रूमानी चाँद (भाग _१) आपने पढ़ा और पसंद किया ,शुक्रिया
चाँद रात ..
मेरी नजरों....
की चमक....
तेरी नजरों ...
में बंद...
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
और
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
*****************************************************
ऐ चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना
और ....
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
रंजना (रंजू ) भाटिया
37 comments:
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
खुबसूरत ख्यालात सुन्दर
regards
मेरी नजरों....
की चमक....
तेरी नजरों ...
में बंद...
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
खुबसूरत रचना
bahut hi sundar aur bebaki se likhi hui rachna.
bahut bahut dhnyawad!!1
kafi dino ke baad aapka ashirwad pakar achcha laga..
ummid hai ki aage bhi aapke comment milte rahenge
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
जब इंसान प्यार मे हो तो ऐसी एहसासे हर एक पल सताती है हर एक क्षण छलती है दूर कही लेकर चली जाती है मानो मृग कस्तुरी को देखकर भागे जा रहा हो उसे पाने की चाहत मे .........ऐसी ही एहसास से सराबोर कर गयी आपकी रचना........बधाई!
बेहतरीन यह भी !
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
बहुत ही सुन्दर ख्यालों से चांद की हकीकत को प्रस्तुत किया आपने ।
चाँद पे रूमानी ख्यालो पर ये कविता बहुत बढ़िया लगी. आभार
रंजना जी,
इन पंक्तियों में तो जैसे मुहब्बत करने वालों के लिये कोई फलसफा लिख दिया हो आपने, दूरियाँ मुहब्बत को कम नही करती बल्कि कुछ और बढ़ा देती हैं :-
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
बहुत प्यार भरी रचना, सुन्दर भाव मन मोह लेते हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
कितने खूबसूरत ख़्याल हैं
मज़ा आ गया पढ़कर
Wow good one
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
aapka chaand bha gaya hamko
sundar ahsason se bhari rachna
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
-वाह!!
दोनों ही रचनाएँ उतर गई कहीं दिल में बहुत गहरे.
उलझे हुए से धागे में, जीने की सौगात ... bahut hi suljhe shabdon me
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
बहुत खूबसूरत
दिल को छूने वाली रचनाए.
सुन्दर ख्यालों को चमकते हुए शब्दों से कह दिया। बहुत खूब।
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
gehre jazbaat bahut sunder
बिलकुल यूँ लगा जैसे कोई खुबसूरत फिल्म देखकर लौटी हूँ .........
ये कविताएं मुझे तो अतीत में ले जा रही हैं।
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
ye panktiyan chhoo gayi
मुझे तो चान्द का यही रूमानी रूप पसन्द है ।
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
-वाह! कितनी खूबसूरती से इस गहरे भाव को शब्द दे दिए आप ने!
-यही तो खूबी है आप की कविताओं में रंजना जी मन के भाव बड़ी सुन्दरता से पिरोये हुए होते हैं!
चांद के बारे में आपने चांद जैसी ही सुंदर कविता रची है।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
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बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
मन के गहरे भाव शब्दों में सज ऐसे निखर उठे हैं कि इनमे मन खो जाता है....वाह ! वाह ! वाह !
दोनों ही रचनाएँ अद्वितीय...
मेरी पसद :
"बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ...."
सारी की सारी बेहतरीन..आप एक और कविता सन्ग्रह क्यू नही निकालती :)
btw आपने हमारे ब्लाग की तरफ़ आना ही छोड दिया है, कोइ खता हमसे?? :P
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
is sइए खूबbसूरत एहसास प्यार के लिये क्या हो सकता है बहुत सुन्दर रचना है बधाई
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
बेहद सुंदर पंक्तियाँ हैं
किसीको शिद्दत से चाहो तो ऐसा ही होता होगा
Chand ko lekar likhi gayee khoobasurat kavita----
Poonam
ऐ चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना
bahut sunder lines .............
umadti bhaavnaon ko darshaati ek behtareen kavita........
bahut sundar rachnaa !!
चाँद को और khoobsooat banaati chaandni में rangee आपकी दोनों rachnaayen लाजवाब हैं ..........
शायद ये पंक्तिया अच्छी हैं?
‘जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!’
क्या नहीं?
अधिकतर पसंद इन्होंने ही प्राप्त की है।
अच्छा है इन लम्हों को संभालना,...रोज़ जीना।
वाह चाँद से इतनी खूबसूरत वार्ता की कल्पना तो इसरो वालों ने भी न की होगी..
और इन पक्तियों मे तो कमाल हो गया
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
कितनी जिंदगी हमारी उन धागों को सुलझाने मे निक्ल जाती है..और कभी अगर बेसब्री ने उन धागों को तोड़ दिया तो फिर पछतावा ही रह जाता है हाँथ मे..खूबसूरत..आपकी कलम का कमाल.
बेहद ख़ूबसूरत पंक्तियाँ हैं....मन को छू लेने वाली..
''कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!''
कहाँ मयस्सर है सबको एक ऐसा लम्हा....
सुंदर
हैपी ब्लॉगिंग
bahut sundar bhavabhivykti.
shubhkamnaye
चांदनी फैलाती हुई कविताएँ । बहुत सुंदर ।
चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना.
bahut khoobsurat .
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