Saturday, February 16, 2008

पुस्तक मेला और हिंद युग्म ..की कामयाबी

२ फरवरी जब यह पुस्तक मेरा शुरू हुआ तो एक जोश था इस बार इस मेले का ...मैं दिल्ली पुस्तक मेला हो या यह विश्व पुस्तक मेला जरुर जाती हूँ और जब तक लगा रहता है कई बार जाती हूँ ...किताबो की जादू नगरी लगती है मुझे जहाँ बेसुध हो के पुस्तक संसार में खोया जा सकता है ...पर इस बार इस मेले में मैं सिर्फ़ इस बार मैं सिर्फ़ पुस्तके देखने नही गई थी बलिक इस मेले में शिरकत करने वाला हिंद युग्म से जुड़ी हुई थी ..जोश हम सब में भरपूर है और जनून है हिन्दी भाषा को हिन्दी साहित्य से लोगो को जोड़ना ..और ३ फरवरी को विमोचन के बाद लोग हमे तलाशते हुए हमारे स्टैंड तक आए ...कोई उम्र की सीमा से नही बंधा हुआ ..यदि आज की युवा पीढ़ी हिन्दी से जुड़ना चाहती थी तो उम्र दराज़ लोग भी पीछे नही थे .सबसे अच्छा लगा जब कई जाने माने लेखक उदय प्रकाश जी ने हमारे इस प्रयास को सराहा और हमारे होंसले को बढाया .मीडिया वालो ने हमारी इस कोशिश को जन जन तक पहुचाने में अहम् भूमिका निभाई हम जिस उद्देश्य को ले कर यहाँ सब आए थे आखरी दिन पर उसकी कामयाबी की खुशी हम सब के चेहरे पर थी ..

6 comments:

शैलेश भारतवासी said...

हम होंगे कामयाब , इससे भी अधिक एक दिन

Sanjeet Tripathi said...

जरुर होंगे आप कामयाब!! शुभकामनाएं

Sajeev said...

बहुत खूब रिपोर्ट रंजना जी, सच इन दिनों में एक दूसरे को जानने समझने में भी बहुत आनंद आया, वहाँ गुजरे ९ दिन कभी भूल नही पाऊंगा, समय मिला तो कुछ लिखूंगा जल्दी ही

Nikhil said...

hip-hip hurray......aur bhi rochak anubhav baante....

Anonymous said...

सुखद है कि उस अनुभव जो की आपने मेले में पाए,मैं भी शरीक रहा,और हमारे युग्म को मिली शानदार सफलता से आह्लादित हूँ,पर अभी तो कई मुकाम हासिल करने हैं इसी गर्मजोशी के साथ.
आलोक सिंह "साहिल"

Anonymous said...

ढेरों बधाईयाँ!