गर्ल्स गैंग किस्से घुमक्कड़ी के भाग3
(वाइजेग ) विशाखापट्टनम की स्पेशल यात्रा ...
यह मेरे लिए हर मायने में स्पेशल यात्रा थी, एक तो यह मेरी पहली जिंदगी की "हवाई यात्रा "थी, दूसरा बेटी की जॉब करके "नोवाटेल होटल " फाइवस्टार में बिल्कुल समुंद्र के सामने कमरा बुक था। और बहुत ही vip वेलकम रहना घूमना था। उस पर यह जगह बहुत ही सुंदर थी। मुझे वैसे ही समुंद्र बहुत पसंद है। तो इस तरह से चार दिन के ट्रिप की हर बात खास थी।
आस पास के सब जगह के साथ हमने वहां के आदिवासी इलाके और "बोराकेव्स "भी देखी। जब हम वहां फरवरी में भी गए थे तो भी उस वक्त भी वहां बहुत तेज गर्मी थी।
होटल में हम सुबह रेडी होते ,साथ में हमारा लंच और स्नैक्स,पानी अच्छे से पैक कर के दे देते होटल वाली और गाड़ी तो हमेशा रेडी थी हमें घुमाने के लिए। हम भी पूरे उत्साह से इस नई जगह को एक्सप्लोर कर रहे थे। हर जगह की रोचक जानकारी ले रहे थे।वहां के बीच अब तक के देखे गए बीच से बहुत ज्यादा साफ सुथरे और सुंदर थे।
एक दिन हम होटल के सामने वाले बीच पर बैठे थे ,शाम का समय था बहुत ही सुंदर और बढ़िया नजारा था, तभी एक तेज लहर आई और बिटिया की चप्पल ले गई ।अब होटल वापिस कैसे आए ,फाइव स्टार होटल दरबान ,और सब एंट्री पर ,वो जो हम भागते हुए लिफ्ट तक गए वह बहुत ही फनी था। अब लगता है कि इतने क्यों कनफ्यूज थे आखिर हम ,अब यदि समुंदर के किनारे हैं तो इस तरह से बातें होना स्वाभाविक ही था। पर शायद दिमाग में फाइव स्टार होटल का होना था कि कैसे अंदर इस तरह से जाएं।
खैर आने से एक दिन पहले हमे बताया गया कि आज हम "रामो जी स्टूडियो "देखने जाएंगे ,यह हैदराबाद जितना बड़ा तो नहीं पर देखने लायक है, मिस करने लायक नहीं है। उस दिन गर्मी बहुत थी और हम दोनो मां बेटी का बिल्कुल ही जाने का मन नहीं था, सोचा कि यहां से निकलते हैं रास्ते में ड्राइवर को कह देंगे आइडिया चेंज हो गया है आप हमें "ऋषिकोंडा बीच "पर उतार देना। पर एक समस्या जो बहुत बड़ी थी वह थी भाषा की ,न वो हिंदी समझ रहे न इंग्लिश ,उन्हें जो होटल मैनेजर ने कहा था वो बस यस यस बोलते हमारी हर बात पर और हमे वहां फिल्म स्टूडियो की तरफ ले चले। हम दोनो खूब इरिटेट और चिडचिडे से उतरे गेट पर कि यार! क्या जबरदस्ती है। नहीं जाना हमे फिल्म स्टूडियो देखने।
लेकिन हम शायद गलती पर थे ,वो फिल्म स्टूडियो हम दोनों ने इतना एंजॉय किया कि अभी तक भूल नहीं सकती। वो घरों के ,मार्केट के बड़े बड़े सेट ,जेल पुलिस स्टेशन ,बड़े बड़े बाग ,मंदिर ,चर्च के सेट ,बहुत ही अमेजिंग लगे ।
इसी को देख कर मेरे मन में हैदराबाद वाले फिल्म स्टूडियो को देखने की इच्छा हुई थी जो कुछ वक्त बाद मैने देखा भी। पर यह पहला अनुभव किसी फिल्म स्टूडियो को देखने का बहुत ही रोमांचकारी था। यदि ड्राइवर हमारी बात समझ कर हमें न ले जाता तो हम वाकई कुछ मिस कर देते अपने इस ट्रिप का। बाद में वो हमें बीच पर भी ले गया ,अब यह याद नहीं कि वो उसको कहा गया था ,या हम दोनो बार बार बीच बोल रहे थे तो ले गया। पर हमने दोनो जगह खूब एंजॉय की ।और वापसी में उन्हें थैंक्स बोला। कई बार ट्रिप के दौरान वहां के लोगों की बात मान लेनी चाहिए ताकि बाद में अफसोस न रहे कि हम इतनी दूर गए भी और यह देखना मिस कर दिया। इस ट्रिप के साथ बहुत ही मीठी और प्यारी यादें जुड़ी हैं ठीक किसी भी पहले प्रेम सी और यह हमेशा याद रहेगी।
यात्राएं जब तक कोरोना ने दस्तक नहीं दी थी ,खूब घुमक्कड़ी की और हर यात्रा के साथ तो यूं ही खट्टी मीठी यादें जुड़ ही जाती है। इस सीरीज की आखिरी कड़ी में मिलते है जल्द ही ...
9 comments:
धन्यवाद जी
बहुत सुंदर सराहनीय यात्रा संस्मरण।
ये संस्मरण श्रंखला बहुत बढ़िया चल रही है ..... साथ साथ हम भी थोडा घूम रहे हैं .....चप्पल का किस्सा भी खूब रहा .
बहुत ही सुंदर पढ़कर बढ़िया लगा... पता नहीं हर जगह यह चप्पल ही क्यों धोखा देती है 😁
बहुत बढ़िया।
सादर
पहली हवाई यात्रा का अनुभव कोई नहीं भूल सकता है \बहुत खूब रही सैर
बहुत सुंदर संस्मरण
अरे वाह विशाखापत्तनम की यादें ताज़ा कर दीं आपने!सुंदर वर्णन!!
धन्यवाद
मुंबई मे भी बाॅलीवुड टूर मे फिल्म और सीरियल के सेट कुछ स्टूडियो ले जा कर घुमाते है लेकिन हम आजतक गये नही बस सोचते रहते की कोई बाहर से आये तो उसके बहाने जाये । Anshumala
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