Sunday, February 03, 2013

कुछ मेरी कलम से

बिखरी हुई मैं अपनी ही कविता के अस्तित्व में
जैसे कोई बूँद बारिश की गिर के मिट जाती है
और कह जाती है वह सब कुछ अनजाना सा
दिल में कभी एक तड़प ,कभी एक सकून दे जाती है
करना हो मुझे तलाश तो कर लेना इन लफ्जों में.........यह लफ्ज़ उपलब्ध रहेंगे" कुछ मेरी कलम से "संग्रह ...यह संग्रह उपलब्ध है अब चार फ़रवरी से दस फ़रवरी तक विश्व पुस्तक मेले में हाल नम्बर १२ के स्टाल नम्बर बी -१० में ...........मुझे आप सबका इन्तजार रहेगा ....

12 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत बहुत बधाई रंजू......
आपकी खुशियों में हमें भी शामिल समझिये....
ढेर सारी शुभकामनाएं ...
सस्नेह
अनु

Kailash Sharma said...

शुभकामनायें!

Maheshwari kaneri said...

बहुत बहुत बधाई..

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत बधाईयाँ..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

धन्यवाद जी!

Dr. Suman Dwivedi said...

aapki rachna ati-sundar hai.shabdo ka chayan aisa hai mano motiyo ko dhage me piroya ho.maine bhi likhna shuru kiya hai aap bhi apne bahumulya vicharo se kratarth kare.

Swapnil Shukla said...

very impressive post .... very well written & fabulous as always
plz . visit -http://swapniljewels.blogspot.in/2013/01/a-kettle-of-glitters.html

Jyoti khare said...

बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें

दिगम्बर नासवा said...

बहुत बहुत बधाई ओर शुभकामनाएं ...

Darshan Darvesh said...

आपके लिखने का अंदाज़ बहुत ही उम्दा और अलग है.. !

Asha Joglekar said...

Bahut badhaee Ranjaana jee aapki kalam se sada zarati rahe kavy dhara.

Unknown said...

behtreen prastuti..congratulation...
please visit my blog..kaynatanusha.blogspot.in