरे कर चुकी नादिया को बचपन से ही तैरने का शौक रहा है लेकिन एक दुर्घटना में वह अपने दोनों पैर खो बैठी ..उन्होंने अपना पहला पैर सात साल की उम्र में ही खो दिया था जबकि दूसरा पैर सोलह वर्ष की उमर में खो दिया वह कुछ ऐसा काम करना चाहती थी जो कुछ चुनौती से भरा हुआ हो इतना कुछ होने पर भी उन्होंने अपनी हिम्मत नही खोयी ..और ही ख़ुद को कमजोर साबित होने दिया उन्होंने अपने बचपन के सपने को पूरा करने का निश्चय किया उन्होंने अपने दिल में ठान लिया की वह तेरेंगी ..बिना पांव के यह होना केवल मुश्किल था बलिक नामुमकिन भी था पर जहाँ चाह वहाँ राह तभी एक संस्था जिसने हालीवुड में फ़िल्म लार्ड आफ थे रिंग्स में स्पेशल इफेक्ट दिए थे वह उनकी सहायता के लिए तैयार हो गई उनके लिए उन्होंने एक जलपरी की संकल्पना तैयार की एक ख़ास तरह की पूंछ तैयार करवाई गई और इसकी सहायता से उन्होंने इस काम को अंजाम दिया नादिया ने तैरते वक्त अपनी खुशी का इजहार किया और कहा की मैं इस वक्त ख़ुद को जलपरी सा महसूस कर रही हूँ मेरे लिए यह अनुभव कभी भूलने वाला है .. ऐसे जीने वाले दिल दूसरो के लिए एक प्रेरणा बन जाते हैं ..और बता देते हैं अपने कामों से कि ज़िंदगी जीने का नाम है ...

रंजू भाटिया

8 comments:

Anonymous said...

sahas aur prerna aur zindagi ki chah se bhari sundar baat kahi,nadiya ko salami karne ka man kar raha hai,sundar lekh

Anonymous said...

You have inspired people who has lost faith in the life.
I found girls/ladies approach a man only and only in need whereas man approches a woman, just to entertain first to her and then to self.
rohit

डॉ .अनुराग said...

रंजना जी आज से कई साल पहले देल्ही के प्रगति मैदान मी लगने वाले व्यापारिक मेले के रूसी स्टाल से मैंने एक किताब ली थी जिसमे एक ऐसे पायलट की आत्मकथा थी जो अपने दोनों पैर खो बैठा है फ़िर नकली पैरो से वो किस तरह अपनी जिजीविषा ओर हिम्मत से दुबारा आर्मी का पायलट बनता है ,कई रोज वो किताब मेरे सिरहाने रही थी......तो जिंदगी के गमो को उठायो ओर पी डालो.......

एक सूचना ...इमरोज की नज्म की किताब मार्केट मे आ गई है.

रंजू भाटिया said...

अनुराग जी ..वह किताब मुझे इमरोज़ ने अपने हाथों से हस्ताक्षर कर के दी है ..:) पढ़ना और इश्क की इन्तहा क्या होती है .उसको पढ़ कर जान सकते हैं ..वह जज्बा वह प्यार जो उनकी आंखो में अमृता के लिए था ..मैं ज़िंदगी भर नही भूल सकती उसको ..:)

शुर्किया मेरे लिखे लेख को पढने का .. यहाँ आज पोस्ट की कविता और कुछ कहानी कविता से अलग लिखने की कोशिश की है इसको भी देखे :)

http://indianwomanhasarrived2.blogspot.com/2008/04/blog-post_23.ह्त्म्ल

http://daalrotichaawal.blogspot.com/2008/04/blog-post_902.html

राकेश खंडेलवाल said...

खंड खंड कर सुधि का दर्पण
चूर चूर कर मन की सीमा
गहन अंधेरा काली रातें
तो क्या बधें अकेले पथ पर
कब तक करें प्रतीक्षा
आंधी नित ही दिये बुझा कर लौटे
कब तक व्यर्थ पुकारें
प्रतिध्वनि, अंबर से टकरा कर लौटे
शाम कहीं इक नीड़ बनाओ, भोर नये पाथेय सजाओ
निकल पड़ा कोई दीवाना, चर्चायें होने दो घर घर

सुनीता शानू said...

बहुत सुन्दर और प्रेरणा दायक...:) जो रोते को हँसा दे एसा लिखती हैं आप...

loke said...

abi ek aapki naari ke vaytha suni jo bhut hi achi lagi

or ab ye jindgi jeena ka naam story kaafi achi lagi
or sach hi hai agar jindgi mein koi pareshaani na aaye to life bilkul bekar si lagti hai boreiyat si hoti hai

or jab parshaani aaye or jo us se lad kar aage nikal jaye to kitna maja aata hai

ranju ji aap ese hi likte rahe hamre liye

Mukesh Garg said...

yes u are right . but is baat ko har koi samjh nhi pata ki jo kaam usko karna hi hai wo chahe hans kar kare ya roo kar karna usse hi hai to fir hans kar hi kyu na kiya jaye.