Friday, July 29, 2022

सुनो जिंदगी

https://youtu.be/98YW2C09-RQ
 

सुनो ज़िन्दगी !!

तेरी आवाज़ तो ......

यूँ ही, कम पड़ती थी कानों में 

अब तेरे साए" भी दूर हो गए 

इनकी तलाश में 

बैठी हुई 

एक बेनूर से 

सपनों की किरचे 

संभाले हुए ......

हूँ ,इस इंतजार में 

अभी कोई पुकरेगा मुझे 

और ले चलेगा 

कायनात के पास .......

जहाँ गया है सूरज 

समुंदर की लहरों पर हो कर सवार 

"क्षितिज" से मिलने 

और वहीँ शायद खिले हो 

लफ्ज़, कुछ मेहरबानी के 

जो गुदगुदा के दिल की धडकनों को 

पूछेंगे मुझसे 

कैसी हो बोलो ?

क्या पहले ही जैसी हो ?


सिगरेट ( अमृता प्रीतम poetry)


#रंजूभाटिया

10 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (30-07-2022) को   "काव्य का आधारभूत नियम छन्द"    (चर्चा अंक--4506)  पर भी होगी।
--
कृपया अपनी पोस्ट का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ज़िन्दगी , तुम भी मिलना क्षितिज पर ।
खूबसूरत रचना ।

Onkar Singh 'Vivek' said...

वाह वाह!

Onkar said...

बहुत ही सुन्दर

Vocal Baba said...

वाह।बहुत खूब। सुंदर सृजन। बधाई।

Sunil Deepak said...

सपनों की किरचें और पुकार की प्रतीक्षा, संदर अभिव्यक्ति

Marmagya - know the inner self said...

आदरणीया रंजू जी, नमस्ते 🙏❗️
बहुत सुंदर रचना है. साधुवाद!
कृपया इस लिन्क पर जाकर मेरी रचना मेरी आवाज़ में सुने और चैनल को सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में अपने विचार भी लिखें. सादर! -- ब्रजेन्द्र नाथ
https://youtu.be/PkgIw7YRzyw

Shalini kaushik said...

सुन्दर

मन की वीणा said...

बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन।
संवेदनशील मन की अभिव्यक्ति।

अनीता सैनी said...

बहुत सुंदर हृदय स्पर्शी सृजन।
सादर