tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post8374045651384980973..comments2023-10-11T14:59:55.982+05:30Comments on कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **: तब और अब !!रंजू भाटियाhttp://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comBlogger47125tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-71045537175828195162009-02-17T14:45:00.000+05:302009-02-17T14:45:00.000+05:30ranjana ji nari ke man ko aapne bahut hi sundar bh...ranjana ji <BR/><BR/>nari ke man ko aapne bahut hi sundar bhacon mein piroya hai aur shayad sach bayan kiya hai.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-14082375840063500822009-02-09T20:46:00.000+05:302009-02-09T20:46:00.000+05:30रंजना जी, जब भी आपको पढ़ताहूँ लगता है क़त्ल कर दिय...रंजना जी, जब भी आपको पढ़ताहूँ लगता है क़त्ल कर दिया आपने...<BR/> पर,कमबख्त हर बार आप ऐसा ही करती हैं....तब भी जब आपको पहली बार पढ़ा था...और अब भी जब मैं आपको सैकड़ों बार पढ़ चुका हूँ.........<BR/> आलोक सिंह "साहिल"आलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-27230702272503010892009-02-09T13:58:00.000+05:302009-02-09T13:58:00.000+05:30भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति लिये रचना.. बधाईभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति लिये रचना.. बधाईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-44173269467758528362009-02-09T11:59:00.000+05:302009-02-09T11:59:00.000+05:30'और .....अब न जानेकितने आखर..प्रेम भाव से ..रंग डा...'और .....<BR/>अब न जाने<BR/>कितने आखर..<BR/>प्रेम भाव से ..<BR/>रंग डाले हैं पन्ने कई ..<BR/>पर कोई कोना मन का<BR/>फ़िर भी खाली दिखता है'<BR/><BR/>- और यही खाली कोना एक नयी रचना को जन्म देता है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-6669947698298461782009-02-08T15:54:00.000+05:302009-02-08T15:54:00.000+05:30अद्भुत रचना.....रंजना जी"और .....अब न जानेकितने आ...अद्भुत रचना.....रंजना जी<BR/>"और .....<BR/>अब न जाने<BR/>कितने आखर..<BR/>प्रेम भाव से ..<BR/>रंग डाले हैं पन्ने कई ..<BR/>पर कोई कोना मन का<BR/>फ़िर भी खाली दिखता है<BR/>दिल और दिमाग की ज़ंग में<BR/>अभेद दुर्ग की दिवार का<BR/>पहरा सा रहता है ...."<BR/>बड़े दिनों बाद एक अच्छी मुक्त छंद वाली कविता दिखीगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-77387421578306911582009-02-07T19:54:00.000+05:302009-02-07T19:54:00.000+05:30प्रेम की कोई उम्र तो नहीं होती पर हर उम्र का प्रेम...प्रेम की कोई उम्र तो नहीं होती <BR/>पर हर उम्र का प्रेम अल्हड नहीं होता <BR/>उम्र के उस नाजुक मोड पर <BR/>प्रेम शाश्वत लगता है<BR/>प्रेम सत्य लगता है <BR/>पर उम्र के दूसरे मोड पर <BR/>रोजी रोटी सच्ची लगती है <BR/>और अल्हडता बचकानी।।Atul Sharmahttps://www.blogger.com/profile/09200243881789409637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-84293104243046785032009-02-07T11:49:00.000+05:302009-02-07T11:49:00.000+05:30बहुत उत्तम. अपने सच ही लिखा, उम्र के नाजुक मोड़ पर...बहुत उत्तम. अपने सच ही लिखा, उम्र के नाजुक मोड़ पर प्यार के बारे में जो भी लिखा जाता है, उसका कोई मोल नहीं होता. चाहे उस लिखे में कोई हजार गलती बहाए पर वह उस लेखक के लिए तो "सीप से निकले मोती" की तरह होता है. बेहद खूबसूरत और अनमोल. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.दिल दुखता है...https://www.blogger.com/profile/01205912735867916242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-79516094547520633162009-02-07T11:48:00.000+05:302009-02-07T11:48:00.000+05:30बहुत उत्तम. अपने सच ही लिखा, उम्र के नाजुक मोड़ पर...बहुत उत्तम. अपने सच ही लिखा, उम्र के नाजुक मोड़ पर प्यार के बारे में जो भी लिखा जाता है, उसका कोई मोल नहीं होता. चाहे उस लिखे में कोई हजार गलती बहाए पर वह उस लेखक के लिए तो "सीप से निकले मोती" की तरह होता है. बेहद खूबसूरत और अनमोल. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.दिल दुखता है...https://www.blogger.com/profile/01205912735867916242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-9239419618169120012009-02-07T11:17:00.000+05:302009-02-07T11:17:00.000+05:30समय बदलाव का सबसे बडा कारण है। समय के साथ चीजें ही...समय बदलाव का सबसे बडा कारण है। समय के साथ चीजें ही नहीं ख्याल, विचार और अनुभूतियॉं भी बदल जाती हैं। और अगर ऐसा न होता, तो इतनी सुन्दर कविता कैसे पढने को मिलती।Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-8393597268292691512009-02-06T20:17:00.000+05:302009-02-06T20:17:00.000+05:30"पर कोई कोना मन काफ़िर भी खाली दिखता है"बहुत सुंदर,..."पर कोई कोना मन का<BR/>फ़िर भी खाली दिखता है"<BR/><BR/>बहुत सुंदर, भावनाओं से पूर्ण, अभिव्यक्ति !!<BR/><BR/>सस्नेह -- शास्त्री<BR/><BR/>-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है. <BR/><BR/>महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-44279092891610798962009-02-06T13:54:00.000+05:302009-02-06T13:54:00.000+05:30wah wah wah.. bahut sundar kavitaऔर .....अब न जाने...wah wah wah.. bahut sundar kavita<BR/><BR/>और .....<BR/>अब न जाने<BR/>कितने आखर..<BR/>प्रेम भाव से ..<BR/>रंग डाले हैं पन्ने कई ..<BR/>पर कोई कोना मन का<BR/>फ़िर भी खाली दिखता है<BR/>wahtravel30https://www.blogger.com/profile/00114463185726816112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-75484612816885220982009-02-06T12:12:00.000+05:302009-02-06T12:12:00.000+05:30पर कोई कोना मन काफ़िर भी खाली दिखता हैदिल और दिमाग ...पर कोई कोना मन का<BR/>फ़िर भी खाली दिखता है<BR/>दिल और दिमाग की ज़ंग में<BR/>अभेद दुर्ग की दिवार का<BR/>पहरा सा रहता है ....बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.Akanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-30819112523897919712009-02-05T16:32:00.000+05:302009-02-05T16:32:00.000+05:30सोचता है तब मनबेबस हो कर.....तब और अब मेंइतना बड़ा...सोचता है तब मन<BR/>बेबस हो कर.....<BR/>तब और अब में<BR/>इतना बड़ा फर्क क्यों है ?<BR/><BR/>vo kalpanao ka sansaar tha or ab hakikat hai...kalpana or hakikat me fark to hota hi haiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-26025859661902278142009-02-05T12:19:00.001+05:302009-02-05T12:19:00.001+05:30मन की बात न मानो, प्रज्ञा का अवलम्बन ले लो,अन्तर-भ...मन की बात न मानो, प्रज्ञा का अवलम्बन ले लो,<BR/>अन्तर-भेद मिटा कर, लेखनी का अवलम्बन ले लो।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-47125894300292061662009-02-05T12:19:00.000+05:302009-02-05T12:19:00.000+05:30मन की बात न मानो, प्रज्ञा का अवलम्बन ले लो,अन्तर-भ...मन की बात न मानो, प्रज्ञा का अवलम्बन ले लो,<BR/>अन्तर-भेद मिटा कर, लेखनी का अवलम्बन ले लो।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-30569611849934600042009-02-05T12:16:00.000+05:302009-02-05T12:16:00.000+05:30सोचता है तब मनबेबस हो कर.....तब और अब मेंइतना बड़ा...सोचता है तब मन<BR/>बेबस हो कर.....<BR/>तब और अब में<BR/>इतना बड़ा फर्क क्यों है ?<BR/><BR/>bahut hi sarthak prashn.......<BR/>bahut hi sundar bahut badhiyanTapashwani Kumar Anandhttps://www.blogger.com/profile/07541666638279554388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-62664883826144640012009-02-04T23:22:00.000+05:302009-02-04T23:22:00.000+05:30दीदी, अभी फुर्सत से पढ़ा..लगा जैसे पूरे जीवन का सार...दीदी, अभी फुर्सत से पढ़ा..<BR/>लगा जैसे पूरे जीवन का सार आपने कुछ पंक्तियों में उतार दिया है..<BR/>सच कहूँ, ऐसी बातें पढ़कर दिल उदासी में डूबने लगता है.. :(PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-7120782841092882052009-02-04T22:12:00.000+05:302009-02-04T22:12:00.000+05:30मन ढूंढता है फिर वही .......मन ढूंढता है फिर वही .......Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-68558339649470085082009-02-04T19:06:00.000+05:302009-02-04T19:06:00.000+05:30मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,जाने कितने जनम और मर...मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,<BR/>जाने कितने जनम और मरण चाहिए ।<BR/>प्यार का राग आलापने के लिए,<BR/>शुद्ध,स्वर,ताल,लय,उपकरण चाहिए।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-10583519826652334412009-02-04T19:05:00.000+05:302009-02-04T19:05:00.000+05:30मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,जाने कितने जनम और मर...मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,<BR/>जाने कितने जनम और मरण चाहिए ।<BR/>प्यार का राग आलापने के लिए,<BR/>शुद्ध,स्वर,ताल,लय,उपकरण चाहिए।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-53932108048926457382009-02-04T18:30:00.000+05:302009-02-04T18:30:00.000+05:30रंजना जी, आज शायद पहली बार कमेंट कर रहा हूँ. कविता...रंजना जी, <BR/>आज शायद पहली बार कमेंट कर रहा हूँ. कविता अच्छी लगी.नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-69438651003557422262009-02-04T17:58:00.000+05:302009-02-04T17:58:00.000+05:30साधारण शब्दों मेंआसाधारण भाव प्रेषित करती है आपकी ...साधारण शब्दों में<BR/>आसाधारण भाव प्रेषित करती है आपकी लेखनी।saraswatlokhttps://www.blogger.com/profile/00309688075331769026noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-88305443987765556492009-02-04T17:04:00.000+05:302009-02-04T17:04:00.000+05:30पर कोई कोना मन काफ़िर भी खाली दिखता हैदिल और दिमाग ...पर कोई कोना मन का<BR/>फ़िर भी खाली दिखता है<BR/>दिल और दिमाग की ज़ंग में<BR/>अभेद दुर्ग की दिवार का<BR/>पहरा सा रहता है ....<BR/><BR/>बहुत अच्छी कविता ...एक खामोश सी कहानी कह गई हो जैसे!Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-88047637070964570492009-02-04T15:56:00.000+05:302009-02-04T15:56:00.000+05:30Ab kya kahun........bas....waah waah aur waah........Ab kya kahun........bas....waah waah aur waah.......gahre padi gaanth ko aapne shabd de diya....sundartam.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-71914295617140388702009-02-04T15:39:00.000+05:302009-02-04T15:39:00.000+05:30रंजना जी तब और अब मे ही मन उलझा रह जाता है ।सुंद...रंजना जी तब और अब मे ही मन उलझा रह जाता है ।<BR/>सुंदर अभिव्यक्ति ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.com