tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post8219611249736217644..comments2023-10-11T14:59:55.982+05:30Comments on कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **: किशोर चौधरी और उनका लिखा मेरी कलम से .............रंजू भाटियाhttp://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-77638806955150142342012-12-17T12:27:11.436+05:302012-12-17T12:27:11.436+05:30रंजू जी बेहतरीन समीक्षात्मक रिपोर्ट!! वैसे सच कहूँ...रंजू जी बेहतरीन समीक्षात्मक रिपोर्ट!! वैसे सच कहूँ... एक आम हिंदी पढने वाले पाठक के रूप में ये बात कहना चाहता हूँ.. किशोर जी को शायद ये बात बुरी लग जाये.. क्योंकि छोटी मुंह बड़ी बात होगी ये... एक बेहतरीन कहानीसंग्रह की पुस्तक है "चौराहे पर सीढियाँ" बहुत प्यारी साहित्यक सोच और उम्दा शब्दों से सजी हुई है ये बुक.. जिसमे से चार कहानी का तो कोई तोड़ ही नहीं है.. अगर रेटिंग की बात हो तो A++ देंगे ...पर बहुत सी अन्य कहानी में ये नहीं समझ आ रहा की सच में कहानी क्या थी, और कहानी ख़त्म हो जाती है... शायद मेरी छोटी सोच इसका मुख्य कारन हो सकता है.. न समझ पाने का....!! पर इतना सच है.. किशोर जी आप एक बेहतरीन इंसान, बेहतरीन रचनाकार हो.. मेरी शुभकामनायें आपके साथ है...मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-47110030721143192622012-12-08T19:54:42.293+05:302012-12-08T19:54:42.293+05:30आदरणीय रंजू जी ,
सादर नमस्कार !
आज जो मैंने पढ़ा अ...आदरणीय रंजू जी ,<br />सादर नमस्कार !<br />आज जो मैंने पढ़ा अद्भुत है !!सचमुच कहाँ थी मैं सोच रहीं हूँ खूबसूरत !!!बहुत ही !!manuranahttps://www.blogger.com/profile/14788944928750770402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-72917257080535181692012-12-08T14:07:38.701+05:302012-12-08T14:07:38.701+05:30के सी ... मरे पसंदीदा ब्लोगेर्स में से एक हैं ... ...के सी ... मरे पसंदीदा ब्लोगेर्स में से एक हैं ... <br />दोनों संग्रह संजोने लायक होंगे ऐसा दावा कर सकता हूं ... हालांकि अभी तक हाथ नहीं लगे हैं ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-8988115874301925552012-12-07T19:40:25.051+05:302012-12-07T19:40:25.051+05:30रंजू जी आपको और किशोर जी को एक साथ मिलना ...अच्छा ...रंजू जी आपको और किशोर जी को एक साथ मिलना ...अच्छा लगा ,बहुत खूबसूरत यादों के साथ वापसी हुई थी ....किशोर जी का कहानी संग्रह अभी तक पढ़ तो नहीं पाई हूँ ..पर आपकी समीक्षा पढ़ने के बाद ये दावे से कह सकती हूँ कि कहानी संग्रह सच में बढ़िया होगा ...बस इंतज़ार है उसका मेरे हाथों में आने तक का ...Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-91803398402951364862012-12-07T17:29:05.393+05:302012-12-07T17:29:05.393+05:30यकीनन केसी रेड कार्पेट पर चलेंगे...(सुन्दर कन्याओं...यकीनन केसी रेड कार्पेट पर चलेंगे...(सुन्दर कन्याओं वाली बात को इग्नोर कर दें अभी...)<br />रंजू आपकी कलम से किशोर को जानना अच्छा लगा...आप तो महारथी हो इस क्षेत्र में.<br />अभी "बातें बेवजह" मुझ तक पहुँची नहीं है...चौराहे पर सीढियाँ तो बेमिसाल है.<br />ढेर सी शुभकामनाएँ आपको और केसी को भी....<br />एक दिवास्वप्न हमने भी पाला है....कभी एक साझा संग्रह प्रकाशित करेंगे इस बेवजह की बातें लिखने वाले लेखक के साथ :-) [कितना अच्छा है न कि स्वप्न देखने के लिए न इजाज़त लेनी पड़ती है न मोल देना होता है]<br />अमीन!!<br /><br />अनु ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-25668467151639145692012-12-07T16:25:48.000+05:302012-12-07T16:25:48.000+05:30डे ड्रीमर किशोर जी के विषय में रंजू जी आपके विचार ...डे ड्रीमर किशोर जी के विषय में रंजू जी आपके विचार पढ़ना सुखद लगा ।<br />फिज़ाओं में तैरते , खुश्बूओं में बसते , मिट्टी की सौंध से शब्दों को आकार देता किशोर जी का व्यक्तित्व साकार हो उठा ।पाठकों के साथ सरलता से रिश्ते बना लेना किशोर जी जैसे ऊँचे कद के व्यक्ति के लिए ही संभव है ।<br />बेहद सुन्दर चित्रण ।Neeta Mehrotrahttps://www.blogger.com/profile/09302490185877680176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-4147552111298401852012-12-07T16:25:03.882+05:302012-12-07T16:25:03.882+05:30डे ड्रीमर किशोर जी के विषय में रंजू जी आपके विचार ...डे ड्रीमर किशोर जी के विषय में रंजू जी आपके विचार पढ़ना सुखद लगा ।<br />फिज़ाओं में तैरते , खुश्बूओं में बसते , मिट्टी की सौंध से शब्दों को आकार देता किशोर जी का व्यक्तित्व साकार हो उठा ।पाठकों के साथ सरलता से रिश्ते बना लेना किशोर जी जैसे ऊँचे कद के व्यक्ति के लिए ही संभव है ।<br />बेहद सुन्दर चित्रण ।Neeta Mehrotrahttps://www.blogger.com/profile/09302490185877680176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-9128915109939582342012-12-07T16:15:49.511+05:302012-12-07T16:15:49.511+05:30कि जो नहीं होता, वही होता है सबसे ख़ूबसूरत.
क्या ...कि जो नहीं होता, वही होता है सबसे ख़ूबसूरत.<br />क्या बात है ... आपकी कलम से किशोर जी को पढ़ना आपकी तरह हमें भी भा गया ... आभार इस प्रस्तुति के लिये<br /><br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com