Wednesday, July 25, 2012

इजहार

सीखा जब से दिल ने धडकना
इस ने बस तेरी चाह में
जीना सीखा
सजाती रही ख्वाब
नजरे नजरों से मिल कर
और बीतेगा जीवन यूँ ही
इन्ही ख्यालों
में बस रहना सीखा

फिर चली
वक़्त की कुछ ऐसी आंधी
दिलो में दबा कर हर इजहार
आंसुओ को दबा कर
लबों ने  मुस्कराना सीखा
और ...
वक़्त गुजरता रहा
दिनों ,वर्षों और मौसमों को
पार करते हुए
पर जहाँ रुके थे कदम
उसी मोड़ पर दिल
ठहरा रहा
ज़िन्दगी नाम है
परिवर्तन का
यही बस दिल खुद को समझाता रहा

पर आज  दिल में आता है
कि वापसी की  एक लम्बी उडान भरूँ
छू लूँ  बीते वक़्त को
तोड़ दूँ हर रिश्ते रस्मों रिवाजों को
  और टूट कर प्यार करूँ
इजहार करूँ

पलट दूँ अपने जीवन के पन्ने सब
और लिख दूँ पत्थर की कलम से
समय के सीने पर नाम तेरा
और बाकी बची ज़िन्दगी
बस अब तेरे नाम करूँ ..!!!!


21 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

तुम्ही बता दो, कैसे व्यक्त करूँ अपने को।

संध्या आर्य said...

waah ...sundar abhivyati !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

और लिख दूँ पत्थर की कलम से
समय के सीने पर नाम तेरा
और बाकी बची ज़िन्दगी
बस अब तेरे नाम करूँ ..!!!!


बहुत सुंदर ... मन की आवाज़ आखिर कोई कब तक दबा कर रखे ...

सदा said...

पलट दूँ अपने जीवन के पन्ने सब
और लिख दूँ पत्थर की कलम से
समय के सीने पर नाम तेरा
और बाकी बची ज़िन्दगी
बस अब तेरे नाम करूँ ..!!!!
वाह ... बहुत बढिया ...

Deepak Shukla said...

Man main dabi si ek chingari...
Sulag uthi si lagti hai...
Aag laga degi jeevan main...
Mukhar hui si dikhati hai...

Ab tak na ijhaar kiya jo....
Uska na ijhaar karen...
Man main koyi raaz agar jo..
Behtar raaz wo raaz rahen...

Ruswayi hi miegi tumko...
Raaz agar tum khologge...
Man main ab tak chhupa ke baithe...
Raaz agar tum bologe...

Sundar abhivyakti...

Deepak Shukla..

Arvind Mishra said...

वाह -एक सशक्त प्रेम समर्पण गीत
समय के पृष्ठ पर हमने लिखी थी
छबीले मोरपंखों से ऋचाएं ......
अनवरत और शाश्वत प्रेम की शुभकामनाएं रंजू जी

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर..

विभूति" said...

पलट दूँ अपने जीवन के पन्ने सब
और लिख दूँ पत्थर की कलम से
समय के सीने पर नाम तेरा
और बाकी बची ज़िन्दगी
बस अब तेरे नाम करूँ ..!!!!bhaut pyari rachna.....

शिवनाथ कुमार said...

पर आज दिल में आता है
कि वापसी की एक लम्बी उडान भरूँ
छू लूँ बीते वक़्त को
तोड़ दूँ हर रिश्ते रस्मों रिवाजों को
और टूट कर प्यार करूँ
इजहार करूँ

आपकी ये रचना पढ़ते पढ़ते अनु जी की रचना स्मरण हो आयी :-)
http://allexpression.blogspot.in/2012/07/blog-post_24.html

प्यार कब बंधनों से मुक्त होगा !
सुंदर भाव से सजी सुंदर रचना ...

दिगम्बर नासवा said...

वापसी की लंबी उड़ान की चाह ... पर समय के बंधन ... शायद कल्पना में ही ये आज़ादी है ...

dr.mahendrag said...

पलट दूँ अपने जीवन के पन्ने सब
और लिख दूँ पत्थर की कलम से
समय के सीने पर नाम तेरा
और बाकी बची ज़िन्दगी
बस अब तेरे नाम करूँ ..!!!!
वाह बहुत ही सुन्दर रचना

मुकेश कुमार सिन्हा said...

:)...
पर आज दिल में आता है
कि वापसी की एक लम्बी उडान भरूँ
छू लूँ बीते वक़्त को
तोड़ दूँ हर रिश्ते रस्मों रिवाजों को
और टूट कर प्यार करूँ
इजहार करूँ

kya baat hai, kitne pyare bol...:)

Vinay said...

बहुत बढ़िया है

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Alpana Verma said...

समय के सीने पर पत्थर की कलम से लिखना..बड़ा ही प्यारा सा ख्याल है..
खूबसूरत भावों से भरपूर अच्छी लगी यह कविता.

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

beautiful work ranju jee!

हरकीरत ' हीर' said...

पर आज दिल में आता है
कि वापसी की एक लम्बी उडान भरूँ
छू लूँ बीते वक़्त को
तोड़ दूँ हर रिश्ते रस्मों रिवाजों को
और टूट कर प्यार करूँ
इजहार करूँ.....

........
............
...............

slaam ....!!

डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' said...

हम खड़े हैं आज भी उसी मोड़ पर, जहाँ कभी तुमने कहा था कि ठहरो हम अभी आते हैं...:)

India Darpan said...

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक अग्रिम शुभकामनाएँ!!


इंडिया दर्पण
पर भी पधारेँ।

संजय भास्‍कर said...

समय के सीने पर नाम तेरा
और बाकी बची ज़िन्दगी
बस अब तेरे नाम करूँ ..!!!!
..........सुन्दर रचना

कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवान said...

abhivykti kai sath chitra bahut rahsymay laga

The Opinion Post said...

इस रचना की जिन शब्दों में प्रशंसा की जाये वो कम है। भावनाओं की ऐसी कशमकश विरले ही देखने को मिलती है।