Sunday, September 22, 2019

"मैं कौन हूँ ? "स्त्री मन की बात ( अंतिम भाग)

मैं कौन हूँ "? यह सवाल अक्सर हर इंसान की तरह स्त्री के  दिल में भी  उभर के आता है तो कुछ इसकी खोज में जुट जाती है . .यह "मैं "की यात्रा स्त्री पुरुष दोनों की इंसान की कोख के अन्धकार से आरम्भ होती है और फिर निरन्तर साँसों के अंतिम पडाव तक जारी रहती है ....यही हमारे होने की पहली सोच है चेतना है जो धीरे धीरे ज़िन्दगी के सफ़र में परिवार से समाज से धर्म से और राजनीति से जुडती चली जाती है ..मैं "शब्द ही अपने अस्तित्व को बचाने की एक पुरजोर कोशिश ..और एक ऐसी वाइब्रेशन जो खुद से खुद को 
एक होने के एहसास से रूबरू करवा देती है ...और जब यह तलाश पूरी होती है तो दुनिया को रास नहीं आती है ..मैं मीरा बन के जब जब पुकार करती है तब तब समाज अपने अहम् को ले कर सामने आ जाता है ...जब जब यह मैं की चेतना जागती है तब तब जहर के प्याले होंठो से लगा दिए जाते हैं ..पर न यह खोज रूकती है न यह मैं का ब्रह्मनाद रुकता है यह तो बस नाच उठता है ..पग में बंधे घुंघरू में और नाद बन के जग देता है अंतर्मन को 


खुद में खुद को पाने की लालसा 
खुद में खुद को पाने की तलाश 
उस सुख को पाने का भ्रम 
या तो पहुंचा देता है 
मन को ऊँचाइयों में
या कर देता है 
दिग्भ्रमित 
और तब 
लगता है जैसे 
मानव मन पर 
कोई और हो गया है ..........

यदि यह मैं कौन हूँ का सवाल मिल जाता है तो इंसान बुद्धा हो जाता है ..और नहीं मिलता तो तलाश जारी रहती है ..इसी तलाश में जारी है मेरी एक कोशिश भी ..उन सभी स्त्री जाति के साथ जो ज़िन्दगी जीने की ललक में अपने व्यक्तित्व की पहचान बनाएं रखने में सफल हो रही हैं ,वह समाज में पुरुष प्रधानता होते भी खुली हवा में अपनी पहचान बनाए रखने में लगी हुई है बिना टूटे ,बिना हिम्मत हारें 

सुबह की उजली ओस
और गुनगुनाती भोर से
मैंने चुपके से ..
एक किरण चुरा ली है
बंद कर लिया है इस किरण को
अपनी बंद मुट्ठी में ,
इसकी गुनगुनी गर्माहट से
पिघल रहा है धीरे धीरे
"मेरा "जमा हुआ अस्तित्व
और छंट रहा है ..
मेरे अन्दर का
जमा हुआ अँधेरा
उमड़ रहे है कई जज्बात,
जो क़ैद है कई बरसों से
इस दिल के किसी कोने में
भटकता हुआ सा
मेरा बावरा मन..
पाने लगा है अब एक राह
लगता है अब इस बार
तलाश कर लूंगी "मैं "ख़ुद को
युगों से गुम है ,
मेरा अलसाया सा अस्तित्व
अब इसकी मंजिल
"मैं "ख़ुद ही बनूंगी !!

1 comment:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-09-2019) को     "बदल गया है काल"  (चर्चा अंक- 3468)   पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'