Sunday, May 18, 2008

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे ,मैं एक शाम चुरा लू अगर बुरा न लगे

तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे ,मैं एक शाम चुरा लू अगर बुरा न लगे
मुन्नी बेगम का गाया यह गाना बेहद खूबसूरत लगता है मुझे ..आपको कैसा लगा ..बताये सुन के ..क्या आपका दिल चुराया इस गाने ने :)


7 comments:

शोभा said...

रंजना जी
यह आपने बहुत अच्छा काम किया। दुर्लभ गज़लें सुनवाने का शुक्रिया। आशा है और भी सुन्दर गज़लें सुनवाएँगी। सस्नेह

मीनाक्षी said...

मुन्नी बेगम के साथ तो हमारा भी गहरा नाता है. कभी इस विषय पर चर्चा करेंगे... बहुत प्यारी गज़ल सुनवाने का शुक्रिया.

Pramendra Pratap Singh said...

bahut achchi gazal hai

Udan Tashtari said...

मजा आया सुन कर.

डॉ .अनुराग said...

ek to mausam aisa ho raha hai doosre aapne ye gajal rakh di....ab bhagvaan malik..

Anonymous said...

atisundar

Mantra-Guru said...

A very Good Gazal. Maine ek jagah ise suna aur iski talash me tha. kyaa aap mujhe ise MP3 me bhej sakte hain. i am very greatful to you.
Vijay Sharma, Chennai
kvijashar@gmail.com