Monday, February 11, 2008

फ़िर आया वसंत


सखी फ़िर आया वसंत
फ़िर से लिखा गया एक लफ्ज़ प्यार का
और रख दिया इसको बंद करके
दिल के किसी कोने में
जब आहट होगी फ़िर से किसी धड़कन की .
इस कोने से निकल से यह लफ्ज़
कुछ पल तो जीया जायेगा
ज़िंदगी का सफर है चंद लम्हों का
यह कुछ तो हसीन हो जायेगा !! [रंजू ]
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जी हाँ आ गया आज फ़िर से वसंत ,वसंत प्यार का उत्सव ,प्रकति का उत्सव ,यह बात और है कि आज इस साल अभी तक ठंड पूरे जोरों पर है ..पर शायद वसंत है आज ,यह सोचना दिल में एक अजब सी उमंग भर देता है ,भर देता है यह जीवन में जोश उमंग और आशा ..पूरे वातावरण में जाग उठती है एक नई प्रेरणा ...पर हमारी आज
की युवा पीढ़ी वसंत से ज्यादा वेलेंटाइन दिवस को ज्यादा पहचानती है ..यदि हम पीछे गुजरे अपने आतीत को देखे तो वसंत लाखों सालों से हमे प्रेम की प्रेरणा दे रहा है जबकि वेलेंटाइन का इतिहास कुछ साल ही पुराना है हमारा वसंत जहाँ हमे एक नव जीवन से भर देता है वहाँ वेलेंटाइन कि कहानी कुछ अजब सी है ....इसकी कहानी जो पढने में आती है कि रोम का राजा क्लाउडिस बहुत कठोर दिल का राजा था अपनी सेना में अनुशासन बना रहे इस के लिए आदेश दिया की कोई सेनिक विवाह नही करेगा ..सेंट वेलेंटाइन ने चुचाप शादी करवानी शुरू कर दी राजा ने उनके जेल में बंद कर दिया ...और एक दिन सेंट वेलेंटाइन ने जेल के अकेलेपन से उब कर जेलर की बेटी को एक ग्रीटिंग कार्ड दे कर अपने प्रेम का इजहार किया .तब से इसको मनाने की परम्परा चल पड़ी ..पर आज का प्यार उस गहराई को नही छू पाता ,आज प्यार का मतलब सिर्फ़ स्वार्थ रह गया है .इस में अब वो गहरी भावना नही दिखती है ..और प्यार के लिए सिर्फ़ एक ख़ास दिन की जरुरत नही है ..और न ही किसी पैमाने की .यह कहाँ कब कैसे हो जाए कौन जानता है ? हर किसी की पसंद अपनी और अपने विचार हैं इस बारे में ..प्यार में सागर सी गहराई है तो नदी से बहने का प्रवाह भी ...जीवन की सारी कठोरताओं ,मुसीबतों को झेल कर भी यदि प्रेम बना रहे तो वही प्रेम है ...प्रेम का काम है जोड़ना ,....तोड़ना नही . और यह इसी रूप में सुंदर लगता है ..वसंत का आगमन प्रतीक है नए उमंगो के खिलने का .और यह उमंग सकरात्मक रूप से रहे .वही अच्छा लगता है ..प्रेम के इस पावन पर्व वसंत का स्वागत .इमरोज़ जी की लिखी इन पंक्तियों से बेहतर और क्या हो सकता है .

सारे शब्द
सारे रंग
मिल कर भी
प्यार की तस्वीर
नहीं बना पाते
हाँ प्यार की तस्वीर
देखी जा सकती है
पल पल मोहब्बत जी रही
ज़िंदगी के आईने में !!

2 comments:

Asha Joglekar said...

सच कहा है आपने जिंदगी चंद लम्हों की है ।
इसमें प्यार का एक पल कितनी खुशी भर देता है ।

Anonymous said...

bilkul sahi ji dher sare lamhe juta pana hamare bas mein nahi,par jo lamhat mile hain unhein ji bharkar jiya to ja hi sakta hai.kyonki kabhi kabhi ek pal ki khushi hi lambe se jivan ko kat le jane ke liye paryapt ho jati hai,
alok singh "sahil"