प्यार के धागे को यूँ ही संभाले रखने की ख्वाहिश ..उसे उलझने न देने की चाह ..वो आये या न आये..प्यार करते रहने का वादा..बहुत ही सुन्दर मन के भाव हैं... यह प्यार यूँ ही बना रहे.. सुन्दर कविता..मोहक प्रस्तुति.
घयल की गति घायल जाने,लगाये न लगे बुझये न बुझे,पकड मे भी न आये छोडा भी न जये,प्यासे भी नही त्रिप्ती भी नही। एक छोर भी पकड मे आये तो अनन्त की यत्रा पुर्ण हो जाए। प्रेम रस छति पुर्ति से रहित,नित नवरस है, ऐसा प्रेमी जन का अनुभव है, अपने को खोकर सब कुछ पा जए॥ अभिभूत हुआ आप की रचना पढ कर, साधुवाद
पूछती हूँ एक सवाल जो तेरी तरफ सिरा है क्या उस पर भी मेरा नाम होगा? रंजू जी इस सवाल का जवाब नहीं मिलेगा कभी भी औरत को नहीं मिलेगा। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
37 comments:
यदि छोड दिया इस धागे को तो --
वाह नए कलेवर मे सजी बहुत खूबसूरत कविता
बहुत सुंदर रचना. और पृष्ठभूमी मे लगे चित्र ने तो इस प्रस्तुतिकरण को लाजवाब बना दिया है. बहुत बधाई.
रामराम.
सवाल बहुत गहरा है कविता दिल में उतर सी गई
बहुत ही अच्छी कविता..........
सम्पूर्ण कविता.......
सम्प्रेष्ण योग्य कविता...........
__अभिनन्दन ऐसी काव्य रचना के लिए........
very very nice...
प्यार के रिश्ते को धागे में बहुत सुन्दर पिरोया है आपने. बहुत अच्छी रचना. आभार.
सुन्दर् चित्रमयी रचना
बहुत सुंदर रचना और प्रेजेंटेशन भी बहुत सुन्दर...
प्यार के धागे को यूँ ही संभाले रखने की ख्वाहिश ..उसे उलझने न देने की चाह ..वो आये या न आये..प्यार करते रहने का वादा..बहुत ही सुन्दर मन के भाव हैं...
यह प्यार यूँ ही बना रहे..
सुन्दर कविता..मोहक प्रस्तुति.
वाह ! सबकुछ मनभावन !
कितनी कोमल और गहरी रचना है...आनन्द आ गया. बहुत सुन्दर. सीधे उतर गई.
इस सशक्त कविता ने तो बिहारी का यह दोहा याद दिला दिया -
दृग उरझत टूटत कुटुम जुरत चतुर चित प्रीत
परत गाँठ दुर्जन हिये नयी दई यह रीत !
ek bahut hi bhavbhini kavita........dil ko choo jati hai...........badhayi
बहुत कोमल अंदाज़ में अपने प्यार और दर्द दोनों का इज़हार किया है.
आपकी रचनाएं बहुत ही सुन्दर होती है। अपनी महक लिए होती है। और अपना असर छोडती है।
PREM KE KACHE DHAGE SE BANDHEE LAJAWAAB KAVITA ..... PRISHT MEIN LAGE CHITR NE USE AUR JEEVIT KAR DIYA HAI .....
आपकी कबिता "एक धागा प्यार का"
बहुत ही गूढ़ सन्देश एक बार फिर बिलकुल अलग अंदाज़ में दे गया.और लगे हाथों रहीम जी का दोहा
रहिमन धागा प्यार का मत तोड़ो चिटकाये
टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाये
भी याद दिला गया.
बहुत आभारी हूँ आपका.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
प्रेम की अनुभूति लिए सुन्दर रचना
अच्छा लगा।
दोनों ही प्यार भरे लगे समय को तो।
आखिर शिकवा-गिला भी वहीं होता है, जहां प्यार होता है।
यदि तेरे दिल में भी प्यार सच्चा है
तो पकड़ के खींच लो एस धागे को
मैं खुद ही खिची चली आऊँगी
वाह कितनी सुन्दर और सहज बात....बहुत ही प्यारी लगी आपकी रचना....बड़े अच्छे भावों को उभारती हुई कविता
अति सुंदर, सरल,रचना हैं,,,,, प्रीत में न नियम हो,,,,बस खुशी हो न गम हो,,,,कोई हो या न हो,,,,न धागा हो, न छोर हो,,,,,स्वामी न हो, सनम हो,,,,, "प्यास"
bahut sundar aur prabhav shali abhivyakti...
Badhai
bahut achchi lagi yeh kavita.......... ekdum dil mein utar gayi..........
aapne isko foto mein kaise daala hai? plz bataiyega.....
घयल की गति घायल जाने,लगाये न लगे बुझये न बुझे,पकड मे भी न आये छोडा भी न जये,प्यासे भी नही त्रिप्ती भी नही। एक छोर भी पकड मे आये तो अनन्त की यत्रा पुर्ण हो जाए। प्रेम रस छति पुर्ति से रहित,नित नवरस है, ऐसा प्रेमी जन का अनुभव है, अपने को खोकर सब कुछ पा जए॥
अभिभूत हुआ आप की रचना पढ कर,
साधुवाद
एक बेहतरीन कविता मैम...बहुत ही अच्छी कविता...
दिल से तारीफ़ है ये!
दीपावली पर्व की आपको एवं समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं वैभव लक्ष्मी आप सभी पर कृपा बरसाएं। लक्ष्मी माता अपना आर्शिवाद बरसाएं
दीपावली पर्व की आपको एवं समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं वैभव लक्ष्मी आप सभी पर कृपा बरसाएं। लक्ष्मी माता अपना आर्शिवाद बरसाएं
aapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen......
धागे के से प्यार को सजा दिया आपने क्या खूब कसीदा है ।
प्यार एक बुनकरी ही तो है
सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई
दीप सी जगमगाती जिन्दगी रहे
सुख सरिता घर-मन्दिर में सतत बहे
श्याम सखा श्याम
http://gazalkbahane.blogspot.com/
बढ़ा दो अपनी लौ
कि पकड़ लूँ उसे मैं अपनी लौ से,
इससे पहले कि फकफका कर
बुझ जाए ये रिश्ता
आओ मिल के फ़िर से मना लें दिवाली !
दीपावली की हार्दिक शुभकामना के साथ
ओम आर्य
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!
कविता क्या मानो पूरी जिंदगी का ही निचोर है. इस पर एक शेर याद आया.
"किस काम की रही ये दिखावे की जिंदगी
वादे किये किसी से और गुजारी किसी के साथ."
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आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
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समर्पण का नया मगर बेहतर स्वरूप...
दिवाली की आपको और समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनायें...
पूछती हूँ एक सवाल जो तेरी तरफ सिरा है क्या उस पर भी मेरा नाम होगा?
रंजू जी इस सवाल का जवाब नहीं मिलेगा कभी भी औरत को नहीं मिलेगा। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है शुभकामनायें
इस मासूम और प्यारी सी कविता को तराशना चाहता हूँ यदि आपकी इजाजत हो तो
पृष्ट भूमि में चित्र अनावश्यक है कविता की स्वभाविकता बाधित होती है
bahut khoobsurat
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