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Sunday, October 04, 2009
रूमानी चाँद (भाग _१)
यह हफ्ता चाँद के नाम है ...अब तक न जाने कितनी पंक्तियाँ लिखी गई है मुझसे भी चाँद पर ...क्यों हर लिखने वाले दिल के लिए चाँद हमेशा ख़ास रहा है ..दूर गगन में चमकता चाँद दिल के बहुत करीब महसूस होता है ,रूमानी चाँद .उदास चाँद .बोलता चाँद .अंधा चाँद .आधा चाँद ..न जाने कितने पल लिखे गए इस चाँद के नाम ......अब तक जो पोस्ट हुई या जो नही हुई वह इस चाँद हफ्ते के नाम पर ...शुक्रिया
दिल की जमीन से
रूह के मुहाने तक
तेरी याद
जैसे नदी के
हिलते पानी में
तैरता हुआ दिखता
चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!
********************************************
चाँद.......
मुट्ठी में भर
छिपा लूँ...
सारी चाँदनी
बैरी जग को बता दूँ
कि जिसे वो
दाग़दार समझता है
वो ही चाँद
उसकी जिंदगी में
शीतल छाँव भरता है..
***************************************
पायल की बजती
रुनझुन में
कजरे की धार में ..
यूँ ही चुपके से
आ कर तेरे कानों में
चाँद सितारों के संग
कह जाती हूँ
मैं अपनी बात !!
रंजना (रंजू) भाटिया
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38 comments:
चाँद हप्ते के नाम... ये भी खूब रही रचना . बहुत बढ़िया
CHAAND APNE AAP MEIN TAMAAM KAVIYON KA, PREM KARNE WAALO KA AUR TANHAAI MEIN JEENE VAALON KA SAATHI HAI ...AUR AAPNE BHI IS CHAAN KO APNE ALAG HI ANDAAZ MEIN LIKHA HAI ....BAHOOT HI ANOKHE RANG MEIN PIROYA HAI CHAAND KO .... LAJAWAAB
चाँद पर लिखी गयीं तीनो लघु कवितायेँ पसंद आयीं...
पहली कविता ने कुछ ज्यादा आकर्षित किया..
'चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!'
बहुत उम्दा!
वाह !वाह!! वाह!!!
'चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!'..chand hmeshase lubhata raha mujhe...khoobsurat kavita...
चाँद का हफ्ता पसंद आया ... तीनो ही कवितायेँ अपनी अपनी जगह रखती है तीनो के भाव में अंतर भी है ... एक घूंट में लबों ने पिया है ... ये खासा आकर्षित करता है... ढेरो बधाई कुबुलें...
अर्श
जिसे वो
दाग़दार समझता है
वो ही चाँद
उसकी जिंदगी में
शीतल छाँव भरता है..
दाग की परिभाषा यही तो बदलती है
सचमुच एक रूमान भरी अभिव्यक्ति !
बहुत ही उम्दा रचना। लाजवाब, बहुत-बहुत बधाई
तैरता हुआ दिखता
चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!
bahut hi khoobsoorat khyal..........badhayi
पसंद आईं। बहुत रूमानियत है इन में, निश्चल को गतिमय बना देने वाली।
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!
waah behad khubsurat baat kahi.
बहुत सुंदर उम्दा.
धन्यवाद
चाँद.......
मुट्ठी में भर
छिपा लूँ...
सारी चाँदनी
बैरी जग को बता दूँ
कि जिसे वो
दाग़दार समझता है
वो ही चाँद
उसकी जिंदगी में
शीतल छाँव भरता है..
yeh kavita bahut achchi lagi........ behtareen panktiyan hain .........
अति उत्तम
चाँद वाह!! सारी कविताये एक से एक..गुलजार साहब की एक त्रिवेनी थी..
मां ने जिस चांद सी दुल्हन की दुआ दी थी मुझे
आज की रात वह फ़ुटपाथ से देखा मैंने
रात भर रोटी नज़र आया है वो चांद मुझे॥
सच्चा चाँद दिखाती है ये त्रिवेणी...
http://pupadhyay.blogspot.com/2009/10/blog-post.html
chandni ki sheetalta bikherti rachna
बहुत सुंदर
लेकिन चांद के नाम बस हफ़्ता ही क्यों...
बहुत ही उम्दा.
रामराम.
जिसे वो
दाग़दार समझता है
वो ही चाँद
उसकी जिंदगी में
शीतल छाँव भरता है..
चाँद के ऊपर जितना भी लिखो कम है आपने अच्छा लिखा है
जिसे वो
दाग़दार समझता है
वो ही चाँद
उसकी जिंदगी में
शीतल छाँव भरता है..
क्या तारीफ करूँ............. समझ के हिसाब से बेहतरीन शब्द नहीं मिल रहे है. उच् विचारो की उच्चतम पराकाष्ठा.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
वाह तीनो की तीनो पढ़कर मज़ा आ गया
Chand, uske baare men jitna kaha jaaye kam hai.
Think Scientific Act Scientific
"चाँद.......
मुट्ठी में भर
छिपा लूँ..."
बिलकुल ! चाँद बसा ही सबके मन में । अपनी मधुर चाँदनी, अपनी सपनीली छवि के साथ ।
रचनाओं का आभार ।
चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो न
तीनो ही कवितायें बहुत सुन्दर हैं दिल को छू लिया आपके शब्दों ने धन्यवाद
ranjana ji , sabse pahle , bahut dino ke baad , deri se aane ke liye maafi chahta hoon , kuch uljha hua tha halaat me ..
ab chaand par likhi gayi poems me , maine itni sundar poems kabhi , kahin padhi nahi ....
kya kahun sab ek se badhkar ek hai ..specially pahli waali ....amazing
meri dil se badhai sweekar karen.
vijay
100th post - www.poemsofvijay.blogspot.com
क्या कहूं .. कई दिनों से नहीं पढ पायी थी .. गजब लिखा है आपने !!
चांद हफ़्ता.........कितनी रुमानी कल्पना है...बहुत सुन्दर कविताएं.
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!behad aakarshak ........
isake aalawa baki ke dono alag alag bhaaw me aalag aalag arth liye huye hai .....chand si khubsoorat rachanaa....
वाकई चाँद खूबसूरत लिखा है ,ये चाँद का हफ्ता तो है ही ,देखिये परसों ये चाँद कितनी बार छत के चक्कर लगवाएगा ,जाने कितना भाव दिखायेगा
सुन्दर सी भावभरी कविता के लिए बधाई!
दिल की जमीन से
रूह के मुहाने तक
तेरी याद
जैसे नदी के
हिलते पानी में
तैरता हुआ दिखता
चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!
Vaah!! kya sundar panktiyan hain...
दिल की जमीन से
रूह के मुहाने तक
तेरी याद
जैसे नदी के
हिलते पानी में
तैरता हुआ दिखता
चाँद का टुकडा
हथेली में
बंद कर के
उस अक्स को
एक घूंट में लबो ने
पीया है !!
Vaah!! kya sundar panktiyan hain...
चाँद को आपकी नजर से देखकर अच्छा लगा !
चांद पर जितना भी लिखा जाए कम है। शानदार कविताएं हैं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पायल की बजती
रुनझुन में
कजरे की धार में ..
यूँ ही चुपके से
आ कर तेरे कानों में
चाँद सितारों के संग
कह जाती हूँ
मैं अपनी बात !!
ये रुमानी चाँद बेहद पसंद आया। अभी परसों ही गुलजार जी पर बनी फिल्म देख रहा था जिस में उन्होने बताया कि उन्होने चाँद का बहुत प्रयोग किया है अपनी रचनाओं में। आपके रुमानी चाँद एकदम याद आ गया।
Waah,
Ranju ji aapki kavitayein Dil ko Chhu leteein haih.
Meri rachnaou ke liye mera Blog dekhiye.
सुंदर
हैपी ब्लॉगिंग
चाँद और आपकी लेखनी
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