माँ लफ्ज़ ज़िंदगी का वो अनमोल लफ्ज है ... जिसके बिना ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं कही जा सकती ...आज मेरी माँ की पुण्य तिथि है ..और मेरे पास कविता लिखने से अच्छी श्रदांजलि और क्या हो सकती है ..
मेरा बचपन थक के सो गया माँ तेरी लोरियों के बग़ैर
एक जीवन अधूरा सा रह गया माँ तेरी बातो के बग़ैर
तेरी आँखो में मैने देखे थे अपने लिए सपने कई
वो सपना कही टूट के बिखर गया माँ तेरे बग़ैर.....
एक जीवन अधूरा सा रह गया माँ तेरी बातो के बग़ैर
तेरी आँखो में मैने देखे थे अपने लिए सपने कई
वो सपना कही टूट के बिखर गया माँ तेरे बग़ैर.....
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माँ हर पल तुम साथ हो मेरे, मुझ को यह एहसास है
आज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,
ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है।
कैसे भूल सकती हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,
पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था
आज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,
ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है।
कैसे भूल सकती हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,
पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था
ज़िंदगी जब भी उदास हो कर तन्हा हो आई,
माँ तेरे आँचल ने ही मुझे अपने में छिपाया था
आज नही हो तुम जिस्म से साथ मेरे,
पर अपनी बातो से , अपनी अमूल्य यादो से
तुम हर पल आज भी मेरे साथ हो..........
क्योंकि माँ कभी ख़त्म नही होती .........
तुम तो आज भी हर पल मेरे ही पास हो.........
रंजू
30 comments:
रंजनाजी,
"माँ" का कोई विकल्प नहीं है, आपने उनकी पुण्य तिथि पर अनमोल श्रदांजलि भेंट की है, एक-एक शब्द "माँ" के प्रति आपार स्नेह एवं समर्पण से भीगा हुआ है...
यह एहसास ही आपके लिये अमूल्य धरोधर है, इसे बचाकर रखें।
आपकी माताश्री को उनकी पुण्य तिथि पर हार्दिक श्रदांजलि।
hi......apne jo mama ke bare me likha hai woh bahut hi acha hai.... ma ki mamta ka koi alternate nahi hai...... bus ma ke bare me yahi mai kah sakta hun.... jo kam hi honga......
Our mother is the sweetest and
Most delicate of all.
She knows more of paradise
Than angels can recall.
She's not only beautiful
But passionately young,
Playful as a kid, yet wise
As one who has lived long.
Her love is like the rush of life,
A bubbling, laughing spring
That runs through all like liquid light
And makes the mountains sing.
And makes the meadows turn to flower
And trees to choicest fruit.
She is at once the field and bower
In which our hearts take root.
She is at once the sea and shore,
Our freedom and our past.
With her we launch our daring ships
Yet keep the things that last.
GOD made a wonderful mother,
A mother who never grows old;
He made her smile of the sunshine,
And He molded her heart of pure gold;
In her eyes He placed bright shining stars,
In her cheeks, fair roses you see;
God made a wonderful mother,
And He gave that dear mother to me
Thanks for nice poem by you
Sanju
रन्जू दी सचमुच माँ याद दिला दी आपने...माँ के उपकार को कौन भुला सका है भला...जीवन के हर क्षण में माँ ही याद आती है...
आपकी माताजी को उनकी पुण्य तिथि पर हार्दिक श्रदांजलि।
सुनीता(शानू)
"मां" यह एक शब्द ही अपने आप में संपूर्णता का परिचायक है।
मां पर लिखी गई आपकी यह रचना आपकी मां को दी गई सच्ची श्रद्धांजलि है क्योंकि
"प्राण सहित कोई भी भेंट इस सृष्टि में है नश्वर, लेकिन "शब्द" ही रहता है सदियों तक गुंजायमान!!"
आपकी माताजी को उनकी पुण्य तिथि पर मेरी श्रद्धांजलि।
अभी ज्यादा वक्त नहीं बीता जब मैने अपनी माँ को खोया है. मैं आपका दर्द समझ सकता हूँ.
माता जी को उनकी पुण्य तिथि पर विनम्र श्रृद्धांजली एवं उनकी याद को नमन.
मॉं की ममता
मॉं की हृदय की सरलता ,
मॉं के हृदय की विस्तृता
मॉं की व्याकुलता
मॉं की आत्मसमर्पणता
......समुदृ की गहराई से भी विशाल, मॉं को मेरा शत् शत् प्रणाम्
विनोद
Maa k pyar ko alffaso me kehana to mushkil hai phir bhi do panktiya likh kar apni bhawna ko batana chahta hu.......
yaad hai wo manjar jab hum roya karte thaie,
maa ki god me sir rakh kar soya karte thaie
kaise bhula sakte hai un palo ko hum,wo humko pariyo k desh le jaya karti thee
har sunder pari se wo milwaya karti thee
Un pariyo se baat karte karte hum so jaya karte thaie
Yaad hai manjar jab MAA ki god me sir rakh kar hum soya karte thaie
Galti karne par wo galti ko chupaya kartee thee,
har choti si baat par wo peeth thapthpaya karti thee,
Maa ke pyar ko dekh kar uski Mamta me kho jaya karte thaie
Yaad hai wo manjar jab MAA ki god me sir rakh kar hum soya karte thaie
Yeh alfaj abhi adhoore hai kyoki MMA maa ki mamta ka bakhan itna aasan nahi hai
Ishwar kare subko Maa ki mamta ka prasad har waqt milta Rahe
Dhanyawad
Aapkee "Maa" ko Bhaavon se bheegi huee shradhhanjali.Aasha hai aap aisey hee likhtey huey unkaa naam roshan karengeen aur unkeee aankhon mein chhupey voh hazaaron sapney jo unhoney aapkey liye dekhey they,unhey poorn karengeen.
मां ही गंगा, मां ही जमुना, मां ही तीर्थ धाम,
मां का सर पर हाथ जो होए, क्या ईश्वर का काम..
मां जैसा दुनिया में कोई नही....
बहुत सुन्दर श्रधांजलि है आप की.
sare riste yun hi pal bhar me,
chur nahi hote hain.
yahi soch ke hum bhi kabhi rote hai.
jab kabhi der bhi ho jati thi ghar aane me,
yun lagta tha dekha na ho jamane se.
yunhi chup chap se sar chum liya karti thi ,
pa kar samne wo thoda jhum liya karti thi.
tab kya tha mere paas ye humko bhi ahsas na tha,
dil bhi tha dariya bhi tha magr pyas nahi tha.
ab to aankho me samandar yunhi lahrata hai,
mile mauka to ye ankho se chhalak jata hai.
shayad yadon ke galiyare se koi mujhe bulata hai, main bhi yaadon ke galiyare me chup chap chala jata hun
kyu ki....................
sare riste yun hi pal bhar me,
chur nahi hote hain.
yahi soch ke hum bhi kabhi rote hai.
maa ke liye hum agar kuchh bhi kar sake to ye humari kismat hai...
tapashwani
रंजू जी,
बहुत उम्दा रचना…
माँ के स्नेह और संबेदना को बहुत ही निकट जाकर उतारा है…लगा की वह कही पास ही है बहुत पास…।
Ranjana mam.....Maa ke liye jo aapne likha hai....rly bahut achhi pankti hai....
Maa.............. Maa.........
माँ के निश्छल स्नेह् को समर्पित आप की पंक्तियां दिल तक जाती हैं.
apki apni maa ke parti bahut acchi ya yu kahoo ki isse acchi shardanjli ho hi nhi sakti thi.
main to apki mata ji ki shrdanjli main itna hi kehna chahunga ki
maa se badkar is dunia main kuch nhi hai.
agar kuch hai to bus maa maa or maa hi hai .
jisme bharpur pyar bhara hota hai.
wo bhi itna ki jiski koi limit nhi hoti
अब यह ज्यादा सुंदर लग रहा है किंतु आपका फोटो ब्लाग अधिक लुभावना है…।
नमस्ते रंजना जी,
आपकी माँ को हमारी भी श्रद्धांजलि । आपकी भावनाओं में क्या ही प्रभाव है कि पढ़ने वाले भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने से नहीं रोक पाते । टिप्पणियाँ देते हुए ही छः पाठकों ने अपनी भावनाएँ कविता के माध्यम से उतार दीं । आपके स्वर्णकमल जीतने पर भी बधाइयाँ ।
एक और बात की प्रशंसा अवश्य ही करने लायक है । मैने आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा । यह बड़ा ही समृद्ध और सुव्यवस्थित है । गौरव जी की कविता की टिप्पणियों में आपके द्वारा इसका लिंक देने की अहम भूमिका रही है मुझे यहाँ तक लाने में । इस बात के लिए धन्यवाद भी ।
Ranjanaji, kuch bhi kahiye apka shabdon aur bhavon ki lachak donon pe hi acchi pakad hai. Kai samay se aapki kavitayen padhta aa raha hoon par kabhi tippani nahin ki...baki mujhse kai zyada likh jaate...
Bahut kam kavi hoten hain jo kavita main chuppe marm ko shadon ke khel se bahar nikaal kar prastut kar paatein hain. Aap nisandhe unme se ek hain.
Likhti rahen.
k
बहुत बहुत शुक्रिया दिवाकर जी आप सबका प्रेम मेरा होंसला अफजाई करता है ..यूं ही साथ रहे
कमलेश जी आप मेरा लिखा पढ़ते हैं और पसंद करते हैं यह सुन कर बहुत अच्छा लगा कमेंट्स भी देते रहे और भी अच्छा लगेगा
बहुत बहुत शुक्रिया आपका .
apka blogg bhut acha.....mai bhut prabhvit hua....apke gaano ke sanghrah se....aap uhi apni rachnatmakta ko jari rakhiye ga....kavitaye...tho kavi ke mann ka darpan hoti hai...jo..duniya.ko duniya ka hi mulik partibimb dhikati hai....
mmmaaaaaa maaaaa aur sirf maaaaaa isko bolne ke bad bhagwan ko bhi santi milti hai
ज़िंदगी जब भी उदास हो कर तन्हा हो आई,
माँ तेरे आँचल ने ही मुझे अपने में छिपाया
दिल को छू लेने वाली रचना... बहुत सुन्दर !
मेरे बचपन थक कर सो गया .......बहुत दर्द भरी कविता हे आप की मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के सामने गुमने लगा हे
मेरे बचपन थक कर सो गया .......बहुत दर्द भरी कविता हे आप की मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के सामने गुमने लगा हे
मेरे बचपन थक कर सो गया .......बहुत दर्द भरी कविता हे आप की मम्मी का चेहरा मेरी आँखों के सामने गुमने लगा हे
apki ma ko mera bharpur man se shradhanjali.apke yeh lafz ma ke anokhe rup ko darshate hai.ap ka yeh kam kabiletail hai.ise aap jari rakhiyega.jai mata ji
माँ शब्द मेरा पुरा जहान जो शब्दो से बयां नही नही हो सकता जिसके बिना मेरी जिदगी अधुरी सी है ............. आज मेरी माँ की पुण्य तिथि है ..
माॅ तेरी याद .............
माँ तु मेरे पास है
दुर होकर भी आस पास है।
माँ तु मेरे साथ नही
पर तेरी परछाई मेरे साथ है।
तु दुर सितारो मे कही
पर रोशन मेरा जहान है।
हर दुख खुशी मे बदलता है
क्योकी तेरा आर्शिवाद है।
हर कदम मे हिम्मत देता
तेरा संस्कार है।
बहते आंसु रुक जाते है
माँ ये तेरा एहसास है।
लड़खड़ाये कदम सम्भल जाते है
हमेशा जो तु मेरे साथ है।
माँ तु मेरे पास है
दुर होकर भी आस पास है।
माँ शब्द मेरा पुरा जहान जो शब्दो से बयां नही नही हो सकता जिसके बिना मेरी जिदगी अधुरी सी है ............. आज मेरी माँ की पुण्य तिथि है ..
माॅ तेरी याद .............
माँ तु मेरे पास है
दुर होकर भी आस पास है।
माँ तु मेरे साथ नही
पर तेरी परछाई मेरे साथ है।
तु दुर सितारो मे कही
पर रोशन मेरा जहान है।
हर दुख खुशी मे बदलता है
क्योकी तेरा आर्शिवाद है।
हर कदम मे हिम्मत देता
तेरा संस्कार है।
बहते आंसु रुक जाते है
माँ ये तेरा एहसास है।
लड़खड़ाये कदम सम्भल जाते है
हमेशा जो तु मेरे साथ है।
माँ तु मेरे पास है
दुर होकर भी आस पास है।
माँ शब्द मेरा पुरा जहान जो शब्दो से बयां नही नही हो सकता जिसके बिना मेरी जिदगी अधुरी सी है ............. आज मेरी माँ की पुण्य तिथि है ..
माॅ तेरी याद .............
माँ तु मेरे पास है
दुर होकर भी आस पास है।
माँ तु मेरे साथ नही
पर तेरी परछाई मेरे साथ है।
तु दुर सितारो मे कही
पर रोशन मेरा जहान है।
हर दुख खुशी मे बदलता है
क्योकी तेरा आर्शिवाद है।
हर कदम मे हिम्मत देता
तेरा संस्कार है।
बहते आंसु रुक जाते है
माँ ये तेरा एहसास है।
लड़खड़ाये कदम सम्भल जाते है
हमेशा जो तु मेरे साथ है।
माँ तु मेरे पास है
दुर होकर भी आस पास है।
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